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साइबर क्राइम का शुरू हुआ यह नया खेल
सीवान : तकनीक के विकास के साथ ही साइबर क्राइम का दायरा भी अब तेजी से बढ़ता जा रहा है. साइबर क्राइम से जुड़े गिरोहों की एक और नयी कारस्तानी सामने आयी है. एटीएम से रुपये निकालते समय आपकी मदद में एटीएम का नंबर व पिन नंबर पता कर उसी तरह का नया कार्ड (क्लोन) […]
सीवान : तकनीक के विकास के साथ ही साइबर क्राइम का दायरा भी अब तेजी से बढ़ता जा रहा है. साइबर क्राइम से जुड़े गिरोहों की एक और नयी कारस्तानी सामने आयी है.
एटीएम से रुपये निकालते समय आपकी मदद में एटीएम का नंबर व पिन नंबर पता कर उसी तरह का नया कार्ड (क्लोन) बना कर रुपये निकालने का यह खेल शुरू हुआ है. साइबर क्राइम से जुड़े इस खेल में सॉफ्टवेयर की जानकारी रखनेवाले तकनीशियन जुटे हुए हैं.
केस नं.1 : शहर के कागजी मोहल्ले की मालती देवी सेंट्रल बैंक की स्थानीय शाखा के ग्राहक है, जिसके खाते से दो माह के अंदर 45 हजार रुपये निकल गये. बैंक में रुपये निकालने आने पर उसे इसकी जानकारी हुई.
तहकीकात करने पर पता चला कि उसने मात्र एक बार अपने एटीएम कार्ड का प्रयोग किया है. उसने जेपी चौक के समीप एक एटीएम से रुपया निकाला था. तहकीकात में पता चला कि अब तक निकली शेष धनराशि पटना की विभिन्न एटीएम से जारी हुई है.
पूछताछ में मालती ने बताया कि उसका एक संबंधी एक बार कार्ड लेकर रुपया निकालने गया था, जो पटना में रह कर सॉफ्टवेयर ट्रेड से इंजीनियरिंग कर रहा है. बैंक प्रबंधन ने पूरे मामले में कार्रवाई के लिए खाताधारक से आवेदन देने को कहा, तो अपने ही रिश्तेदार पर कार्रवाई के डर से वह पीछे हट गयी.
केस नं.2 : साइबर क्राइम का शिकार स्थानीय सेंट्रल बैंक के एक अधिकारी हुए. एक वर्ष पूर्व उनके साथ यह घटना हुई. अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर उक्त अधिकारी ने कहा कि मेरे हाथ में एटीएम कार्ड रहते हुए धन निकलने का मैसेज मेरे मोबाइल पर आया.
यह देख मेरे होश उड़ गये. हमने तत्काल अपना एटीएम कार्ड लॉक करा कर साइबर क्राइम के खेल का पता लगाया, तो यह बात सामने आया कि किसी ने मेरा डुप्लीकेट एटीएम कार्ड बना लिया है, जिसका यूज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एटीएम जारी करनेवाली कंपनियों से जानकारी लेने पर यह बातें सामने आयीं.
ऐसे होता है यह खेल
साइबर क्राइम का अक्सर शिकार होनेवाले उनके करीबी ही होते हैं. जानकारों का कहना है कि एटीएम की केबिन में अक्सर एक से अधिक लोग प्रवेश करते हैं.
यहां मदद के नाम पर शातिर बदमाश उनका आसानी से एटीएम कार्ड नंबर व पिन नंबर की जानकारी हासिल कर लेते हैं.
इसके बाद इस क्षेत्र में सक्रिय गिरोह क्लोन की तरह दूसरा उसी तरह का एटीएम कार्ड तैयार कर देते हैं, जिससे आसानी से समय-समय पर रुपये निकालते रहते हैं. मैसेज एलर्ट की सुविधा से न जुड़े ग्राहकों को इसकी भनक तक नहीं लग पाती है.इससे रुपये निकलने की एसएमएस से जानकारी होती भी है, तब तक बड़ी धनराशि वे अपराधी निकाल चुके होते हैं.
एटीएम की बढ़ती संख्या के साथ बढ़ीं शिकायतें
हर खाताधारक को बैंक अब अनिवार्य रूप से एटीएम जारी कर रहा है.इसके अलावा जन-धन योजना के तहत खुले खातों के साथ ही ग्राहकों को एटीएम कार्ड दिया जा रहा है. जिले में ही अब तक छह लाख से अधिक जन-धन योजना के तहत खाते खुल चुके हैं, जिसमें से साढ़े चार लाख ग्राहकों को रोपवे ग्रेड का एटीएम कार्ड जारी किया जा चुका है.
पूर्व में ये एटीएम मात्र केसीसी के ग्राहकों को जारी किया जाता था, जिससे एक पूर्व निर्धारित धनराशि की ही निकासी की जा सकती है.
खास बात है कि इतने अधिक संख्या में ग्राहकों के पास एटीएम कार्ड आ जाने तथा उन्हें ऑपरेट करने में असुविधा होने की स्थिति में सबसे अधिक साइबर क्राइम हो रहे हैं. अनजान ग्राहकों से उनकीमदद के नाम पर ये अपराधी कार्ड नंबर व पिन नंबर जान लेते हैं और उसका क्लोन (डुप्लीकेट) तैयार कर लेते हैं.
यह रखें सावधानी
अपना एटीएम स्वयं यूज करें,परिचित या रिश्तेदारों को न दें.एटीएम केबिन में एक व्यक्ति ही प्रवेश करें,अन्य को प्रवेश से रोकें.आवश्यकता पड़ने पर एटीएम पर तैनात अधिकृत गार्ड से मदद लें.मोबाइल पर कॉल आने पर एटीएम का नंबर व पिन नंबर सहित मांगी जा रही कोई जानकारी न दें.समय-समय पर अपने एटीएम का पिन नंबर बदलने की व्यवस्था है, इसका प्रयोग करें.
क्या कहते हैं अधिकारी
डुप्लीकेट एटीएम बनाने की शिकायत मिली है. क्लोन की तरह ही साइबर क्राइम से जुड़े ये अपराधी दूसरा एटीएम कार्ड तैयार कर ले रहे हैं, जिससे आसानी से रुपये निकल जाते हैं.
इसमें कई मामले में ऐसे उजागर हुए हैं, जिसमें प्रयोग करनेवाला उनका करीबी रहा है. उनके खिलाफ कार्रवाई कराने से ग्राहक भी पीछे हट जाते हैं, जिससे ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है.
रंजीत सिंह, लीड मैनेजर, सीवान
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