महाराजगंज : मानव जीवन में अपने गुनाहों से बरी होने की रात ‘शब-ए-बरात’ गुरुवार की रात मनायी गयी. शब-ए-बरात को लेकर बुधवार के दिन से ही घरों की सफाई व आवश्यक सामान की खरीदारी को लेकर मुसलमान भाई काफी व्यस्त देखे गये. अकीदतमंदों के लिए शब-ए-बरात की रात अहम रही. क्षेत्र के विभिन्न दरगाह स्थलों में जलसे का आयोजन किया गया था. गुरुवार शहर के नखास चौक स्थित छोटी मसजिद, शाही मसजिद मे मगरीब की नमाज के बाद कब्रिस्तान, मसजिद गुलजार देखी गयी.
मुसलमान भाइयों ने अपने पूर्वजों के कब्र पर रोशनी कर फातिहा पढ़ कर उन्हें इसाल-ए-शबाब किया. हजार महीने की रात से बेहतर है शब-ए-बरात की एक रात. इसलामी कैलेंडर का महीना शाबान इबादत और रियाजत के लिहाज से न केवल अपनी खास अहमियत रखता है. बल्कि यह लोगों के लिए आत्मचिंतन का भी महीना है. शब-ए-बरात की रात इसलामी कैलेंडर में सूर्यास्त के साथ ही तिथियां बदल जाती हैं. यानी सूरज के डूबते ही अगली सूर्यास्त तक को एक तिथि माना जाता है.