प्रतिनिधि,सुपौल एक ओर जहां सरकार द्वारा आरटीआइ कानून लागू कर सरकारी काम में पारदर्शिता बरतने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जिले के आइसीडीएस विभाग के अधिकारियों पर राज्य सूचना आयोग का आदेश बेअसर साबित होता प्रतीत हो रहा है. आयोग द्वारा बार-बार निर्देशित किये जाने के बावजूद उनके द्वारा आवश्यक सूचना नहीं दी जा रही है. इससे ना सिर्फ कार्य के निष्पादन में बाधा उत्पन्न होती है, बल्कि आरटीआइ कानून के कार्यान्वयन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. नगर परिषद वार्ड नंबर 21 की वार्ड पार्षद गिरजा देवी ने इस बाबत जिला पदाधिकारी को आवेदन देकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है. आवेदन में उन्होंने कहा है कि उनके वार्ड में अवस्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 289 पर सेविका की बहाली एवं केंद्र के संचालन में अनियमितता बरती गयी. इस बाबत वार्ड पार्षद द्वारा मांगों जाने पर कार्यालय द्वारा संबंधित साक्ष्य व सबूत नहीं दिया गया. इसके बाद डीपीओ आइसीडीएस के समक्ष प्रथम अपील की गयी, लेकिन निर्धारित समय अवधि में उनके द्वारा सूचना नहीं दी गयी. बाद में राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील की गयी, लेकिन दुर्भाग्य है कि आयोग द्वारा 25 फरवरी एवं 20 अप्रैल को जारी पत्र व निर्देश के बावजूद आइसीडीएस द्वारा अब तक सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी. बहरहाल वार्ड पार्षद द्वारा दर्ज शिकायत के आलोक में जिलाधिकारी एलपी चौहान ने डीपीओ आइसीडीएस से स्पष्टीकरण की मांग की है.
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राज्य सूचना आयोग का आदेश नहीं मानते आइसीडीएस अधिकारी
प्रतिनिधि,सुपौल एक ओर जहां सरकार द्वारा आरटीआइ कानून लागू कर सरकारी काम में पारदर्शिता बरतने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जिले के आइसीडीएस विभाग के अधिकारियों पर राज्य सूचना आयोग का आदेश बेअसर साबित होता प्रतीत हो रहा है. आयोग द्वारा बार-बार निर्देशित किये जाने के बावजूद उनके द्वारा आवश्यक सूचना […]
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