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एक सप्ताह में दो मौत, अस्पताल प्रशासन पर उठ रहे सवाल

एक सप्ताह में दो मौत, अस्पताल प्रशासन पर उठ रहे सवाल फोटो-1-लावरिस हालत में अस्पताल में पड़ा अधेड़ (फाइल फोटो) 2-लावरिस हालत में अस्पताल में पड़ा अधेड़ (फाइल फोटो).लावारिस अधेड़ ने इलाज के अभाव में दम तोड़ासीवान . सदर अस्पताल में चिकित्सकों व अन्य स्वाथ्यकर्मियों की फौज के बावजूद इलाज में लापरवाही कम होती नजर […]

एक सप्ताह में दो मौत, अस्पताल प्रशासन पर उठ रहे सवाल फोटो-1-लावरिस हालत में अस्पताल में पड़ा अधेड़ (फाइल फोटो) 2-लावरिस हालत में अस्पताल में पड़ा अधेड़ (फाइल फोटो).लावारिस अधेड़ ने इलाज के अभाव में दम तोड़ासीवान . सदर अस्पताल में चिकित्सकों व अन्य स्वाथ्यकर्मियों की फौज के बावजूद इलाज में लापरवाही कम होती नजर नहीं आ रही है. एक सप्ताह में दो लावारिस अधेड़ों की मौत अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर करने के लिए काफी है. एक व्यक्ति दो माह से तो दूसरा एक सप्ताह से लावारिस हालत में पड़ा रहा,पर उन्हें भरती करने की भी अस्पताल प्रशासन ने जहमत नहीं उठायी. नतीजतन दोनों ने कड़ाके की ठंड में इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. इसके बाद पोस्टमार्टम के लिए मात्र अस्पताल प्रशासन ने पुलिस तक सूचना पहुंचाने की कार्रवाई की.मौत के कारणों को जानने का हक : गरीबी व भुखमरी से हो रही मौतों पर जनहित याचिका दायर करने वाले सोशल वर्कर मनोज मिश्र कहते हैं कि हर मौत के कारणों को जानने का हक लोगों को है. साथ ही मौत के लिए जिम्मेवार प्रशासन पर कार्रवाई की करने की सर्वोच्च न्यायालय ने गाइड लाइन जारी की है, जिसका अनुपालन लगातार नहीं हो रहा है.लावारिश अधेड़ व वृद्ध का नहीं लेते संज्ञान : शहर से लेकर कसबों तक सार्वजनिक स्थलों पर लावारिस हालत में असहाय लोग आये दिन पड़े रहते हैं, जिनमें औसत उम्र अधेड़ या वृद्ध होते हैं, जिनका संज्ञान लेने के बजाय जवाबदेह अफसरों का यह जुमला बन गया है कि पागल था. लावारिस को संज्ञान में लिए बिना पागल करारते हुए उसकी सुध न लेना उनकी मौत का कारण बन रहा है.स्वास्थ्य प्रशासन नहीं लेता जिम्मेवारी : एक सप्ताह में दो लावारिस व्यक्तियों की अस्पताल में मौत होती है.पहला व्यक्ति छह जनवरी को अस्पताल कैंपस में ही दम तोड़ देता है. यहां तैनात कर्मी ही कहते हैं कि पिछले दो माह से यह यहां पड़ा था. 38 वर्ष के युवक के पैर में घाव उसकी पीड़ा को दासाते थे. यहां हर दिन आने वाला एक सफाई कर्मी ही कभी -कभी सुध ले लेता था.उसने उसे कई बार घर से लाकर खाना खिलाया. लेकिन उसके इलाज व अन्य इंतजाम की सदर अस्पताल ने कोई कोशिश नहीं की. वहीं दूसरा व्यक्ति एक सप्ताह पूर्व यहां कहीं से लाया जाता है. प्रत्यक्षदर्शी उसे रात में मैरवा पुलिस के लाकर रख देने की बात कहते हैं. इसके भी पैर में घाव था. रात में कड़ाके की ठंड से और बेजान हो जाता था. उसने अस्पताल कैंपस में ही 16 जनवरी की रात दम तोड़ दिया.पुलिस ने दोनों का कराया पोस्टमार्टम : पुलिस का कहना है कि दोनों के लावारिस हालत में पड़े होने की सदर अस्पताल ने कोई सूचना नहीं दी थी. दोनों व्यक्तियों की मौत के बाद ही सूचना मिली. शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करा दिया गया. कोई वारिस न होने के कारण पुलिस ने ही अंतिम संस्कार किया.क्या कहते हैं अधिकारीअस्पताल में बीमार लावारिस व्यक्ति का इलाज कराया जाता है.अस्पताल कैंपस में इलाज के अभाव में किसी की मौत का मामला संज्ञान में नहीं है. हालांकि दोनों लावारिस व्यक्तियों की इलाज के दौरान मौत हुई है. डाॅ एमके आलम, उपाधीक्षक,सदर अस्पताल,सीवान

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