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कल्याणकारी योजनाओं पर पड़ा असर

नोटबंदी. नोटों को बदलने में परेशानियां नहीं हो रहीं कम, उजाले होते ही लाइन में लग जा रहे हैं लोग सीवान : नोट बंदी का साइड इफेक्ट कम होते नजर नहीं आ रहा है. लगातार आठवें दिन गुरुवार को भी लोगों की परेशानियां कम नहीं हुईं. एक हजार व पांच सौ रुपये के नोट बदलने […]

नोटबंदी. नोटों को बदलने में परेशानियां नहीं हो रहीं कम, उजाले होते ही लाइन में लग जा रहे हैं लोग

सीवान : नोट बंदी का साइड इफेक्ट कम होते नजर नहीं आ रहा है. लगातार आठवें दिन गुरुवार को भी लोगों की परेशानियां कम नहीं हुईं. एक हजार व पांच सौ रुपये के नोट बदलने के लिए दिन के उजाले के साथ ही बैंकों पर लंबी कतार लगी रही. उधर, इसका असर भारत सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं पर पड़ने लगा है. बैंक का अन्य कार्य जहां नहीं हो पा रहा है,
वहीं डाकघरों की सभी योजनाएं ठप पड़ी हैं. इसके चलते लोग संबंधित अधिकारी व सरकार के फैसले के साथ ही पूर्व तैयारी न करने का आरोप मढ़ने लगे हैं. बाजार में मंदी के साथ साथ वित्तीय संस्थानों द्वारा संचालित कई योजनाओं का कार्य बाधित हो रहा है. साथ ही नोटबंदी से राजस्व पर भी प्रभाव पड़ा है. हाल यह है कि एक सप्ताह बाद भी बैंक व एटीएम पर लोगों की कतार कम नहीं होती दिख रही हैं. अमिट स्याही लगाने के आदेश के विपरीत अब तक बैंकों को यह उपलब्ध नहीं हो सका है. इससे बैंक प्रबंधन द्वारा कई शाखाओं में नोट बदलने का कार्य बंद कर दिया गया है.
डाकघर की योजनाएं प्रभावित : नोटबंदी के चलते डाकघर द्वारा संचालित कई योजनाओं पर कार्य विगत एक सप्ताह से ठप है. किसान क्रेडिट कार्ड, आवर्ती जमा योजना, कन्या समृद्धि योजना सहित कई योजनाओं पर कार्य नहीं हो पा रहा है. डाककर्मियों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के आलोक में रुपयों की जमा व निकासी ही की जा रही है. मानव बल कम होने के चलते अन्य कार्य कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है.
नोट बदलने में ही फंसे रह रहे बैंक : बैंक के कार्यों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ा है. हाल यह है कि कर्मी आदेश के अनुसार बंद हो चुके नोट को बदलने में ही पूरे दिन लगे रह रहे हैं. इस कारण एजुकेशन लोन पूरी तरह ठप है. बैंक में फिक्स डिपॉजिट, विभिन्न तरह के ऋण के लिए आये लोगों को निराश होना पड़ रहा है. यह स्थिति अगले एक माह तक कमोबेश बने रहने की उम्मीद है.
सहकारी बैंक के ग्राहक हुए निराश : बैंक व डाकघर को रुपये के बदलने का आदेश दिया गया है, जबकि सहकारी बैंक को यह सुविधा नहीं दी गयी है. सहकारी बैंक की बड़ी संख्या व कई शाखाओं की बेहतर स्थिति के बाद भी इसमें यह सुविधा नहीं मिलने से लोगों में नाराजगी है. अन्य बैंकों की तरह यहां भी यह सुविधा मिलने पर इनके ग्राहकों के अलावा अन्य लोग भी लाभान्वित होते.
राजस्व पर भी पड़ रहा है प्रतिकूल असर
जमीन की खरीद-बिक्री पर भी पड़ा असर
नोटबंदी के फरमान के बाद से हाल यह है कि जिले में निबंधन कार्यालय में जमीन की खरीद व बिक्री का कार्य पूरी तरह ठप हो गया है. अनुमान के मुताबिक, विभागीय अफसरों का कहना है कि 80 फीसदी जमीन खरीद-बिक्री का ग्राफ कम हो गया है. नोट की उपलब्धता नहीं होने के कारण यह परेशानी उत्पन्न हो रही है. इसके अलावा आयकर के दबाव को लेकर भी ऐसे लोग परेशान हैं.

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