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सीवान में विदेशी बौद्ध भिक्षुओं का होगा समागम : भंते सुमेधो

द्रोण स्तूप के समीप पीपल के वृक्ष के नीचे भिक्षुओं ने लगाया ध्यान दरौली/सीवान : थाइलैंड व वियतनाम से आये विदेशी बौद्ध भिक्षुओं ने मंगलवार को तीसरे दिन दरौली प्रखंड के प्राचीन द्रोण स्तूप को देखा. स्तूप के समीप स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे सभी बौद्ध भिक्षुओं ने साधना की. वियतनाम से आये बौद्ध […]

द्रोण स्तूप के समीप पीपल के वृक्ष के नीचे भिक्षुओं ने लगाया ध्यान

दरौली/सीवान : थाइलैंड व वियतनाम से आये विदेशी बौद्ध भिक्षुओं ने मंगलवार को तीसरे दिन दरौली प्रखंड के प्राचीन द्रोण स्तूप को देखा. स्तूप के समीप स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे सभी बौद्ध भिक्षुओं ने साधना की. वियतनाम से आये बौद्ध भिक्षु भंते सुमेधो ने कहा कि इस धरती पर साधना करने से भगवान गौतम बुद्ध की तरंगें झलकती है.
उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इस धरती पर विदेशी बौद्ध भिक्षुओं का समागम कराया जायेगा. सीवान का पूरा क्षेत्र बौद्ध धरोहर है और इसके गर्भ में भगवान गौतम बुद्ध की अनेक स्मृतियां छिपी हुई हैं. बौद्ध भिक्षु दरौली के समीप अमरपुर केवटलिया गांव गये तथा मौर्य कालीन बौद्ध महल को देखा.
भंते अशोक ने बताया कि चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांतों में दरौली की चर्चा करते हुए इसे ब्राह्मणों का शहर बताया है. इसका प्राचीन नाम द्रोणावली था. दरौली पहुंचने पर ग्रामीणों ने विदेशी बौद्ध भिक्षुओं का स्वागत किया. शिक्षक कृष्ण कुमार सिंह ने बौद्ध भिक्षुओं को भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा देकर सम्मानित किया. वहीं चित्रकार रजनीश व गौरव बंटी ने मौर्य कालीन ईंट व
मिट्टी की सुराही से बौद्ध भिक्षुओं को सम्मानित किया.

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