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पुलिस अफसर पर हमला करनेवाले छह डकैत बरी
साक्ष्य के अभाव में सभी आधा दर्जन आरोपित दोषमुक्त सीवान : एडीजे पांच मो. एजाजुद्दीन के कोर्ट ने 13 वर्ष पूर्व एक पुलिस अफसर पर डकैतों द्वारा किये गये जानलेवा हमला के मामले में सभी आरोपितों को गुरुवार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.इस घटना में आठ पुलिसकर्मियों सहित कुल 11 गवाह थे. […]
साक्ष्य के अभाव में सभी आधा दर्जन आरोपित दोषमुक्त
सीवान : एडीजे पांच मो. एजाजुद्दीन के कोर्ट ने 13 वर्ष पूर्व एक पुलिस अफसर पर डकैतों द्वारा किये गये जानलेवा हमला के मामले में सभी आरोपितों को गुरुवार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.इस घटना में आठ पुलिसकर्मियों सहित कुल 11 गवाह थे.
बसंतपुर थाने के बाजीपुर गांव में तीन घरों में डकैती कर भाग रहे बदमाशों को पुलिस ने बसांव पंचपटिया धमई नदी के किनारे घेर लिया था. 4 नवंबर, 2003 की इस घटना में बसंतपुर थाने के सहायक अवर निरीक्षक ललन देव सिंह ने आधा दर्जन डकैतों पर फायरिंग कर जानलेवा हमला करने व सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने की प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
इसकी कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाही के लिए 11 लोगों को नोटिस दिया गया. इसमें घटना के सूचक, सार्जेंट मेजर, अनुसंधानकर्ता समेत आठ पुलिसकर्मी व तीन ग्रामीण शामिल रहे. इसमें मात्र गवाही के लिए तीन ग्रामीण ही पहुंचे, जिन्होंने घटना का समर्थन नहीं किया. कोर्ट ने एसपी के माध्यम से गवाहों को सम्मन भेजा था. इसके बाद भी पुलिसकर्मी पेश नहीं हुए. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया है. इस मामले में एक आरोपित वजीर अहमद खां जेल में पहले से बंद था.
सीवान. प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी डीके मिश्र को लंबे समय से अंगरक्षक नहीं मिलने पर अब एसपी को पत्र लिख कर मुहैया कराने की मांग की है. आमतौर पर व्यवहार न्यायालय के सभी न्यायिक पदाधिकारियों को सरकारी अंगरक्षक मुहैया कराया गया है.
वहीं, यहां तैनात प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी डीके मिश्र को सुरक्षाकर्मी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसके लिए कोई पहल नहीं होने पर उन्होंने एसपी सौरभ कुमार साह को पत्र लिखा है. इसमें जल्द-से-जल्द सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने की मांग की गयी है. खास बात है कि इस कोर्ट में आर्म्स एक्ट के मामलों की सुनवाई हो रही है. इसमें अधिकतर मामलों में कुख्यात अपराधी भी आरोपित हैं. ऐेसे में सुरक्षा की विशेष जरूरत महसूस की जाती रही है.
लोक अभियोजक ने लगायी सुरक्षा की गुहार : लोक अभियोजक हरेंद्र सिंह को जान का खतरा होने के कारण उन्होंने सुरक्षा की गुहार लगायी है. पंचायत चुनाव के पूर्व तक उन्हें एक अंगरक्षक उपलब्ध कराया गया था. चुनाव में पुलिसकर्मी को हटाने के बाद फिर नयी तैनाती नहीं हुई है. इसकी शिकायत लोक अभियोजक ने डीएम व एसपी से की थी. लेकिन, लोक अभियोजक हरेंद्र सिंह के मुताबिक कोई सुनवाई नहीं होने पर अब जिला व सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखा है.
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