15 वर्षों से कछुए की चाल से चल रही है जमीन व घर दिलाने की प्रक्रिया
बांसफोरों को चयनित जमीन पर कब्ज़ा दिलाना प्रशासन के लिए बनी चुनौती
महाराजगंज : 21 वर्ष पूर्व सरकार द्वारा बासफोरों को जमीन दिलाने के लिए पत्र जारी करने के बाद भी अब तक प्रशासन इन्हें कब्जा नहीं दिला सका है. आज हालात ये हैं कि एक ओर जहां सरकार अपने गरीब लोगों को पुनर्वास की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर ये बांसफोर सड़क किनारे रावटी में रहने को मजबूर हैं.
सभी कागजी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद ये बांसफोर प्रत्येक सुबह प्रशासन द्वारा जमीन पर कब्जा दिलाने का इंतजार कर रहे हैं. आवंटित जमीन नप की वार्ड संख्या 11 में पड़ती है. 20 वर्ष पूर्व महाराजगंज आये सूबे के उद्योग मंत्री स्व बैद्यनाथ पांडेय ने इन बांसफोरों के पुनर्वास के लिए सरकारी जमीन देने की बात कही थी. इसके बाद सरकार द्वारा 1995 में महाराजगंज के पसनौली स्थित सरकारी जमीन पर बसाने का पत्र जारी किया गया. पत्र में तत्कालीन 17 बांसफोर परिवारों के बीच 3-3 डिसमिल जमीन देने का पट्टा भी जारी कर दिया गया. बावजूद इसके 21 वर्ष बीत जाने के बाद भी स्थानीय लोगों के विरोध के चलते प्रशासन इन्हें इन्हीं की जमीन पर कब्जा दिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. जैकी बांसफोर, करण बांसफोर, कृपाल बांसफोर, चंपा देवी, सोनू बांसफाेर व दीपक बांसफोर ने आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों के दबाव के कारण प्रशासन कोई रिस्क लेना नहीं चाह रहा है. इस बात को अंचलाधिकारी रवि राज भी स्वीकर कर रहे हैं. इनका कहना है कि आवंटित जमीन पर बालिका उच्च विद्यालय चलने, ब्रह्म स्थान के चबूतरे का निर्माण होने तथा कुछ हिस्सा में श्मशान होने के कारण बांसफोरों के पुनर्वास का लोग विरोध कर रहे हैं. वहीं, नप अध्यक्ष शारदा देवी व उपाध्यक्ष रवींद्र प्रसाद कुशवाहा का कहना है कि जमीन दिलाना प्रशासन का काम है. पदाधिकारी द्वय ने कहा कि स्थानीय लोगों के विरोध के बाद प्रशासन को दूसरी जगह जमीन खरीद कर पुनर्वास कराना चाहिए.
808 लोगों के घर निर्माण के लिए आयी राशि
नगर पंचायत क्षेत्र में बेघर 808 लोगों के घर निर्माण के लिए राशि आयी है. इनमें 40 बांसफोर लोगों के नाम शामिल हैं. प्रति लाभुक दो लाख रुपये घर बनाने के लिए देने हैं. बांसफोर लोगों को जमीन उपलब्ध करा देने पर पुनर्वास के लिए घर बनाया जायेगा.
बसंत कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, महाराजगंज