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लापरवाही विभाग की, खामियाजा भुगत रहे किसान

सीवान : जिले के हजारों किसान अपने धान की उपज को बेच कर भुगतान के लिए पैक्स व बैंक का पिछले छह माह से चक्कर लगा रहे हैं. पहले तो धान विक्रय के लिए किसानों को परेशानी ङोलनी पड़ी व लक्ष्य से काफी कम क्रय हुआ. इसके बाद तकनीकी पहलू व विभागीय लापरवाही का खामियाजा […]

सीवान : जिले के हजारों किसान अपने धान की उपज को बेच कर भुगतान के लिए पैक्स व बैंक का पिछले छह माह से चक्कर लगा रहे हैं. पहले तो धान विक्रय के लिए किसानों को परेशानी ङोलनी पड़ी व लक्ष्य से काफी कम क्रय हुआ. इसके बाद तकनीकी पहलू व विभागीय लापरवाही का खामियाजा किसान भुगत रहे हैं.

जिले में पैक्स व व्यापार मंडल द्वारा 23001.98 एमटी धान की खरीदगी हुई थी. विभाग द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में धान की मात्र 15604.66 एमटी दरसाया गया.गोदामों के भौतिक सत्यापन में धान की खरीदगी 23001.98 एमटी संधारित की गयी. कुल 7397 .32 एमटी धान का समर्थन मूल्य अब तक अंटका हुआ है, जिसके लिए किसान पैक्स व विभाग का चक्कर लगा रहे हैं.
पैक्स भी किसानों को भुगतान की गयी राशि के इंतजार में बैठे हैं. जिसके लिए पैक्स के अध्यक्षों ने किसानों को भुगतान किये गये राशि के लिए भी विभाग व को-ऑपरेटिव बैंक से आग्रह किया है.
पैक्स का कहना है कि अगर किसानों के अतिरिक्त किये गये धान का एडजेस्टमेंट नहीं हुआ और किसानों को राशि की भुगतान नहीं की गयी, तो ऐसी स्थिति में किसानों को भारी क्षति होगी. वहीं पैक्स का साख भी खराब होगा. पैक्सों द्वारा जिलाधिकारी से आवेदन के बाद विभाग सक्रिय हुआ. सहकारिता विभाग व को-ऑपरेटिव बैंक द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में 827.39 लाख अंतर राशि स्वीकार की गयी है.
क्या कहते हैं बैंक के अधिकारी
बैंक ऑफ इंडिया के वरीय शाखा प्रबंधक जेपी सिंह का कहना है कि कर्मचारियों की कमी के कारण पैक्स के खाते में राशि आरटीजीएस के द्वारा नहीं भेजी जा सकी है. इसके अलावा रोज लिंक फेल होने से भी परेशानी हो रही है. लिंक ठीक होने और कर्मचारियों के उपलब्ध होने के बाद राशि पैक्सों के खाते में भेज दी जायेगी.
जेपी सिंह, वरीय शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया
बैंक की लापरवाही से किसानों के फंसे सवा करोड़
सीवान : बैंक ऑफ इंडिया की कथित लापरवाही के कारण करीब पचास पैक्स के किसानों के धान की राशि पैक्स के खाते में नहीं जा रही है. खाते में पैसे नहीं आने के कारण किसान धान की राशि के लिए पैक्स का चक्कर लगा रहे हैं.
जिस पैक्स ने अपने पास से किसानों को धान की राशि का भुगतान कैश क्रेडिट की राशि से किया है, वैसे पैक्स ऋण के बोझ से परेशान हैं. पैक्स के अधिकारी कभी राज्य खाद्य निगम, तो कभी बैंक ऑफ इंडिया का चक्कर लगा रहे हैं.
छपिया पैक्स के अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा ने बताया कि उन्होंने धान की राशि के भुगतान के लिए एसएफसी कार्यालय गये, तो उनको जानकारी दी गयी कि करीब पचास पैक्स के धान की राशि करीब सवा करोड़ रुपये आरटीजीएस करने के लिए पत्रंक 2782 के द्वारा 30 जुलाई को चेक संख्या 025573 के द्वारा आटीजीएस करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया को भेज दिया गया.
राधेश्याम शर्मा ने बताया कि उन्होंने बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंध से मुलाकात कर जानकारी ली तो बताया गया कि कर्मचारियों की कमी के कारण आरटीजीएस नहीं हो पा रहा है.
उन्होंने बताया कि कैश क्रेडिट के पैसों से किसानों को भुगतान कर दिया गया है. एक तरफ पैक्स का व्यवसाय बाधित हो रहा है, तो दूसरी तरफ पैक्स ऋण के ब्याज से परेशान हैं.उन्होंने बताया कि गुरुवार को जनता दरबार में डीएम से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराएंगे. एसएफसी के एकाउंटेंट शक्ति सिंह ने बताया कि पचास पैक्स के करीब 7500 क्विंटल धान की राशि करीब सवा करोड़ 30 जुलाई को ही आरटीजीएस करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया को भेज दिया गया.

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