मैरवा : पढ़ाई के मामले में कभी मैरवा का शान कहलाने वाला टाउन हाइस्कूल आज धरोहर के रूप में नजर आ रहा है़ वहीं पुराना भवन, परंतु अब जर्जर हो चुका है़ उसकी जर्जरता के कारण मजबूरी में नामांकन कराने वाले बच्चे अपनी हाजिरी बनाने तक ही सीमित हो चुके है़ं अपनी गरिमा खो रहे इस विद्यालय के पास पहले सब कुछ था परंतु, आज भवन है, तो जर्जर हो चुका है़ फंड आये वर्षों हो चुके हैं, पर जमीन संबंधी विवाद के कारण शिलान्यास भी नहीं हो सका़ आज इंटर का दर्जा तक प्राप्त हो चुका है परंतु भवन व शिक्षकों के अभाव में आजतक इंटर का नामांकन तक नहीं हो सका़ आज साढ़े पांच सौ बच्चों का नामांकन है, परंतु आने के लिए लगभग सौ बच्चों की उपस्थिति ही हो पाती है़ शिक्षक तो आते हैं, पर कमरे के अभाव में बरामदे में पढ़ाई करने से मजबूर शिक्षक बारी-बारी से क्लास लेते है़ं जिन छात्रों ने अपना नामाकंन करा लिया, वे अपना दुर्भाग्य मानते है़ं क्योंकि बगल में ही प्राथमिक विद्यालय इन हाइस्कूल के बच्चों केा मुह चिढ़ाता है,
जहां आज के सभी सरकारी उपक्रमों से सुसज्जित है़ कहना नहीं होगा कि नगर के पास स्थित इस 14 से 15 स्टाफ के साथ चलने वाले इस विद्यालय मे विभाग ने सब कुछ दे रखा है, परंतु विवाद के कारण सब बेकार साबित हो रहा है़ यह विवाद विद्यालय के प्रधानाध्यापक व ग्रामीणों के बीच डेढ़ वर्ष पहले शुरू हुआ, जब नये भवन की नींव रखी जानी थी, उस समय से ही विद्यालय के पठन-पाठन पर भी उसका असर दिखने लगा़ रभारी प्रधानाध्यापक सुरेश प्रसाद बताते हैं कि भवन के कारण ही इस विद्यालय की दशा खराब हुई है. नये भवन के लिए एक करोड़ 8 लाख रूपये आये है, परंतु जमीनी विवाद के कारण अधर में लटका है.