नगर के चौमुखी विकास की हकीकत शहर के कई मुहल्लों में धरातल पर नजर नहीं आ रही है. शहर का वार्ड नंबर सात की बारह हजार आबादी अब भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहा है.जर्जर सड़कें, जाम नालियां, बुनियादी शिक्षा के लिए प्राथमिक विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र का अभाव जैसी समस्याओं से नागरिक यहां जूझ रहे हैं. इससे निजात के लिए नगर परिषद से कोई पहल नहीं होती देख लोग अफसरों व निर्वाचित प्रतिनिधियों को कोसते रहते हैं. पेश है वार्ड सात की स्कैन रिपोर्ट.
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जागरूकता के तमाम सरकारी प्रयास यहां साबित हो रहे हैं बेमतलब
नगर के चौमुखी विकास की हकीकत शहर के कई मुहल्लों में धरातल पर नजर नहीं आ रही है. शहर का वार्ड नंबर सात की बारह हजार आबादी अब भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहा है.जर्जर सड़कें, जाम नालियां, बुनियादी शिक्षा के लिए प्राथमिक विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र का अभाव जैसी समस्याओं से […]
पुल के अभाव में नाव से सफर करते हैं यहां नगरवासी
सबसे अधिक मलीन बस्ती, जहां खुले में शौच को जाते हैं लोग
सीवान : वार्ड नंबर सात में आगु छपरा, नया किला, आजाद बस्ती, नवलपुर नया किला, आशी नगर मुहल्ले के नाम से अलग-अलग टोले बसे हैं. इनमें से आगु छपरा सरकारी रिकाॅर्ड में मलीन बस्ती के रूप में दर्ज है. इन मुहल्लों की तसवीर देखने से कई जगह शहरी होने का कोई एहसास नहीं होता. अधिकांश मुहल्लों में चौड़ी सड़कों के बजाय तंग गलियां मौजूद हैं. इनमें से अधिकतर कच्ची सड़कें हैं. पिच व आरसीसी सड़कें वार्ड के किसी खास हिस्से में ही बनी हैं.
अधिकांश इलाकों में इसका अभाव होने के कारण नागरिक विकास योजनाओं को लेकर नगर पर्षद पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. नगर के विकास के दावे पर यहां लोगों का खुले में शौच करना किसी कलंक से कम नहीं है. मलीन बस्ती आगु छपरा में सरकारी योजना से अधिकतर घरों में शौचालय बने हैं. लेकिन, हाल यह है कि ये शौचालय स्टोर रूम बने हुए हैं. ये लोग खुले में शौच करने जाते हैं. इसको लेकर जागरूकता के तमाम सरकारी प्रयास यहां बेमतलब साबित हो रहे हैं. इसके अलावा नालों की सफाई नहीं होने से ये सब मिट्टी व कचरे से पटे हुए हैं. इस कारण कई स्थानों पर नाली की पहचान करना भी मुश्किल है. दूसरी तरफ मुहल्ले के कुछ लोगों को पुल के अभाव में यहां नाव से नदी पार करना होता है. आगु छपरा के अधिकतर लोग दाहा नदी के उस पार नगर के ही कंधवारा मुहल्ले में जाने के लिए नाव का प्रयोग करते हैं. यहां के लोगों के मुताबिक, कंधवारा मुहल्ले में जाने के लिए डेढ़
किलोमीटर सफर कर पुल पार करना होता है और इसके बाद पांच किलोमीटर और चलना पड़ता है. ऐसे में मजबूरी में लोग दो रुपये नाविक को देकर नदी पार करते हैं. इससे निजात के लिए लोग पुल का निर्माण लंबे समय से कर रहे हैं.
न आंगनबाड़ी, न विद्यालय : बुनियादी शिक्षा पर जोर देने के बाद भी हाल यह है कि यहां मुहल्ले के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्र व प्राथमिक विद्यालय भी नहीं हैं. इसके चलते बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए दूसरे वार्ड में जाना पड़ता है. साथ ही कई बच्चे मजबूरन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने को मजबूर होते हैं.
प्राथमिकता के आधार पर खर्च होती है राशि
विकास के लिए आवंटित राशि प्राथमिकता के आधार पर बुनियादी विकास पर पहले खर्च की जाती है. लोगों की जरूरत के लिहाज से सड़कों के विस्तार व जीर्णोद्धार से लेकर नालियों के निर्माण तक के लिए बजट का कम आवंटन ही विकास में बाधक बन रहा है. विद्यालय व आंगनबाड़ी के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया है.
रीता देवी, वार्ड पार्षद
क्या कहते हैं लोग
कंधवारा आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना से कई बार पुल का प्रस्ताव तैयार किया गया, पर अमल नहीं हुआ. इस कारण परेशानी बरकरार है.
गिरजा देवी
मुहल्ले में बुनियादी शिक्षा के लिए आंगनबाड़ी व प्राथमिक विद्यालय नहीं है. इस कारण प्रारंभिक शिक्षा के लिए डेढ़ किलोमीटर बच्चों को हर दिन जाना पड़ता है. इसकी शिकायत नगर पर्षद व जिला पदाधिकारी तथा शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों से की जा चुकी है.
मुन्नी देवी
नाला निर्माण नहीं होने से जलनिकासी
की स्थायी समस्या है. इसके कारण वर्ष भर जलजमाव सड़कों पर बना रहता है. विकास कार्यों में भी यहां नगर पर्षद द्वारा भेदभाव किया जाता है.
मो. शाकिर
मुहल्ले में अधिकांश स्थानों पर कच्ची सड़कें ही मौजूद हैं. वहीं, राहगीरों को होनेवाली परेशानी से निजात दिलाने की कभी नगर पर्षद ने पहल नहीं की. ऐसे में लोगों को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अबुतल्लाहा
विकास के नाम पर वार्ड पार्षद द्वारा केवल कोरम पूरा किया गया है. कुछ चिह्नित स्थानों पर ही विकास की किरणें पहुंची हैं. विकास कार्यों को लेकर भेदभाव की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से भी की गयी है. लेकिन, उसका निदान नहीं निकला.
मो. वसीम
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