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जिले में डिफाॅल्टरों की कमी नहीं

फर्जीवाड़ा . एक अरब पार करने को है जिले के बैंकों के डिफाॅल्टरों की रकम सीवान : देश के जानेमाने उद्योगपति रहे विजय माल्या को बैंकों द्वारा डिफाॅल्टर घोषित किये जाने के बाद से वे फरार हैं,जिस कारण वह लंबे समय तक सुर्खियों में रहे. उद्योग शुरू करने के नाम पर बैंकों से ऋण लेकर […]

फर्जीवाड़ा . एक अरब पार करने को है जिले के बैंकों के डिफाॅल्टरों की रकम

सीवान : देश के जानेमाने उद्योगपति रहे विजय माल्या को बैंकों द्वारा डिफाॅल्टर घोषित किये जाने के बाद से वे फरार हैं,जिस कारण वह लंबे समय तक सुर्खियों में रहे. उद्योग शुरू करने के नाम पर बैंकों से ऋण लेकर समय से चुकता न करने के चलते वित्तीय संस्थाओं की सूची में डिफाॅल्टर घोषित होने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में जिले के छोटे विजय माल्या के रूप में अब इनका नाम लिये जाने लगे हैं. जिनसे वसूली के लिए बैंक लोक अदालत का भी रास्ता अख्तियार करने लगे हैं.
जिससे की बकाया का अधिक से अधिक भुगतान समझौते के आधार पर कराया जा सके. अब तक जिले के विभिन्न बैंकों का डिफाल्टरों के ऊपर बकाया की रकम बढ़ कर एक अरब का आंकड़ा पार करने को है. हाल के वर्ष में शासन के बैंकों पर ऋण जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के दबाव का असर है कि ऋण दाताओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. छोटी रकम से लेकर बड़ी रकम लेने वालों की संख्या प्रत्येक वर्ष हजारों में रह रही है.
आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में विभिन्न बैंकों के 201 शाखाएं हैं. जिसमें से जिला मुख्यालय पर तकरीबन सभी बैंक के शाखाएं मौजूद हैं. सबसे अधिक बैंक शाखा उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की है. इसके बाद स्टेट बैंक,सेंट्रल बैंक व पंजाब नेशनल बैंक की शाखाएं हैं. इन बैंकों द्वारा दिये गये ऋण का समय से भुगतान न करने की स्थिति में प्रबंधन द्वारा उन्हें गैर निस्पादक खाता की सूची में उन्हें डाल दिया जाता है.
जिसे बोलचाल की भाषा में डिफाल्टर माना गया है.
इस तरह के बकाये की रकम का आकलन करने पर यह बात सामने आयी है कि मात्र सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 12 करोड़ 75 लाख रुपये से अधिक का भुगतान फंसा हुआ है. इस तरह के मामले स्टेट बैंक के 13-14 करोड़ रुपये से अधिक है. ऐसे ग्राहकों की संख्या तकरीबन तीन हजार है. उत्तर बिहार ग्रामीण के भी डिफाल्टरों की संख्या दस से अधिक है. हालांकि छोटे ऋणदाता के चलते एनपीए खाते में फंसा रकम 13 से 14 करोड़ रुपये ही हैं. इसी तरह अन्य बैंकों के पास भी डिफाल्टरों की लंबी सूची है.
लोक अदालत में सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण की तैयारी : आगामी 12 नवंबर को देश भर में आयोजित होनेवाले राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान बैंक ऐसे डिफॉल्टरों के विवादों के निस्तारण की तैयारी में है. जिसके तहत तीन वर्ष पूर्व के ऋण दाता इसमें शामिल होंगे. साथ ही बकाये का भुगतान न करने के कारण एक वर्ष पूर्व उन्हें गैर निस्पादक खाते की सूची में शामिल किया जा चुका है. इनके आवेदनों पर विचार करते हुए समझौते के आधार पर निस्तारण किया जायेगा.
आम तौर पर जिले के प्रमुख बैंकों का डिफाॅल्टरों के उपर है 11 से 15 करोड़ रूपये बकाया
सुलह समझौते के आधार पर लोक अदालतों में निस्तारण पर जोर देने की तैयारी
पंद्रह से पचास फीसदी तक समझौते के आधार पर छूट देने की योजना
लोक अदालत के दौरान ऐसे ऋण दाताओं के आवेदनों पर विचार किया जायेगा,जो पूरी राशि का भुगतान करने में असमर्थ हैं.उन्हें समझौते के आधार पर रिजर्व बैंक के गाइड लाइन के अनुसार छूट दिया जायेगा. जिसमें पंद्रह से पचास फीसदी तक छूट दी जा सकती है. इसमें बैंक द्वारा बकायेदार की स्थिति का आकलन किया जाना है. खास बात है कि विलफुट डिफाल्टर को कोई छूट न देने का निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है. विलफुट डिफाल्टर वे हैं, जो अपने उपक्रम के बिक्री के बाद बकाये के भुगतान की स्थिति में होने के बाद भी रकम जमा नहीं कर रहे हैं.
सुलझेंगे ऋण के विवाद
राष्ट्रीय लोक अदालत पर ऋण के विवादों का समझौते के आधार पर निस्तारण किया जायेगा, जिसकी तैयारी की जा रही है. एक वर्ष पूर्व तक डिफाॅल्टर घोषित किये गये खाताधारक को ही इसमें शामिल किया जायेगा. इसके अलावा वे तीन वर्ष पूर्व ऋण लिये हों.
रंजीत सिंह, जिला अग्रणी प्रबंधक, सीवान

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