कैसे स्वच्छ हाेगा शहर. कचरा प्रबंधन योजना खटाई में, एक दशक से जमीन आवंटन का इंतजार
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दाहा नदी बनी ”कचरा डंपिंग यार्ड”
कैसे स्वच्छ हाेगा शहर. कचरा प्रबंधन योजना खटाई में, एक दशक से जमीन आवंटन का इंतजार शहर को स्वच्छ व शहर बनाने का सपना नहीं होता दिख रहा साकार सीवान की लाइफ लाइन कही जानेवाली दाहा नदी खतरे में सीवान : स्वच्छ व सुंदर शहर बनाने के सपने को साकार करने की नगर पर्षद की […]
शहर को स्वच्छ व शहर बनाने का सपना नहीं होता दिख रहा साकार
सीवान की लाइफ लाइन कही जानेवाली दाहा नदी खतरे में
सीवान : स्वच्छ व सुंदर शहर बनाने के सपने को साकार करने की नगर पर्षद की योजना में दम नजर नहीं आ रहा. एक दशक पूर्व कचरा प्रबंधन की योजना बना कर खुद नगर पर्षद ने उसे भुला दिया. लिहाजा हर दिन निकल रहे शहर के कचरे से दाहा नदी पट रहा है. इससे नदी को निर्मल बनाना एक और चुनौती बनती जा रही है. स्थिति यह है कि दाहा नदी कचरा डंपिंग यार्ड में तब्दील होती जा रही है. तेजी से बढ़ती शहर की आबादी अपने साथ कई समस्याओं को भी लेकर आ रही है.
38 वार्डों की तकरीबन दो लाख आबादीवाले शहर में रिहायशी भवनों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. इसके अलावा कारोबार के लिहाज से प्रमुख शहर में शुमार होने के चलते व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की संख्या भी काफी अधिक है. इन सबसे हर दिन निकलनेवाले कचरे का निस्तारण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. इससे निदान एक चुनौती है.
प्रत्येक दिन 50 क्विंटल निकलता है कचरा: नगर से प्रत्येक दिन करीब 50 क्विंटल कचरा निकलता है. शहर की सफाई के लिए लगाये गये नगर पर्षद कर्मी के अलावा प्राइवेट एजेंसी भी कूड़ा उठाने के लिए लगायी गयी है. सुबह से लेकर दोपहर तक कूड़ा उठाते ये सफाई कर्मी नजर आते हैं. ठेले के सहारे कूड़ा उठा कर कूड़ा प्वाइंट पर जमा किया जाता है. यहां से ट्रैक्टर ट्राॅली के सहारे कूड़ा उठा कर नगर क्षेत्र से सटे रेनुआ गांव के पास नदी के तट पर गिरा दिया जाता है.
नदी के अंदर प्रवाहित होते रहता है कचरा : शहर से निकलनेवाले कूड़े के संबंध में सफाईकर्मियों का कहना है कि तकरीबन पांच टैक्टर लगाये जाते हैं. इन ट्रैक्टरों से सफाई कर्मी कूड़ा उठा कर रेनुआ गांव के दाहा नदी से सटे क्षेत्र में गिराते हैं. इस जमीन को नगर पर्षद ने ग्रामीणों से कूड़ा गिराने के लिए भाड़े पर लिया है. हाल यह है कि नदी से सटा यह हिस्सा होने के कारण यह कूड़ा नदी के अंदर प्रवाहित होते रहता है. बरसात के दिनों में इसका असर सर्वाधिक होता है. कूड़ा गिरानेवाला स्थल ढाल पर है. इसके चलते भी आसानी से कूड़ा नदी में समा जाता है.
शहर का गंदा पानी नदी में हो रहा प्रवाहित : सीवान की लाइफ लाइन कही जानेवाली दाहा नदी अब खतरे में है. नदियों को साफ रखने की देश भर में चल रही मुहिम के विपरीत यहां शहर का गंदा पानी हर दिन नालियों के सहारे नदी में प्रवाहित हो रहा है. हाल यह है कि अब तक शहर की सभी नालियों को जोड़ने के लिए मुख्य नालों का सभी ओर निर्माण नहीं हुआ है. इस कारण अन्यत्र गंदा पानी बहाने की योजना नहीं बन सकी है. इसका नतीजा है कि कचरे के साथ गंदा पानी भी नदी में समा रहा है.
ये फैसले, जिन पर नहीं हुआ अमल : नगर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए नगर पर्षद की कई योजनाएं फाइलों में धूल फांक रही हैं. जिन योजनाओं के धरातल पर उतरने की स्थिति में शहर को कचरे के चलते संक्रामक बीमारियों के फैलने की चिंता से मुक्त किया जा सकता था. उस पर पहल के लिए लोगों को इंतजार है.
कचरा प्रबंधन योजना : शहर से हर दिन निकलनेवाले कचरे को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाने के लिए एक दशक पूर्व नगर पर्षद ने योजना बनायी थी. कचरा प्रबंधन की इस योजना के तहत कचरे का बाइकंपोस्ट तैयार करने के साथ ही बिजली उत्पादन की भी योजना बनायी गयी थी. इसके लिए जमीन अब तक उपलब्ध नहीं सकी है. 10 वर्षों में भी जमीन तलाशने में विफल रहे नगर पर्षद के सामने यह बड़ी समस्या बनती जा रही है.
वाटर प्यूरीफायर प्लांट : कचरा निस्तारण के अलावा गंदे पानी को भी उपयोगी बनाने की योजना नगर पर्षद की फाइल में कैद होकर रह गया है. लोगों के घरों से निकलनेवाले नालों के पानी को एक स्थान पर एकत्रित कर उसे प्यूरीफायर प्लांट की मदद से पीने लायक बनाने की योजना तैयार की गयी थी, जिससे गंदा पानी से निजात मिलने के साथ ही पेयजल संकट से काफी हद तक निजात मिलने की उम्मीद जगी. साथ ही इस प्रयास से दाहा नदी को दूषित होने से बचाया जा सकता है. ये सारे प्रयास जमीन के अभाव में लंबित पड़े हैं.
प्रत्येक दिन करीब 50 क्विंटल निकलता है कचरा
कचरा प्रबंधन व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए नगर पर्षद प्रयासरत है. दो-तीन जगहों पर जमीन चिह्नित किया गया है. इसके आवंटन के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनायी जा रही है. शहर को स्वच्छ रखने में नगरवासियों का भी सहयोग आवश्यक है.
बबलू प्रसाद
नगर सभापति, नगर पर्षद, सीवान
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