27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यहां मजदूरों की लगती है बोली

चिंताजनक. महाराजगंज के अधिकतर मजदूरों के पास नहीं है जॉबकार्ड महाराजगंज : सुबह के साढ़े छह बजे हैं. प्रत्येक दिन की भांति यहां काम की तलाश करने वाले लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. सात बजते बजते लगभग 150 की संख्या में टोकरी, कुदाल लिए मजदूर पहुंच चुके हैं. उसी में जरूरत […]

चिंताजनक. महाराजगंज के अधिकतर मजदूरों के पास नहीं है जॉबकार्ड

महाराजगंज : सुबह के साढ़े छह बजे हैं. प्रत्येक दिन की भांति यहां काम की तलाश करने वाले लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. सात बजते बजते लगभग 150 की संख्या में टोकरी, कुदाल लिए मजदूर पहुंच चुके हैं. उसी में जरूरत के हिसाब से कुछ लोग बोली लगाने वाले भी पहुंचे हैं. यह नजारा है महाराजगंज शहर के शहीद स्मारक के पास स्थित सड़क का. सब्जी मंडी, गल्ला बाजार, कपड़ा मंडी की तरह शहीद स्मारक के सामने का स्थल मजदूर बाजार के रूप में जाना जाता है.
यहां महाराजगंज के विभिन्न क्षेत्रों से अहले सुबह मजदूर पहुंचते है और इंतजार करते हैं काम का. कई बार ऐसा भी होता है कि जब कोई खरीदार नहीं आता, तो ये मजदूर वापस अपने घर चले जाते हैं. शहर में यह सिलसिला एक दशक से चल रहा है.
आम से लेकर खास तक इस मजदूर स्थल को जानते हैं, लेकिन इनके उत्थान के लिए आज तक कोई प्रयास नहीं हुआ. इनके लिए एक शेड तक नहीं डाला गया. अधिकतर के पास जॉब कार्ड नहीं है. लोगों का कहना है कि जब इन्हें रोजगार गारंटी कार्यक्रम के तहत काम मिलता, तो आखिर यह पैसे खर्च कर शहर क्यों आते. मौसम चाहे जो भी हो, न तो इनके आने का सिलसिला रुकता है और न इनके जीवन को बदलने का कभी प्रयास हुआ. बदली है तो इनकी मजदूरी, जो समय और काम ने तय कर रखी है.
काम के हिसाब से तय की जाती है मजदूरी
असली मजदूरों को छोड़ने से गरीबी बढ़ी है
दिल्ली पंजाब या अन्य प्रदेशों में काम करने वालों को मनरेगा में उपस्थिति दिखा कर रोजगार दिया जाता है, लेकिन यहां असली मजदूरों को छोड़ने से गरीबी बढ़ी है. सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
देवप्रकाश महतो
क्या कहते हैं मजदूर
मजदूरों का पलायन रोकने के लिए मनरेगा योजना का प्रयास ठीक था. लेकिन, पंचायत रोजगार सेवक की खानापूर्ति में असली मजदूर को काम नहीं मिल पाता है.
संतोष प्रसाद
बेरोजगारों को ग्रामीण क्षेत्रों में बराबर रोजगार नहीं मिलता है. इससे शहर की तरफ मुंह मोड़ना पड़ता है. कभी-कभी काम की तलाश में काफी भटकना पड़ता है.
शिवजी महतो
जब तक सरकार द्वारा उत्पादन की फैक्टरियां नहीं लगायी जायेंगी, मजदूर वर्ग का विकास नहीं होगा.
काम ढूंढ़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है हम मजदूरों को.
उमाशंकर राम

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें