28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लाचार छात्रों के लिए ‘पिता’ हैं विक्रमा प्रसाद

बड़हरिया : जीना उसी का जीना है, जो काम आये दूसरों के, यह फिल्मी गीत प्रखंड के मवि दीनदयालपुर से सेवानिवृत्त शिक्षक विक्रमा प्रसाद उर्फ बजरंग पर अक्षरश: सटीक बैठता है. भले ही विक्रमा बाबू विद्यालय से रिटायर हो चुके हैं, लेकिन आज भी वे नियमित रूप से विद्यालय जाते हैं व छात्रों को उसी […]

बड़हरिया : जीना उसी का जीना है, जो काम आये दूसरों के, यह फिल्मी गीत प्रखंड के मवि दीनदयालपुर से सेवानिवृत्त शिक्षक विक्रमा प्रसाद उर्फ बजरंग पर अक्षरश: सटीक बैठता है. भले ही विक्रमा बाबू विद्यालय से रिटायर हो चुके हैं, लेकिन आज भी वे नियमित रूप से विद्यालय जाते हैं व छात्रों को उसी तन्मयता व तत्परता से पढ़ाते हैं, जैसा अपने कार्यकाल में पढ़ाते थे. मजे की बात यह है कि विक्रमा बाबू दीनदयालपुर में जिस विद्यालय के छात्र थे, उसी विद्यालय से प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त भी हुए. आज भी दलित, विपन्न व जरूरतमंद छात्रों की उपस्थिति इनके इर्द-गिर्द देखी जा सकती है.
किसी को कॉलेज की फीस भरनी है, तो किसी को इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन कराना है, तो किसी को किताबें खरीदने के लिए पैसे की दरकरार है. छात्रों की जरूरतों को हल करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है. जब परिजनों को पैसे बांटना फिजुलखर्ची लगने लगा, तो विक्रमा बाबू ने अपने घर पतरहठा व दीनदयालपुर बाजार के बीच चौकी हसन पश्चिम टोला में अपना आवास बना लिया. विक्रमा बाबू प्रेरित कर छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठाते हैं. यात्र खर्च वहन करते है व जब छात्र उर्त्तीण हो जाते हैं, तो उनका नामांकन से लेकर अन्य खर्च भी विक्रमा बाबू ही वहन करते है.
किसी को काम को सहज व सरल बताने वाले विक्रमा बाबू को इसी लिए बजरंग बली के नाम से जाना जाता है. विक्रमा बाबू ने 16.9.1971 को मवि दीनदयालपुर में योगदान किया था व वहीं से 31.12.2010 को सेवानिवृत्त भी हुए. अपने कार्यकाल में उन्होंने अपने खर्च से ही विद्यालय की चहारदीवारी भी करायी. विद्यालय परिसर में दर्जनों पेड़ आज भी विक्रमा बाबू की सुखद उपस्थिति का एहसास दिलाते हैं. प्रति दिन नियमित रूप से विद्यालय जाने वाले बजरंग बली ने चौकीहसन पश्चिम टोला के हरेंद्र कुमार साह उनकी आर्थिक मदद व प्रेरणा पाकर आज सुगौली में अभियंता है.
उन छात्रों में श्रीकांत बंगरा के मुसाफिर सिंह व सत्येंद्र कुमार सिंह रेलवे में अभियंता हैं. सिंह बंधुओं के सिर से पिता का साया उठने के बाद विक्रमा बाबू ने उनके पिता का भी भूमिका निभायी. वहीं दीनदयालपुर गांव के गंगा विष्णु पंडित व दीपक कुमार पंडित को उन्होंने आर्थिक मदद दे कर इंजीनियरिंग करायी. आज दोनों इंजीनियर हैं.
गंगा गंडक विभाग में अभियंता के रूप में कार्यरत है. डिहिया के सगीर अंसारी आज बतौर इंजीनियर कार्यरत हैं, जिन्हें विक्रमा बाबू ने बेटे जैसा पढ़ाया-लिखाया. नि:स्वार्थ भाव से छात्रों केहित में काम करने वाले विक्रमा बाबू ने इलाके के दर्जनों गरीबों व असहायों की बेटियों को शादी भी कराया है.
किसी के काम आकर अपने जीवन को सार्थक समझने वाले विक्रमा बाबू की धारणा है कि शिक्षक जीवन भर शिक्षक रहता है. वे कहते हैं कि शिक्षक का ध्येय ज्ञानदीप को बुझने से बचाना चाहिए. बहरहाल सिमटते-सिकुड़ते समाज के लिए विक्रमा बाबू आज प्रेरणा पुंज बने हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें