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उपेक्षा का दंश झेल रही ग्राम कचहरी

महाराजगंज : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2001 से सरकार द्वारा प्रत्येक पांच साल पर कराया जा रहा है. वहीं अभी तक ग्राम कचहरी का वास्तविक कार्य धरातल पर नहीं दिख रहा है, जिस पर पटना हाइकोर्ट ने भी टिप्पणी की थी. बावजूद इसके ग्राम कचहरी में प्रदत्त धाराओं का अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्यान्वयन नहीं हो […]

महाराजगंज : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2001 से सरकार द्वारा प्रत्येक पांच साल पर कराया जा रहा है. वहीं अभी तक ग्राम कचहरी का वास्तविक कार्य धरातल पर नहीं दिख रहा है, जिस पर पटना हाइकोर्ट ने भी टिप्पणी की थी. बावजूद इसके ग्राम कचहरी में प्रदत्त धाराओं का अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्यान्वयन नहीं हो रहा है.

लोगों को हो रही परेशानी : प्रदत्त धाराओं का ग्राम कचहरी में प्रयोग नहीं होने से लोग छोटे-छोटे मामले में थाने का चक्कर लगाते हैं. छोटे- छोटे मामलों के निबटाने के लिए सरकार द्वारा थाना अंचल तक व्यवस्था है, लेकिन सही कार्रवाई नहीं होने के कारण लोग परेशान हो रहे हैं.
ग्राम कचहरी के पास कौन- कौन हैं प्रदत्त भादवि की धाराएं
धारा, 140, 142, 143, 145, 153, 160, 172, 174, 178, 179, 277, 283, 285, 286, 289, 290, 294, 323, 334, 336, 341, 352, 356, 357, 358, 374, 403, 426, 428, 430, 447,448, 502, 504, 506, 510, 379, 380, 381 व 411 के अधीन 10 हजार रुपये मूल्य तक की चुरायी गयी संपत्ति तक के मामलों में कार्रवाई का अधिकार है. यह ग्राम कचहरी का दायरा है. लेकिन इस अधिकार का प्रयोग नहीं होने से गरीब गुरबा के मामले भी थाने में जाते हैं.
क्या कहते हैं लोग
लोगों का मानना है कि सरपंच पढ़ा-लिखा व्यक्ति हो, तभी जनता का कल्याण हो सकता है. अधिवक्ता रवींद्र सिंह, सत्येंद्र सिंह, सुदामा ठाकुर, खुर्शीद आलम, दिनेश कुमार, पीपी रंजन, केके सिंह आदि का कहना है कि सरकार सरपंच पद के लिए योग्यता निर्धारित होती तो न्याय मित्र को भी निर्णय लेने में परेशानी नहीं होती.
जब न्याय देने वाले को ही न्याय के बारे में जानकारी नहीं हो, तो तो इंसाफ की बात बेमानी कही जायेगी.

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