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मुकदमों के निबटारे में आड़े आ रहे पुलिस व चिकत्सिक

मुकदमों के निबटारे में आड़े आ रहे पुलिस व चिकित्सक फोटो-न्यायालय का लोगों फ्लैग- लापरवाही- गवाहों के हाजिर न होने से सेशन कोर्ट में लंबित हैं चार सौ मामलेडीएम ने सरकारी गवाहों का डाटा बेस तैयार करने का दिया निर्देशदंडाधिकारियों के कोर्ट में लंबित मामलों में अधिकतर पुलिस पदाधिकारी ही हैं गवाहडीएम की समीक्षा बैठक […]

मुकदमों के निबटारे में आड़े आ रहे पुलिस व चिकित्सक फोटो-न्यायालय का लोगों फ्लैग- लापरवाही- गवाहों के हाजिर न होने से सेशन कोर्ट में लंबित हैं चार सौ मामलेडीएम ने सरकारी गवाहों का डाटा बेस तैयार करने का दिया निर्देशदंडाधिकारियों के कोर्ट में लंबित मामलों में अधिकतर पुलिस पदाधिकारी ही हैं गवाहडीएम की समीक्षा बैठक में हुआ खुलासाइंट्रो- हत्या व जानलेवा हमला समेत संगीन जुर्म के तमाम मामले सेशन कोर्ट में गवाहों के हाजिर न होने से लंबित पड़े हैं.जिसके चलते सर्वोच्च न्यायालय की लोगों को त्वरित न्याय दिलाने की मंशा पर सरकारी अफसर ही पानी फेरते नजर आ रहे हैं.ऐसे में मात्र सीवान जिले में चार सौ से अधिक मुकदमे की फाइल कोर्ट में धूल फांक रही है और पीडि़त न्याय के लिए भटक रहे हैं.ऐसे मामलों में सबसे अधिक सरकारी गवाह के रूप में पुलिस व चिकित्सक ही पीडि़त को न्याय दिलाने में आड़े रहे हैं.संवाददाता, सीवानजिला पदाधिकारी महेंद्र कुमार ने सेशन कोर्ट में लंबित मामलों की पैरवी करनेवाले लोक अभियोजक व सहायक अभियोजक की बैठक में मुकदमों की समीक्षा की. इस दौरान तकरीबन चार सौ से अधिक मामले गवाही के अभाव में लंबित होने की बात सामने आयी. लोक अभियोजक हरेंद्र सिंह ने बताया कि 55 मामले लंबित हैं, जिनमें 13 दोनों पक्षों की बहस के लिए व चार बचाव पक्ष की गवाही के तथा शेष गवाही के अभाव में पड़े हुए हैं. लोक अभियोजक नरेश कुमार सिंह सरकार की तरफ से एनडीपीएस के मामलों की पैरवी कर रहे हैं. वे कहते हैं कि अब तक 60 मामले गवाही के लिए लंबित हैं. सहायक अभियोजक अनूप कुमार सिंह कहते हैं कि हमारे पास 10 मामले साक्ष्य के अभाव में पड़े हुए हैं. सहायक अभियोजक रवींद्र शर्मा व सुदामा ठाकुर के पास 46-46, कपिलदेव चौधरी के पास 45, याहिया खान व रंजन कुमार सिंह के पास छह-छह मामले, तारकेश्वर प्रसाद के पास 11, अक्षय लाल यादव के पास 16, अनिल कुमार पाठक के पास नौ, राजकुमारी गुप्ता के पास 33 मामले गवाही के अभाव में लंबित पड़े हैं.चिकित्सक व पुलिस करते हैं अवहेलना : सेशन कोर्ट से जुड़े अधिकतर मामलों की हकीकत यह है कि कोर्ट द्वारा चिकित्सक व पुलिस पदाधिकारी को गवाही के लिए सम्मन व वारंट भेजा जाता है. इसके बाद भी ये हाजिर नहीं होते हैं. पुलिस पदाधिकारी व चिकित्सकों की बहानेबाजी की वजह से त्वरित न्याय मिलने की उम्मीद धूमिल हो रही है, जिसका खामियाजा पीड़ित व आरोपित पक्ष दोनों भुगतते हैं.पुलिस लापरवाही से लंबित हैं आर्म्स एक्ट के मामले : जिले के विभिन्न न्यायालयों में आर्म्स एक्ट के बड़ी संख्या में मामले लंबित है. प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारियों के कोर्ट में लंबित इन मामलों की हकीकत यह है कि इसके सरकारी गवाह अधिकतर पुलिस पदाधिकारी ही हैं. यह बात सामने आयी है कि इनके कोर्ट के सम्मन के बाद भी नहीं आने से मुकदमे का निस्तारण लगातार बाधित हो रहा है. न्याय की कड़ी में सबसे अधिक पुलिस की भूमिका मानी गयी है, जबकि स्थिति यह है कि इनके ऊपर ही लापरवाही को लेकर उंगलियां उठती रही हैं.सरकारी गवाहों की सूची तैयार करने पर जोर : न्यायालयों में मामले लंबित होने तथा सरकारी गवाहों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराये जाने की बात सामने आने के बाद जिला पदाधिकारी महेंद्र कुमार ने सरकारी गवाहों का डाटा बेस तैयार करने का निर्देश दिया है. इसके तहत पुलिस पदाधिकारी व चिकित्सकों का मोबाइल नंबर सहित सूची बनायी जायेगी, जिसके आधार पर कोर्ट की गवाही के लिए जारी सम्मन व नोटिस का तामिला न कराने तथा कराने के बाद भी न आने की स्थिति से निबटने के लिए उन्हें मोबाइल पर सूचना देने की व्यवस्था की जायेगी, जिससे सरकारी गवाहों की बहानेबाजी पर रोक लगायी जा सके. क्या कहते हैं अधिकारीसेशन कोर्ट में गवाही के अभाव में लंबित मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए आवश्यक निर्देश दिया गया है. इसके लिए संबंधित मुकदमाें के गवाहों का डाटा बेस तैयार करने को भी कहा गया है. सरकारी अभियोजकों को निर्देशित करते हुए उनकी जवाबदेही तय की गयी है.महेंद्र कुमार, जिला पदाधिकारी,सीवान

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