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संरचनात्मक ढांचा तैयार नहीं

जितेंद्र/मनीष कुव्यवस्था : एक अरब 16 करोड़ सात हजार रुपये बकाया विद्युत आपूर्ति में सुधार के चलते शहर से लेकर गांव की गलियां रोशन होने लगी हैं. इसके बाद भी 14 घंटे आपूर्ति की उम्मीद अभी पूरी होनी बाकी है.आपूर्ति में सुधार के साथ बिल वितरण व वसूली की शिथिल प्रक्रिया के चलते प्रत्येक माह […]

जितेंद्र/मनीष
कुव्यवस्था : एक अरब 16 करोड़ सात हजार रुपये बकाया
विद्युत आपूर्ति में सुधार के चलते शहर से लेकर गांव की गलियां रोशन होने लगी हैं. इसके बाद भी 14 घंटे आपूर्ति की उम्मीद अभी पूरी होनी बाकी है.आपूर्ति में सुधार के साथ बिल वितरण व वसूली की शिथिल प्रक्रिया के चलते प्रत्येक माह सरकारी बकाया करोड़ों रुपये बढ़ता जा रहा है. लिहाजा विभाग घाटे का रोना रो रहा है,तो दूसरी तरफ बिलों में गड़बड़ी की मार उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है.
सीवान : जिले में बिजली आपूर्ति में पिछले एक दशक से तेजी से सुधार हुआ है, जिसका असर है कि अब उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ कर दो लाख तीन हजार हो गयी है. यह संख्या 10 वर्ष पूर्व तक आधी से भी कम थी.
दूसरी तरफ कई दिनों तक आपूर्ति पूर्व में नहीं होती थी. अगर आपूर्ति होती भी थी, तो लो वोल्टेज की आम शिकायत रहती थी. 10 वर्ष में बिजली विभाग ने सुधार के मामले में लंबा सफर तय किया है. इसके साथ ही सच्चाई यह है कि उपभोक्ताओं की संख्या के बोझ के साथ ही संरचनात्मक सुधार नहीं हुए.
कहते हैं अधिकारी
विद्युत आपूर्ति में सुधार के साथ बकाये की वसूली व बिलों में गड़बड़ी दूर करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है, जिससे विभाग पर बढ़ता आर्थिंक बोझ कम किया जा सके. निर्माणाधीन सब स्टेशन का कार्य पूरा हो जाने पर आपूर्ति में सुधार होगा. कर्मियों की संख्या भी बढ़ायी जा रही है. इससे मीटर रीडिंग व बिल में गड़बड़ी की शिकायत कम होगी.
मनोज कुमार रजक
विद्युत कार्यपालक अभियंता,सीवान
प्रत्येक माह 50% बिलों की नहीं होती वसूली
बिलों में गड़बड़ी का असर भुगतान पर साफ दिख रहा है. प्रत्येक माह आठ करोड़ 68 लाख रुपये का बिल जिले के उपभोक्ताओं के पास आता है, जिसमें से तकरीबन चार करोड़ ही जमा हो पाता है. इस समय जिले में एक अरब 16 करोड़ सात हजार रुपये का बिल उपभोक्तओं पर बकाया है. बिल में गड़बड़ी की शिकायत लेकर जाने पर कार्यालय में सुधार कराने के लिए लंबी फेहरिस्त तय करनी पड़ती है. एक साथ अधिक रकम दे पाना उपभोक्ताओं के लिए परेशानी भरा होता है.
मीटर रीडिंग में गड़बड़ी की शिकायत
आपूर्ति में सुधार के साथ ही बिल वितरण की समस्या बढ़ती गयी. एक दशक के अंदर देखें, तो पूर्व में उपभोक्ताओं के घरों तक कर्मचारी बिल पहुंचाते थे. लोगों के घरों तक बिल न पहुंचने की स्थिति में बिल वितरण को प्राइवेट सेक्टर को दे दिया गया. एजेंसीकर्मी ही उपभोक्ताओं के घरों पर जाकर मीटर रीडिंग के साथ बिल भी पहुंचाते हैं.
इसके साथ ही अब नये प्रयोग के तहत उपभोक्ताओं के मोबाइल पर ही बकाये का मैसेज आने लगा है. जिले में फ्रेंचाइजी के पास 94 कर्मी इस काम में लगे हैं. जबकि प्रत्येक एक हजार पर एक कर्मचारी को तैनात करने का आदेश है. इसके अनुसार जिले को 94 के बजाय 186 कर्मी होने चाहिए. तकरीबन आधे कर्मियों के होने के कारण मीटर रीडिंग व बिल वितरण प्रभावित होना स्वाभाविक है.
मौजूदा व्यवस्था के तहत आये दिन मीटर रीडिंग में गड़बड़ी की शिकायत आती है. प्रत्येक मीटर रीडिंग पर साढ़े पांच रुपये व बिल वितरण पर डेढ़ रुपये फ्रेंचाइजी को कमीशन है. उपभोक्ताओं की शिकायत है कि दरवाजे तक रीडिंग के लिए आने के बजाय ये एजेंसीकर्मी मनमानी रीडिंग लिख दे रहे हैं, जिसमें सुधार के लिए उपभोक्ताओं को कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. इसके बाद भी समय से सुधार न होने से बिल का बोझ उपभोक्ताओं पर बढ़ता जा रहा है.
ट्रांसफार्मरों के क्षमता विस्तार का कार्य अधूरा : उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने से ओवरलोड की शिकायत भी बढ़ी है, जिसके निदान के लिए ट्रांसफाॅर्मर क्षमता का विस्तार विभागीय योजना में है.
इसके अनुसार क्षमता विस्तार का कार्य जारी है. समय से कार्य पूरा न होने के कारण अभी गतिरोध बरकार है. प्रखंडवार गुठनी, दरौली, लकड़ीनबीगंज, नौतन, हसनपुरा समेत 10 प्रखंडों में सब स्टेशन निर्माण का कार्य अभी चल रहा है. ये सभी कार्य राजीव गांधी विद्युतीकरण परियोजना के तहत कराये जा रहे है, जिसके पूरा होने के बाद आपूर्ति में गुणात्मक सुधार की उम्मीद है.
मांग से आधी होती है आपूर्ति : जिले में सुचारु ढंग से बिजली आपूर्ति के लिए 80 मेगावट बिजली की आवश्यकता है, जिसके आधार पर 24 घंटे आपूर्ति की जा सकती है.जबकि इस समय 45 से 50 मेगावाट ही बिजली मिल रही है. जिसके कारण लो वोल्टेज व आये दिन आपूर्ति बाधित होने की शिकायत रहती है. इसके अलावा लोकल फाॅल्ट व जर्जर तार से आपूर्ति के कारण भी सुचारु ढंग से बिजली नहीं मिल पाती है.

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