35.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

छह महिलाओं का बंध्याकरण

छह महिलाओं का बंध्याकरणदरौंदा. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शनिवार को परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत छह महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन किया गया. शिविर में ऑपेरशन के लिए तैनात डॉ अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा प्रभारी हरिशंकर सिंह, डॉ सुनील प्रसाद, श्रीनिवास सिंह एवं एएनएम सोनामती देवीए कांती देवीए मिश्री लाल यादव एवं अन्य सहयोगियों के द्वारा […]

छह महिलाओं का बंध्याकरणदरौंदा. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शनिवार को परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत छह महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन किया गया. शिविर में ऑपेरशन के लिए तैनात डॉ अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा प्रभारी हरिशंकर सिंह, डॉ सुनील प्रसाद, श्रीनिवास सिंह एवं एएनएम सोनामती देवीए कांती देवीए मिश्री लाल यादव एवं अन्य सहयोगियों के द्वारा महिलाओं स्वास्थ्य जांच करने के बाद बंध्याकरण किया गयाण् तथा प्रत्येक महिलाओं को प्रोत्साहन के रूप में 14 सौ रूपये दिए गयेण् वहीं बंध्याकरण के लिए आई महिलाओं ने बताया कि अस्पताल में सिर्फ डॉक्टरों द्वारा ऑपरेषन किया जा रहा है जबकि ऑपरेषन में उपयोग होने वाले गलब्सए ब्लेड एवं अन्य दवाईंया बाहर से लाना पडा है.अच्छी फसल के लिए जिंक महत्वपूर्णपोषक तत्वों की कती का पता लगाने के लिये किसान कराएं मिट्टी की जांचकृषि वैज्ञानिकों का सुझावपोषक तत्वों की कमी का उत्पादकता पर पडता है प्रभाव 30 से 40 फीसद तक उत्पादकता होती है प्रभावितदरौंदा. रबी सीजन की षुरूआत हो चुकी है. किसन अपने खेतो में फसल लगाने की तैयारी में जुटे हैं. फसल लगाने के सामय किसान पर्याप्त मात्रा में उर्वरक का इस्तेमाल भी करते हैं. हालांकि अभी भी बेहद अल्प माात्रा में ही ऐसे किसन है जो मिट्टी की जांच करा कर पोषक तत्वों की कमी के हिसाब से उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं सामान्यत: किसान अनुमानित तौर पर ही उर्वरकों का उपयोग खेतों में करते हैण् किसान अभी भी इस बात की ओर घ्यान नही दे पा रहे हैं कि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण कृषि की उत्पादकता बूरी तरह से प्रभावित होती है. कृषि वैज्ञानिकों की माने तो फसलों की अच्छी पैदावार के लिए नेत्रजन स्फुर एवं पोटाष के अतिरिक्त अन्य पोषक तत्वों की भी जरूरत होती हैए जिनमें जस्ताए तांबाए लोहाए मैग्नीजए बारान आदि ष्षिमल हैंण् इसमें जस्ताए लोहा एवं बोरान प्रमखए पोषक तत्व हैं, जिनसे सीधे तौर पर फसलों की उत्पादकता प्रभावित होती है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आम तौर पर इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पौधों में नजर आते हैं, वैसे किसन जो मिट्टी की जांच नहीं करा पाते हैए वे इन लक्ष्णों के आधार पर भी मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का पता लगा सकते हैंण् आज हम आपको बताते हैं, कि फसल में जस्ता यानि जिंक की कमी के क्या लक्षण हैं तथा इसमें क्या नुकसान हो सकता हैण् प्रखंड के किसानों के लिए यह जान लेना बेहद जरूरी है कि बिहार की मिट्टी में जस्ते जिंकद्ध की काफी कमी की बात सामने आयी हैण् इस अहम पोषक तत्व की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार की मिट्टी में इसकी कमी 30 से 40 प्रतिषत तक की आंकी गयी है. फसल की उत्पादकता को जिंक की कमी किस तरह से प्रभावित करता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिंक पौधों की वृद्धि में अहम भूमिका निभाता हैण् धान व मक्कें की फसल को भी जिंक की कमी से काफी नुकसान होता है तथा इसकी वजह से पौधे का आकार काफी छोटा हो जाता है. कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि किसान खेतों में जिंक का प्रयोग निश्चित तौर पर करेंण् इसके लिए या तो जुताई के समय ही मिट्टी में जिंक मिला दें, या फिर पौधे पर उसका छिडकाव कर दें. मिट्टी में मिलाने के लिए 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाएं तथा छिडकाव के लिए 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 2.5 किलोग्राम बूझे चूने के साथ मिलाकर 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिनों के अंतराल पर दो छिडकाव करेंण् कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि जिंक की मिट्टी में उपलब्धता से उपज मंे 30 से 40 प्रतिषत तक की बढातरी संभव है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें