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नवजात बच्चों को स्तनपान कराने के प्रति अनभिज्ञ हैं प्रसूताएं
सीवान : आज पूरी दुनिया में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है. लेकिन आज भी महिलाओं को बच्चों को स्तनपान कराने के फायदों की जानकारी नहीं है. मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार होता है. इस बात से आज के दौर में महिलाएं अनभिज्ञ हैं.बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं कहती हैं […]
सीवान : आज पूरी दुनिया में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है. लेकिन आज भी महिलाओं को बच्चों को स्तनपान कराने के फायदों की जानकारी नहीं है. मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार होता है.
इस बात से आज के दौर में महिलाएं अनभिज्ञ हैं.बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं कहती हैं कि उनको बच्चे को पिलाने के लिए दूध नहीं हो रहा है. वहीं प्राइवेट में डॉक्टर भी मां के कहने पर डिब्बे का दूध पिलाने की सलाह दे डालते हैं. मां का दूध मां और बच्चे के वात्सल्य प्रेम से ईश्वर द्वारा प्रदत्त होता है. बच्चे के जन्म के तुरंत या एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना चाहिए.छह माह तक बच्चे को मां के दूध के अलावा पानी नहीं देना चाहिए. मां के दूध से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. डिब्बे के दूध से बच्चे का नैसर्गिक विकास नहीं हो पाता है. सदर अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में प्रसव के बाद प्रसूती महिलाओं को बच्चे को स्तनपान कराने की जानकारी देने के लिए ममता की बहाली की गयी है. लेकिन वे आजकल अपने उद्देश्य से भटक गयी हैं.
स्तनपान का महत्व
मां का दूध बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.
बच्चों के सही वृद्धि व विकास में सहायता करता है.
बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार है.
कब कराएं बच्चों को स्तनपान
प्रसव के तुरंत बाद/एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत करें.
छह माह तक बच्चे को मां का दूध पिलाएं (एक बूंद पानी भी नहीं पिलाएं)
सातवें माह से ऊपरी आहार के साथ-साथ दो साल या अधिक तक स्तनपान कराएं.
क्या करें
यदि मां स्तनपान नहीं करा पा रहीं है, तो अपना दूध निकाल कर शिशु को पिलाएं.
मां का दूध 6 से 8 घंटे तक सामान्य तापमान पर सुरक्षित रहता है.
क्या नहीं करें
जन्म से लेकर छह माह तक बच्चे को मधु, ग्राइप वाटर, घुट्टी, गाय/ भैंस/ बकरी आदि का दूघ कदापि नहीं दें.
डिब्बे का दूध नहीं पिलाएं.
क्या कहती हैं डॉक्टर
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ प्रियका ने बताया कि मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार है. बच्चे के जन्म के बाद पहले कुछ दिनों तक आने वाला दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, शिशुओं को अवश्य पिलाएं. यह शिशुओं को कई रोगों से बचाता है. स्तनपान कराने से शिशुओं की बुद्धि का विकास उन शिशुओं से तेज होता है, जिन्हें स्तनपान नहीं कराया जाता.
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