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विभागीय पेच में फंसा पैक्स का पैसा
भारत को कृषि प्रधान देश की संज्ञा दी गयी है. देश के विकास में किसानों का बड़ा योगदान है. लेकिन, शासन व प्रशासन की कार्रवाई से ऐसा लगता है कि उनका किसानों व उनके हितों के संरक्षण से कोई विशेष वास्ता नहीं है. इसी का नमूना सहकारिता विभाग व एसएफसी के कार्यकलाप से नजर आती […]
भारत को कृषि प्रधान देश की संज्ञा दी गयी है. देश के विकास में किसानों का बड़ा योगदान है. लेकिन, शासन व प्रशासन की कार्रवाई से ऐसा लगता है कि उनका किसानों व उनके हितों के संरक्षण से कोई विशेष वास्ता नहीं है.
इसी का नमूना सहकारिता विभाग व एसएफसी के कार्यकलाप से नजर आती है. पहले तो धान विक्रय के लिए किसानों को पापड़ बेलने पड़े और लक्ष्य से काफी कम धान का क्रय हुआ. उसके बाद तकनीकी पहलू व विभागीय लापरवाही का खामियाजा किसान व पैक्स भुगत रहे हैं.
पैक्स को न तो एसएफसी व विभाग से किसानों को भुगतान की गयी राशि मिल पा रही है और न ही 7397.32 एमटी धान की राशि का ही भुगतान हो पा रहा है.
सीवान : जिले में पैक्स व व्यापार मंडल द्वारा समेकित रूप से 23001.98 एमटी धान की खरीदगी हुई थी. जिलाधिकारी द्वारा प्रति हस्ताक्षरित कर अंतिम प्रतिवेदन में धान की कुल मात्र 15604.66 एमटी प्रतिवेदित की गयी है. गोदामों के भौतिक सत्यापन बीडीओ व अन्य अधिकारियों से करायी गयी.
जिसमें समेकित रूप से 23001.98 धान की खरीदगी संधारित की गयी. विभाग द्वारा 15604.66 एमटी धान के ही समर्थन मूल्य के भुगतान की कार्रवाई तेज की गयी है और शेष धान के समर्थन मूल्य का भुगतान अब तक लटका हुआ है. जिसके लिए किसान पैक्स एवं विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. एक तरफ पैक्स किसानों को भुगतान की गयी राशि की प्राप्ति के इंतजार में है , तो वहीं दूसरी ओर किसान अपनी रकम के भुगतान के लिए आस लगाये बैठे हैं.
पैक्स अध्यक्षों ने लगायी डीएम से गुहार : जिले के पैक्स अध्यक्षों ने जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह को आवेदन दे कर पैक्स व्यापार मंडलों द्वारा किसानों से क्रय किये गये धान का मूल्य भुगतान किये गये राशि को पैक्सों को भुगतान कराने का आग्रह किया है. इसका चेक एवं एडवाइस जो को-ऑपरेटिव बैंक में जमा है, उसका भुगतान का आग्रह किया गया है.
पैक्सों के पास अतिरिक्त मात्र में जमा धान एसएफसी के उठाव का आदेश देने का आग्रह किया गया है. ताकि इसका भुगतान किसानों को किया जा सके. ऐसा नहीं होने की स्थिति में किसानों को भारी क्षति होगी. वहीं पैक्स की साख भी खराब होगी.
डीएम से गुहार के बाद तेज हुई कार्रवाई : पैक्सों के आवेदन के बाद विभागीय कार्रवाई तेज हो गयी.
जिलाधिकारी ने डीसीओ व एसएफसी प्रबंधक को स्थिति स्पष्ट करते हुए कंडिकावार जवाब मांगा. जिसके बाद डीसीओ ने कंडिकावार जवाब देते हुए पैक्सों द्वारा 23001.98 एमटी धान खरीदगी का भौतिक सत्यापन व 1564.66 एमटी धान के अंतिम प्रतिवेदन की बात कहते हुए शेष किसानों को समर्थन मूल्य भुगतान की बात कही है. भुगतान के संबंध में को- ऑपरेटिव बैंक सीवान से भी ब्योरा मांगा गया है. जिसके बाद बैंक ने इसका ब्योरा उपलब्ध कराते हुए 827.39 लाख अंतर राशि बतायी है.हर स्थिति में किसान हो रहे परेशान : पहले तो तय समय पर खरीदारी शुरू नहीं हो सकी.
जिसके लिए किसान पैक्स केंद्रों का चक्कर लगाते रहे. कभी विभागीय तैयारी, डाटा बेस तैयार करना आदि तो कभी मौसम बाधक बना. फिर जब धान की खरीदारी शुरू हुई, तो उसमें भी परेशानियां कम नहीं हुई. अब भुगतान का भी समस्या खड़ा है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर हर बार किसान हीं क्यों परेशान होते हैं.
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