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अब 50% तक अनुदान पर मिलेगा कीटनाशक
एक किसान को दो हेक्टेयर तक के लिए मिल सकती है दवा सीवान : अब किसानों को सरकार ने 50 फीसदी तक अनुदान पर कीटनाशक देने का निर्णय लिया है, ताकि फसलों में लगने वाले कीट से बचाव हो सके. इसके लिए दुकान को भी चिह्नित किया गया है, जहां से किसान दवा ले सकते […]
एक किसान को दो हेक्टेयर तक के लिए मिल सकती है दवा
सीवान : अब किसानों को सरकार ने 50 फीसदी तक अनुदान पर कीटनाशक देने का निर्णय लिया है, ताकि फसलों में लगने वाले कीट से बचाव हो सके. इसके लिए दुकान को भी चिह्नित किया गया है, जहां से किसान दवा ले सकते हैं. एक किसान को लगभग दो हेक्टेयर तक के लिए ही दवा मिलेगी.
यह निर्णय इसलिए हुआ है कि किसान बाजार से रासायनिक दवाओं को खरीद कर छिड़काव नहीं करें. उन्हें अनुदान पर जैव कीटनाशक दिया जायेगा. रासायनिक दवाओं के छिड़काव के कारण खेतों के पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा था. इसको लेकर पौधा संरक्षण विभाग ने सभी प्रखंडों के कृषि पदाधिकारी को सूचना दे दी है कि किसानों के बीच प्रचार-प्रसार कर इसकी जानकारी दें, ताकि किसान इसका लाभ ले सकें. जैव कीटनाशक का बुरा प्रभाव खेतों पर नहीं पड़ता है. इसके लक्ष्य का भी निर्धारण किया गया है. उसी के तहत किसानों को सभी प्रखंडों में अनुदान देना है.
इसको लेकर पंचायतों के किसान सलाहकारों को भी विभाग ने निर्देश दिया है, जो इसके लिए किसानों को जागरूक करे और उन्हें अनुदान पर दवा लेने की बात बताये ताकि अधिक-से-अधिक किसानों को लाभ मिल सके. इसके लिए सभी प्रखंडों में फॉर्म भी उपलब्ध कराया गया है. इसके माध्यम से बीजोपचार रसायन, फैरोमोन ट्रेप व जैविक कीटनाशी की दवा मिलेगी. इस पर 50 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा.
खाते में जायेगी अनुदान राशि : किसानों द्वारा अनुदान पर कीटनाशक लेने के बाद उनके द्वारा दिये गये खाते में विभाग द्वारा अनुदान की राशि भेजी जायेगी, जो खरीदारी के एक माह के अंदर भेज दी जायेगी. इसके लिए किसानों को दवा खरीदने के बाद किसान पहचान पत्र, बैंक खाता, दवा खरीद का कैशमेमो विभाग को देना होगा. इससे उनके खाते में राशि जायेगी.
उन्हें पहले दुकान पर जाकर नकद से दवा लेनी पड़ेगी. जिले में दो दुकानों को विभाग ने चिह्नित किया है, जो 19 प्रखंडों में शिविर लगा कर दवा का बिक्री करेंगे. इसका केंद्र प्रखंड मुख्यालय में बनाया गया है, जहां से किसान दवा प्राप्त करेंगे.
अलग-अलग तय हुआ है लक्ष्य : विभाग ने बीजोपचार रसायन, फैरोमोन ट्रेप व जैविक कीटनाशी की दवा के लिए अलग-अलग लक्ष्य सभी प्रखंडों के अनुसार बनाया है, जो भौतिक हेक्टेयर के तहत तय किया गया है.
जिले में बीजोपचार रसायन के लिए 3393.8 हेक्टेयर, फैरोमोन ट्रैप के लिए 508.8, तो जैविक कीटनाशी के लिए 680 हेक्टेयर लक्ष्य रखा गया है, जिसमें सबसे अधिक लक्ष्य बड़हरिया प्रखंड के लिए तय है. यह जैविक खेती प्रोत्साहन योजना अंतर्गत समेकित कीट प्रबंधन कार्यक्रम के तहत किसानों को दिया जा रहा है. इसमें अनुसूचित जन जाति के लिए लक्ष्य विभाग ने तय नहीं किया है.
फेरोमोन ट्रैप में फंस जाते हैं कीट : फेरोमोन ट्रैप के माध्यम से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पर नियंत्रण किया जाता है. इसे खेत में लगाने के बाद कीट इसमें आकर फंस जाते हैं.
इसमें ल्योर लगाया जाता है, जिससे नियंत्रण होता है. इससे निकलनेवाली सुंगध के माध्यम से कीट आकर फंस जाते हैं. इसके माध्यम से बिना दवा के छिड़काव के ही कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है, जो सबसे अधिक सब्जी खेती के लिए होता हैं. इसका उपयोग किसानों को करना चाहिए. इसके अलावा चना, अरहर में किया जा सकता है.
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