लेखा-जोखा. करोड़ों की लागत से बनी जलमीनार कनेक्शन के अभाव में साबित हो रही सफेद हाथी
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करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं मिल रहा स्वच्छ जल
लेखा-जोखा. करोड़ों की लागत से बनी जलमीनार कनेक्शन के अभाव में साबित हो रही सफेद हाथी लक्ष्य के सापेक्ष 10 प्रतिशत घरों में भी नहीं हो सका है वाटर कनेक्शन पांच हजार सरकारी चापाकल भी हैं खराब लोगों में जागरूकता व अभियान की है जरूरत हाल ग्रामीण पेयजल योजना का सीवान : सरकार द्वारा सभी […]
लक्ष्य के सापेक्ष 10 प्रतिशत घरों में भी नहीं हो सका है वाटर कनेक्शन
पांच हजार सरकारी चापाकल भी हैं खराब
लोगों में जागरूकता व अभियान की है जरूरत
हाल ग्रामीण पेयजल योजना का
सीवान : सरकार द्वारा सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लगातार दावा किया जाता है और सरकारी स्तर पर इसके लिए कई योजनाएं भी संचालित की जाती हैं, लेकिन अब भी एक बड़ी आबादी तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीण स्तर पर यह स्थिति और भी खराब है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा जिले में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अंतर्गत करोड़ों की लागत से 18 जलमीनारों की स्थापना की गयी है.
इनमें से अधिकतर जलमीनारें सफेद हाथी ही साबित हो रही हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सभी जलमीनार चालू हालत में हैं, लेकिन आम तौर पर हमें स्टैंड पोस्टों पर ही वाटर सप्लाइ नजर आता है. पूरे जिले में मुश्किल से 350 घरों में ही वाटर सप्लाइ का कनेक्शन विभागीय आंकड़ों के अनुसार बताया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जलापूर्ति योजना की स्थिति सहज ही समझी जा सकती है.
पांच हजार चापाकल पड़े हैं खराब : आज जिले में 44,441 चापाकल विभाग द्वारा लगाये गये हैं. इसमें से 39,378 चापाकल काम कर रहे हैं. विभाग के आंकड़ों की मानें, तो पांच हजार 63 चापाकल खराब पड़े हैं. हालांकि वास्तविकता में इनकी संख्या अधिक है. लोगों की शिकायत है कि विभाग को सूचना देने के बाद भी चापाकल समय से नहीं बनाया जाता है. वहीं, विभाग का कहना है कि उसके द्वारा मोबाइल वाहन का संचालन किया जा रहा है, जो जगह-जगह पहुंच कर चापाकल का मरम्मती कर रहा है.
जलमीनारों की स्थिति : हर घर स्वच्छ जल पहुंचाने के उदेश्य से लोेक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गयी. इसके तहत 18 जलमीनारों की स्थापना की गयी है. लेकिन घरों में कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराने के कारण इस योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. मुश्किल से 10 प्रतिशत घरों तक ही वाटर सप्लाइ की सुविधा उपलब्ध हो सकी है. वहीं, करीब 25 प्रतिशत स्टैंड पोस्ट सप्लाइ भी बाधित है. इस कारण गरमी के दिनों में लोगों को पानी पीने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
मिनी जलमीनारें हैं ज्यादा सफल : ग्रामीण स्तर पर दो दर्जन से अधिक स्थानों पर मिनी जलमीनारों की स्थापना की गयी है, जो लाखों की लागत से बननेवाले जलमीनार की अपेक्षा ज्यादा सफल और कारगर दिख रही है. साथ ही सौर्य ऊर्जा से परिचालन के कारण यहां विद्युत कनेक्शन आदि की भी समस्या नहीं है. वहीं कम लक्ष्य के कारण भी यह सफल हो रही है.
पानी के कनेक्शन के लिए अभियान की जरूरत : किसी भी योजना की सफलता के लिए प्रचार प्रसार और अभियान की जरूरत होती है. लेकिन, ऐसा लगता है कि प्रचार प्रसार के अभाव में वाटर सप्लाइ योजना पिछड़ कर रह गयी है. इस कारण लोगों में पानी का कनेक्शन लेने के लिए उत्सुकता नहीं है. वहीं, लोगों में जानकारी का भी अभाव है.
अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग द्वारा नि:शुल्क वाटर कनेक्शन दिया जा रहा है. ऐसे में लोगों में इसके प्रति जागरूकता और अभियान की जरूरत है. आम तौर पर लोगों में सप्लाइ वाटर की क्वालिटी को लेकर भी संदेह रहता है. लेकिन, यह लोगों द्वारा अपने घर में लगाये गये चापाकल के पानी से कई गुना शुद्ध और स्वच्छ होता है. सामान्य तौर पर ग्रामीण स्तर पर 50 से 60 फुट ही बोर कराया जाता है. वहीं, वाटर सप्लाइ के लिए 300 फुट से अधिक बोर कराया जाता है. ऐसी स्थिति में लोगों में जागरूकता और वाटर कनेक्शन के लिए प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है.
क्या कहते हैं अधिकारी
हर व्यक्ति को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध हो, यह सरकार की योजना है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग इस दिशा में लगातार कार्यरत है. आम जनता से अनुरोध है कि वह अपने घरों में वाटर कनेक्शन अवश्य कराएं. शुद्ध पेयजल अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. वाटर कनेक्शन बढ़ाने के लिए विभाग भी अभियान चला रहा है.
सुरेश प्रसाद शुर, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी, सीवान
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