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परेशान किसान अब खेतों में गन्ना जलाने को मजबूर

परेशान किसान अब खेतों में गन्ना जलाने को मजबूर प्रभात पड़तालफोटो-03-प्रतापपुर चीनी मिल04-नौतन में खेतों में लगी गन्ने की फसल-प्रतापपुर चीनी मिल के गन्ना लेने से इनकार करने से बढ़ी मुश्किल-गन्ना विभाग ने कहा, वैकल्पिक इंतजाम के किये जा रहे उपाय20 हजार गन्ना किसानों के सामने संकटइंट्रो-जिले की चीनी मिलों की बंदी के बाद परेशान […]

परेशान किसान अब खेतों में गन्ना जलाने को मजबूर प्रभात पड़तालफोटो-03-प्रतापपुर चीनी मिल04-नौतन में खेतों में लगी गन्ने की फसल-प्रतापपुर चीनी मिल के गन्ना लेने से इनकार करने से बढ़ी मुश्किल-गन्ना विभाग ने कहा, वैकल्पिक इंतजाम के किये जा रहे उपाय20 हजार गन्ना किसानों के सामने संकटइंट्रो-जिले की चीनी मिलों की बंदी के बाद परेशान किसानों की उम्मीद के रूप में मौजूद प्रतापपुर चीनी मिल के गन्ना लेने से इनकार करने से किसान परेशान हैं. ऐसी हालत में मजबूर किसान अब खेतों में ही गन्ना जलाने को मजबूर हो रहे हैं.संवादददाता, सीवानजिले के पचरुखी व सीवान की दो चीनी मिलों की बंदी के बाद पिछले 20 वर्षाें से पड़ोसी राज्य यूपी के देवरिया जिले के प्रतापपुर चीनी मिल में ही किसान गन्ना ले जाते रहे हैं. हालांकि जिले की मिलों की बंदी के कारण गन्ना के क्षेत्रफल में भी कमी आयी है. जिले के पश्चिमी क्षेत्र के किसान ही प्रतापपुर मिल समीप होने के कारण बड़े पैमाने पर गन्ना की बोआई करते रहे हैं. लेकिन अचानक प्रतापपुर मिल द्वारा सीवान जिले के गांवों का गन्ना आवंटन की प्रक्रिया न पूरी करने के कारण यह संकट उत्पन्न हो गया. तकरीबन 20 हजार ऐसे किसानों के तकरीबन आठ कुंतल गन्ने की पेराई को लेकर संकट उत्पन्न हुआ है.वैकल्पिक इंतजाम से आमदनी से अधिक बढ़ेगा ढुलाई खर्च : जिले के पश्चिमी हिस्से के किसानों के लिए प्रतापपुर चीनी मिल पर गन्ना ले जाना आसान होता था. इस बार अब तक उनके इलाके के गन्ना का प्रतापपुर मिल को आवंटन न होने से वे अब गन्ना नहीं ले जा पायेंगे. ऐसे में बिहार सरकार उनके लिए अन्य मिलों पर गन्ना ले जाने के वैकल्पिक इंतजाम पर विचार कर रही है. केन कमीश्नर पटना एसएस लाल कहते हैं कि जिले के किसानों का गन्ना गोपालगंज जिले के हरखुआ, सिधवलिया व सासामुसा स्थित चीनी मिलों पर ले जाने के लिए विचार किया जा रहा है. जिस पर अगले दो-तीन दिनों में निर्णय ले लिया जायेगा.केन कमीश्नर के तर्कों को किसान मानने के लिए तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि उक्त मिलों पर ले जाने के लिए 50 से 70 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी, जिसके कारण ढुलाई खर्च अधिक देना होगा. इसके अलावा समय से गन्ना का भुगतान भी नहीं किया जाता है. ऐसे में आमदनी से अधिक लागत व ढुलाई खर्च बढ़ने से खेतों में गन्ना जला देना बेहतर है. क्या कहते हैं किसान गन्ने की खेती से होने वाली आय से हमलोगों की वर्ष भर की जरूरतें पूरी होती रही हैं. इस बार प्रतापपुर मिल के गन्ना न लेने से मुश्किल और बढ़ गयी है. इसके बाद बिहार सरकार हमारी सुध लेने को तैयार नहीं है.विजय कुमार मिश्र फोटो-05 सेमरा, नौतनप्रतापपुर मिल पर लंबे समय से किसान अपना गन्ना ले जाते रहे हैं. अचानक गन्ना लेने से इनकार करने से परेशानी बढ़ गयी है. ऐसे हालात में हम खेतों में ही गन्ना जलाने को मजबूर होंगे,जिसके लिए सरकार व जनप्रतिनिधि जिम्मेवार होंगे.वीरेंद्र यादव फोटो-06 शाहपुर, नौतनशासन की उदासीनता के कारण गन्ना किसान मुश्किल में हैं. प्रतापपुर चीनी मिल की पूर्व में बंदी की घोषणा के बाद भी यूपी सरकार के दबाव में मिल को चलानी पड़ी. जबकि इसके बाद भी सीवान जिले का गन्ना मिल नहीं ले रही है. इसके लिए बिहार सरकार को पहल करनी चाहिए.बालेश्वर राय फोटो-07 सेमरिया, नौतनगन्ने की खेती में पूर्व के अनुसार अब लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है. नकदी फसल के रूप में एकमात्र यह खेती भी अब उजड़ जायेगी. प्रतापपुर मिल के अलावा अन्य जगह गन्ना ले जाने पर ढुलाई खर्च के साथ ही लागत की मार झेलना पड़ेगी.पौहारी मिश्र फोटो-08 शाहपुर, नौतनइंसर्टगन्ना मंत्री से करेंगे हस्तक्षेप की मांगकिसानों की समस्याओं को लेकर जल्द ही बिहार सरकार के गन्ना मंत्री से मुलाकात करूंगा. उनसे यूपी सरकार से वार्ता कर पूर्व की तरह प्रतापपुर चीनी मिल पर गन्ना पेराई का इंतजाम करने की मांग करूंगा, जिससे गन्ना अपने खेतों में ही जलाने के लिए विवश हो रहे किसानों को राहत दिलायी जा सके.गन्ना किसानों के हित के लिए हर संभव संघर्ष किया जायेगा.ओमप्रकाश यादव फोटो-09 सांसद,सीवान

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