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सीबीआइ भी अब तक नहीं सुलझा सका राज

असमंजस. अब तक तीन अभियुक्तों से हुई पूछताछ सीवान : सूबे की राजनीति में भूचाल लानेवाले पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के आरोपित घटना के 10 दिन बाद से ही जेल के सलाखों के पीछे हैं. पुलिस घटना का खुलासा कर अपनी कामयाबी का दावा कर खुद अपनी पीठ थपथपाती नजर आयी. हत्याकांड के पीछे की […]

असमंजस. अब तक तीन अभियुक्तों से हुई पूछताछ
सीवान : सूबे की राजनीति में भूचाल लानेवाले पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के आरोपित घटना के 10 दिन बाद से ही जेल के सलाखों के पीछे हैं. पुलिस घटना का खुलासा कर अपनी कामयाबी का दावा कर खुद अपनी पीठ थपथपाती नजर आयी. हत्याकांड के पीछे की मंशा उजागर करने में नाकाम रही. घटना के चार माह बाद आखिर सीबीआइ ने जांच की कमान संभाली. इसके बाद भी जानकारों के मुताबिक यह रहस्य बना हुआ है कि आखिर किसके इशारे पर पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या हुई!
शहर के भीड़ भरे इलाके रेलवे स्टेशन रोड की फलमंडी के समीप 13 मई की शाम दरिंदों ने पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मार कर हत्या कर दी. हत्या के बाद मृत पत्रकार की पत्नी आशा रंजन ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. जांच के दौरान घटना के 10 दिन बाद पुलिस ने घटना में प्रयुक्त असलहा व बाइक के साथ पांच संदिग्धों को दबोचते हुए मामले में पहली कामयाबी का दावा किया.
इसके बाद जांच का क्रम आगे बढ़ने पर नगर थाने की पुलिस ने रामनगर निवासी अजहरुद्दीन बेग उर्फ लड्डन मियां को घटना का मास्टरमाइंड बताया. हालांकि लड्डन को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी. उसने चकमा देकर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद रिमांड पर लड्डन को लेकर पुलिस तीन दिनों तक पूछताछ करती रही. लेकिन पुलिस के मुताबिक ही साजिशकर्ता से वह घटना का राज नहीं खुलवा सकी.
आखिरकार, एक बार फिर राज्य सरकार की संस्तुति व केंद्र सरकार के आदेश पर घटना की सीबीआइ जांच शुरू हुई. 18 सितंबर को सीबीआइ की नौ सदस्यीय टीम ने जांच शुरू करते हुए मुकदमे से संबंधित अभिलेख कोर्ट से हासिल की.इसके बाद से ही अब जांच सीबीआइ द्वारा जारी है.
जावेद को िरमांड पर लेने की तैयारी में जुटी है पुलिस : पत्रकार हत्याकांड में अब तक सीबीआइ ने तीन अभियुक्तों से पूछताछ की है.
इसमें घटना का साजिशकर्ता रामनगर निवासी अजहरूद्दीन बेग उर्फ लड्डन मियां, शांति वट वृक्ष निवासी सोनू कुमार सोनी व दक्षिण टोला निवासी मो. शमशीर कैफ उर्फ बंटी से पूछताछ की है. वहीं, अन्य अभियुक्तों से पुलिस पहले ही रिमांड पर लेकर पूछताछ कर चुकी है. पुलिस की पूछताछ की रिपोर्ट ही सीबीआइ की जांच का सहारा है. अब चर्चा है कि जावेद की नगर थाना पुलिस रिमांड पर लेने की तैयारी में है, जो मारपीट के मामले में अभियुक्त है.
हत्याकांड के बहाने शहाबुद्दीन पर होता रहा है हमला
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन का नाम भले ही अब तक पुलिस व सीबीआइ की जांच में नहीं आया है, पर पूर्व सांसद पर विपक्षी दलों का हमला जरूर हत्याकांड से जोड़ कर होता रहा है.
हत्याकांड के चंद दिन बाद जिला प्रशासन द्वारा मंडल कारा से मो. शहाबुद्दीन को हटा कर भागलपुर केंद्रीय कारागार में शिफ्ट करने के पीछे विरोधी दल हत्याकांड से जोड़ कर देखते रहे हैं. बाद के दिनों में पटना हाइकोर्ट से राजीव रोशन हत्याकांड में जमानत पर पूर्व सांसद के जेल से बाहर आने पर भाजपा हमलावर दिखी.
इस दौरान दिवंगत पत्रकार की पत्नी आशा रंजन ने भी भाजपा नेताओं के सुर में साथ निभाते हुए मो. शहाबुद्दीन के इशारे पर घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय से जमानत निरस्त होने के बाद पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में हैं. लेकिन, उनके समर्थक इस निर्णय को गहरी साजिश बताते हुए लगातार आंदोलनरत हैं. इन सबके बावजूद पुलिस व सीबीआइ रेकाॅर्ड के अनुसार, विरोधी दलों के आरोपों को खारिज किया जा चुका है.
पुलिस की राह पर चल रही सीबीआइ जांच
सीबीआइ जांच के तकरीबन एक माह पूरे होने को है. सीबीआइ की मुजफ्फरपुर स्थित अदालत में मामले की सुनवाई चल रही है. इसके पहले अब तक सीबीआइ की जांच पुलिस द्वारा की गयी छानबीन पर टिकी हुई है. पुलिस ने अपने चार्जशीट में जिन संदिग्धों व अभियुक्तों का नाम रखा है, उन्हीं से सीबीआइ ने भी दोबारा पूछताछ की. सीबीआइ की उपलब्धि इस बात की है कि केस डायरी व शूटर रोहित कुमार के स्वीकारोक्ति बयान में तीन और आये नाम में से एक नगर थाने के दक्षिण टोला निवासी मो. शमशीर कैफ उर्फ बंटी को अभियुक्त बनाया है.
हत्याकांड की साजिश बनी है अनसुलझा रहस्य
हर हत्या के पीछे कोई कारण होता है. पत्रकार की हत्या भाड़े के पांच बदमाशों द्वारा किये जाने की बात पुलिस ने उजागर की थी. इसके बाद लड्डन मियां को साजिशकर्ता बतायी. इसके बाद भी यह सच पुलिस सामने नहीं ला सकी कि आखिर लड्डन ने पत्रकार की हत्या क्यों करायी?
इस रहस्य को सीबीआइ भी तकरीबन एक माह बाद भी नहीं सुलझा सकी है. इस सच को जानने के लिए पीड़ित परिवार से लेकर हर न्याय पसंद व्यक्ति बेचैन है. हालांकि देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी माना जानेवाला सीबीआइ आनेवाले दिनों में जरूर कामयाबी हासिल करेगा, इसकी उम्मीद सभी को है.

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