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सुरक्षा में चूक. छपरा कोर्ट परिसर में विस्फोट के बाद फिर उठा न्यायालय में सुरक्षा व्यवस्था का मामला

फायरिंग-विस्फोट का गवाह रहा है सीवान कोर्ट कई अापराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है सीवान कोर्ट परिसर में सोमवार की सुबह छपरा कोर्ट परिसर में हुई बम विस्फोट की घटना ने एक बार फिर न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में बरती जा रही ढील पर लोगों को सोचने के लिए विवश कर दिया. […]

फायरिंग-विस्फोट का गवाह रहा है सीवान कोर्ट

कई अापराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है सीवान कोर्ट परिसर में
सोमवार की सुबह छपरा कोर्ट परिसर में हुई बम विस्फोट की घटना ने एक बार फिर न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में बरती जा रही ढील पर लोगों को सोचने के लिए विवश कर दिया. कोर्ट परिसर की सुरक्षा के प्रति जिला व पुलिस प्रशासन की खामियों को स्पष्ट तौर पर महसूस किया जा सकता है. लोगों का कहना है कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाने के लिए अपराधियों को ज्यादा मशक्कत करने की आवश्यकता नहीं है.
सीवान : जिले में चर्चित आपराधिक घटनाओं से जुड़े कई कारनामों का यहां का कचहरी परिसर भी उदाहरण रहा है.न्यायालय परिसर में मुकदमे की पैरवी को लेकर आये मुवक्किल के बीच की रंजिश को लेकर हो या पुलिस अभिरक्षा से अभियुक्त को छुड़ाने की मंशा से ताबड़तोड़ फायरिंग व गोलीबारी की आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें कई लोगों की मौत भी हुई है. वहीं, हमले में जख्मी होनेवालों की संख्या भी कम नहीं है.
इसके बाद भी कोर्ट परिसर की सुरक्षा को लेकर कभी प्रशासन गंभीर नहीं दिखा. सोमवार को छपरा कोर्ट परिसर में विस्फोट की घटना के बाद एक बार फिर न्यायालयों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगा है. पुलिस प्रशासन के न्यायालय परिसर में सुरक्षा को लेकर कोताही बरतने के चलते विस्फोट व गोलीबारी की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रही है.
कोर्ट की सुरक्षा में हर तरफ चूक : न्यायालय परिसर की सुरक्षा के मामले में हर तरफ चूक नजर आती है. इसकी खामियों में कोर्ट परिसर की मुकम्मल चहारदीवारी का नहीं होना प्रमुख है. आम जन के आने-जाने का रास्ता ही विभिन्न कोर्ट कैंपस के पास से है. इसके रास्ते में दोपहिया व चारपहिया वाहनों की आवाजाही रहती है.
इसके चलते सब पर नजर रखना प्रशासन के लिए संभव नहीं है. दूसरी तरफ न्यायालय परिसर में सुरक्षा के भी ठोस इंतजाम नजर नहीं आते हैं. जब भी कोर्ट से अभियुक्त के फरार होने या हमले की घटना होती है, तब चंद दिनों के लिए मेटल डिटेक्टर से लैस पुलिसकर्मी नजर आते हैं. इसके बाद सुरक्षा में चूक का मामला एक बार फिर दोहराया जाता है.

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