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संसाधनों की कमी से छात्रों की घट रही रुचि
सीवान : जिले के कुछ चुनिंदा विद्यालयों में संचालित व्यावसायिक कोर्स में संसाधनों की कमी के कारण नामांकन लेने से छात्रों की रुचि घट रही है. इसमें से एक विद्यालय वीएम उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज भी है. इस विद्यालय में दो ट्रेडों में व्यावसायिक कोर्स का संचालन होता है, जिसमें मल्टी परपज हेल्थ वर्कर […]
सीवान : जिले के कुछ चुनिंदा विद्यालयों में संचालित व्यावसायिक कोर्स में संसाधनों की कमी के कारण नामांकन लेने से छात्रों की रुचि घट रही है. इसमें से एक विद्यालय वीएम उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज भी है.
इस विद्यालय में दो ट्रेडों में व्यावसायिक कोर्स का संचालन होता है, जिसमें मल्टी परपज हेल्थ वर्कर कोर्स व हेल्थ केयर ब्यूटी कल्चर कोर्स शामिल हैं. इन दोनों कोर्सो के लिए 25-25 सीटों पर नामांकन की स्वीकृति बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा दी गयी है, जिसके लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है.
क्या है वर्तमान स्थिति
दोनों कोर्सो के संचालन के लिए एक प्रधान शिक्षक व एक लैब सहायक का पद स्वीकृत है. वर्तमान समय में मल्टी परपज हेल्थ वर्कर कोर्स के लिए शिक्षक तो हैं, पर लैब सहायक का पद खाली है.
वहीं ब्यूटी कल्चर कोर्स के लिए शिक्षक का पद खाली है. सरकार द्वारा बेरोजगारी दूर करने के उद्देश्य से मैट्रिक पास छात्र-छात्रओं के लिए स्कूली स्तर पर व्यावसायिक कोर्स का संचालन किया गया था, ताकि छात्र कोर्स की अवधि पूरी कर आत्मनिर्भर बन सकें. परंतु संसाधनों व शिक्षक के कमी के बीच समयांतराल के साथ नामांकन में रुचि घटने लगी है.
एक तरफ जहां हेल्थ केयर ब्यूटी कल्चर का कोर्स कर छात्रएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं, वहीं दूसरी ओर मल्टी परपज हेल्थ वर्कर का कोर्स कर सरकारी नौकरी के साथ-साथ स्वरोजगार भी कर सकती हैं. विद्यालय में संचालित इन दोनों कोर्सो में से हेल्थ केयर ब्यूटी कल्चर का कोर्स में नामांकन लगभग बंद है. वहीं दूसरी ओर मल्टी परपज हेल्थ वर्कर कोर्स में भी पिछले वर्ष मात्र 14 छात्रों ने नामांकन लिया था.
वर्तमान में विद्यालय में न तो लैब की व्यवस्था है और न प्रायोगिक परीक्षाओं का संचालन होता है. मल्टी परपज हेल्थ वर्कर के शिक्षक डॉ विपिन बिहारी राय की मानें तो विभाग की उदासीनता के कारण छात्र विद्यालय स्तर पर चलाये जाने वाले इन व्यावसायिक कोर्सो से विमुख हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तेजी से बेरोजगारी बढ़ रही है, इस अवस्था में इस तरह के कोर्स बहुत ही कारगर साबित होंगे. उन्होंेने कहा कि सरकार जहां कौशल शिक्षा की बात कर रही है, वहीं पूर्व से संचालित ऐसे कोर्सो पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
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