सीवान : नगर के प्रसिद्ध गांधी मैदान से सटी इस दलित बस्ती में करीब 50 परिवार रहते हैं और मात्र दो घरों में ही शौचालय की व्यवस्था है. ऐसी स्थिति में बड़ी आबादी सड़क किनारे ही शौच करने को मजबूर है. बार-बार की घोषणा के बावजूद अब तक एक अदद शौचालय नगर पर्षद की ओर […]
सीवान : नगर के प्रसिद्ध गांधी मैदान से सटी इस दलित बस्ती में करीब 50 परिवार रहते हैं और मात्र दो घरों में ही शौचालय की व्यवस्था है. ऐसी स्थिति में बड़ी आबादी सड़क किनारे ही शौच करने को मजबूर है. बार-बार की घोषणा के बावजूद अब तक एक अदद शौचालय नगर पर्षद की ओर से नहीं बन सका.
साथ ही इस मुहल्ले के नाले भी जहां-तहां टूटे हुए हैं. बरसात में तो यहां की स्थिति और भी नारकीय हो जाती है. रास्ते पर शौच के कारण सड़क से आने-जाने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और मुहल्ले में भी संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है.
जन वितरण प्रणाली का भी नहीं मिलता लाभ : नया बाजार मुहल्ले में रहनेवाले लोगों को जन वितरण प्रणाली का भी लाभ नहीं मिल पाता है. 50 परिवारों में मात्र आधा दर्जन परिवारों का ही राशन कार्ड बना है. साथ ही इस मुहल्ले के किसी का भी जन-धन योजना के तहत खाता नहीं खुल पाया है.
वाटर सप्लाइ की भी नहीं है व्यवस्था : दलित बस्ती के 50 परिवारों के लिए पीने के शुद्ध पानी की भी व्यवस्था नहीं है. मुहल्ले के तीन-चार हैंड पंपों के सहारे इनका काम चलता है. पीएचइडी द्वारा यहां वाटर सप्लाइ की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन समय से पानी की सप्लाइ नहीं हो पाती है. इससे लोगों को काफी परेशानी होती है.
अब वाटर सप्लाइ का काम नगर पर्षद के जिम्मे है.
स्लम आवास का सपना रह गया अधूरा : नगर पर्षद क्षेत्र के स्लमवासियों का अपना आवास का सपना अधूरा रह गया है. मुहल्ले के शिव पूजन राम कहते हैं कि गांव में तो इंदिरा आवास का लाभ मिलता है,
लेकिन शहर के लिए आवास योजना तो मजाक बन कर रह गयी है. एक दशक से हमलोग इसका सपना देख रहे हैं. नाम के लिए कई बार सर्वेक्षण हुए लेकिन कुछ नहीं हुआ. वहीं कोकिल मांझी का कहना है कि स्लम बस्तियों में नाला, शौचालय, बिजली आदि की व्यवस्था भी घोषणा बन कर ही रह गयी है. अब तो हमारा विश्वास भी उठने लगा है. अब लगता है कि यह सिर्फ घोषणा है. हमारी स्थिति से व्यवस्था का कोई लेना-देना नहीं है.