सीवान : नोटबंदी का फरमान लागू होने के बाद अब दो माह का वक्त गुजर चुका है. पांच सौ से एक हजार रुपये के बंद होने के बाद से अचानक ग्राहकों के सामने उत्पन्न हुई परेशानियां लगातार सड़कों पर दिखायी पड़ीं. बैंक व एटीएम पर लंबी कतार में जूझते ग्राहक अब भी नजर आ रहे थे. अब दो माह बाद वे कतार छोटी पड़ गयी हैं.
लेकिन, अब भी नोटबंदी के पूर्व की स्थिति बैंक व एटीएम पर नहीं उत्पन्न हुई है. नतीजा है कि लोग अब भी अपने रुपये निकालने से लेकर अन्य बैंकिंग कार्यों के लिए परेशान हो रहे हैं.
नोटबंदी के बाद से बाजार में काफी दिनों तक सन्नाटा बना रहा. इसके पीछे लोगों के पास मुद्रा का अभाव होना कारण बताया गया. इस बीच हालत सामान्य करने के लिए भारत सरकार ने बीच में कई घोषणाएं कीं. इसके बाद अब बैंकों की तसवीरें काफी हद तक बदली हैं. अब पहले की तरह लंबी कतारें नजर नहीं आ रही हैं.
दूसरी तरफ ग्राहकों की शिकायत है कि बैंकों को ग्राहकों को अधिकतम 24 हजार रुपये तक नकद भुगतान के आदेश दिये गये हैं. इसका चंद बैंकों के ब्रांच को छोड़ कर अन्य बैंक शाखा भुगतान नहीं कर रहे हैं. आंकड़ों में देखें, तो जिले में विभिन्न बैंकों की 201 शाखाएं हैं. इनमें शहरी क्षेत्र में 42 बैंकों की शाखाएं मौजूद हैं. इसके अलावा कस्बों में 29 व ग्रामीण क्षेत्र में 130 बैंक शाखाएं हैं. इनमें से ग्रामीण व कस्बों में मौजूद शाखाओं में अब भी ग्राहकों को मुश्किल से पांच से सात हजार रुपये मिल रहे हैं.
वहीं, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की शाखाओं की स्थिति अब भी नहीं सुधरी है. इसकी जिले में 84 शाखाएं हैं. इसके ग्राहक सबसे अधिक निराश हुए हैं. अब तक रुपये की कमी से ये ब्रांच उबर नहीं पाये हैं. जानकारों के मुताबिक पिछले एक सप्ताह पूर्व 13 करोड़ रुपये रिजर्व बैंक से आये थे. इनमें से अधिकांश रकम उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की शाखाओं को देने का निर्देश दिया गया था. वहीं, हकीकत यह है कि मात्र पांच करोड़ रुपये ही मिल पाये.नोटबंदी के बाद सबसे अधिक निराशा ग्राहकों को एटीएम से मिली है.
जिले में 169 एटीएम मौजूद हैं. इनमें से शहरी क्षेत्र में पांच दर्जन से अधिक एटीएम हैं. शेष एटीएम ग्रामीण क्षेत्रों में लगाये गये हैं. हाल यह है कि अब भी अधिकतर एटीएम बंद हैं. चालू हालत में नजर आ रहीं एटीएम में से अधिकांश में ग्राहकों को दो हजार रुपये का ही नोट मिल रहा है. छोटे नोट नहीं मिलने से लोगों की जरूरत नहीं पूरी हो रही है. इसका असर बाजार पर भी दिख रहा है. छोटे नोटों के अभाव में लेनदेन भी नहीं हो रहा है. इससे छोटे कारोबारी भी परेशान हैं. इस कारण ग्राहक आये दिन एटीएम से लौटने का मजबूर हो रहे हैं.
एटीएम से निराश होकर लौटते रहे लोग
नगर में विभिन्न बैंकों की 62 एटीएम लगी हैं. इनमें सबसे अधिक राष्ट्रीयकृत बैंकों की एटीएम हैं. नोटबंदी के बाद से हाल यह है कि इनमें अधिकतर एटीएम लोगों के काम नहीं आ रही हैं. रुपये की कमी के कारण दिन के अधिकांश वक्त तक ये एटीएम बंद रहती हैं. शेष एटीएम में से चंद को छोर अन्य का शाम ढलते ही शटर गिर जाता है. मंगलवार को शहर की इन एटीएम का अपराह्न एक बजे से तीन बजे तक प्रभात खबर टीम ने जायजा लिया. इस दौरान जेपी चौक के समीप मौजूद एक कटरे में तीन एटीएम में से किसी में भी रुपये नहीं थे. दाहा पुल के समीप की एसबीआइ व सेंट्रल बैंक की एटीएम भी काम नहीं कर रही थी.
इसके करीब ही यूनियन बैंक की शाखा के नीचे मौजूद इसकी एटीएम लंबे समय से बंद होने की आसपास के लोगों ने शिकायत की. महादेवा रोड पर वीएम हाइस्कूल के समीप का एसबीआइ व एक्सिस बैंक की एटीएम बंद थी. गांधी मैदान के समीप मौजूद कोऑपरेटिव बैंक की एटीएम में भी कई दिनों से रुपये नहीं होने की लोगों ने शिकायत की.
बबुनिया मोड़ के समीप की एसबीआइ व बैंक ऑफ इंडिया की एटीएम में भी रुपये नहीं थे. छपरा रोड पर आंध्रा बैंक, आइडीबीआइ, एक्सिस बैंक की एटीएम हैं. लेकिन, रुपये के अभाव में लोगों के लिए यह बेकार रही.
रेलवे स्टेशन के समीप मुख्य मार्ग पर मौजूद एटीएम महीनों दिन से बंद होने की लोगों ने की शिकायत की. इसके अलावा शहर के अन्य हिस्सों में भी एटीएम के बंद रहने की लोगों की शिकायतें मिलीं.
नोटबंदी के बाद से संकट में हैं एटीएम
छोटे नोट के संकट से कारोबार भी बाधित
बैंक के मुताबिक, सामान्य होने में लगेगा एक माह से अधिक
अब भी चालू नहीं हुईं कई एटीएम
छोटे नोट नहीं होने से ग्राहकों को परेशानी हो रही है. अब भी अधिकांश एटीएम चालू नहीं हो पायी हैं. इसके बाद भी यह सच्चाई है कि अब बैंकों में ग्राहकों की परेशानी कम हुई है. पूरी तरह स्थित सामान्य होने में अभी एक माह से अधिक समय लग सकता है.
रंजीत सिंह, प्रबंधक, जिला अग्रणी बैंक, सीवान