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बिजली बिल वसूली में 10 फीसदी का इजाफा

सीवान : एक वर्ष पूर्व लागू की गयी रेवेन्यू लिंक सप्लाई स्कीम (आरएलएसएस) से बिजली विभाग की सेहत में सुधार होना शुरू हो गया है. इस योजना के तहत बिल कलेक्शन के हिसाब से फीडर को बिजली की आपूर्ति किये जाने का प्रावधान है. विभाग का दावा है कि जब से जिले में योजना लागू […]

सीवान : एक वर्ष पूर्व लागू की गयी रेवेन्यू लिंक सप्लाई स्कीम (आरएलएसएस) से बिजली विभाग की सेहत में सुधार होना शुरू हो गया है. इस योजना के तहत बिल कलेक्शन के हिसाब से फीडर को बिजली की आपूर्ति किये जाने का प्रावधान है. विभाग का दावा है कि जब से जिले में योजना लागू की गयी है बिल की वसूली में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस योजना से शहर को भी दूर रखा गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना को लागू कर दिया गया है.
बताते चले कि नाॅर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने एक वर्ष पूर्व आरएलएस योजना की शुरुआत की. कंपनी का मानना था कि जिस फीडर से अधिक बिल का कलेक्शन हो रहा है, वहां उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति अधिक-से-अधिक की जाये. कंपनी का यह भी मानना था कि इस योजना के लागू होने से उपभोक्ताओं में जागरूकता आयेगी और भविष्य में बिल कलेक्शन में इजाफा भी होगा. एक वर्ष पूर्व योजना लागू होने के बाद इसे ग्रामीण क्षेत्रों में शुरुआती दौर में लागू किया गया. योजना से शहरी फीडर-1, शहरी फीडर-2 तथा रेलवे फीडर को अलग रखा गया है.
मौजूदा समय में जिले में कुल उपभोक्ताओं की संख्या दो लाख 50 हजार के करीब है, जहां तीन करोड़ 22 लाख यूनिट बिजली की खपत प्रतिमाह होती है, जिससे कि बिजली का बिल आठ करोड़ आता है. मैरवा सब डिविजन के सहायक विद्युत अभियंता शिवम कुमार का कहना है कि आरएलएसएस योजना लागू होने से बिजली के कनेक्शन में उत्साहजनक वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि पहले जहां प्रति माह 7 से 8 लाख बिल की वसूली होती थी अब ये बढ़ कर 17 से 18 लाख रुपये प्रतिमाह हो गया है. वहीं, 30 लाख रुपये के करीब सब डिवीजन का बिल आता है.
उन्होंने बताया कि मैरवा फीडर से सबसे अधिक रेवेन्यू आता है, जिस कारण वहां 12 घंटे के आसपास बिजली की आपूर्ति की जाती है. वहीं, शेष फीडर तितरा, दरौली व गुठनी को 7 से 8 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है. महाराजगंज सब डिविजन के सहायक विद्युत अभियंता साजिद हुसैन ने भी बताया कि इस योजना के लागू होने से बिल की वसूली में इजाफा हुआ है और उपभोक्ता भी इसे महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि महाराजगंज, बसंतपुर, गोरेयाकोठी व लकड़ी नबीगंज पावर सब स्टेशन के अधीन 13 फीडर हैं, जहां औसतन प्रतिमाह 1.5 करोड़ रुपये के करीब बिजली की खपत होती है. यहां 80 से 90 लाख रुपये प्रतिमाह का मौजूदा समय में कलेक्शन है, जो एक वर्ष पूर्व तक काफी कम था. हालांकि इन्होंने यह भी कहा कि महाराजगंज फीडर को ही सिर्फ 12 से 14 घंटे बिजली मिल पाती है जबकि शेष को 8 से 10 घंटे ही बिजली की आपूर्ति की जाती है.
ग्रामीण क्षेत्राें में योजना को किया गया लागू
आरएलएसएस योजना के लागू होने से रेवेन्यू में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में योजना को लागू किया गया है. शहरी क्षेत्र को इससे अलग रखा गया है. आठ करोड़ रुपये की प्रतिमाह बिजली की खपत होती है. पहले बिजली बिल वसूली कम होती थी. विगत एक वर्ष में वसूली में इजाफा हुआ है.
मनोज कुमार रजक, विद्युत कार्यपालक अभियंता, सीवान

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