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चिकित्सक के बदले कंपाउंडर को पुलिस ने भेजा जेल

कानून की धमक का शिकार कमजोर लोग ही बनते हैं. बड़ी मछलियां हमेशा छोटी मछलियों को निगलती रही हैं. तभी तो अपराधी राजकुमार सिंह का इलाज करने वाले डॉक्टर के बदले उसके निर्देश पर मरहम-पट्टी करने वाला कंपाउंडर दिलीप जेल में है. मामला सराय थाने के चांप गांव में पूर्व उपमुखिया सह भाजपा नेता राजा […]

कानून की धमक का शिकार कमजोर लोग ही बनते हैं. बड़ी मछलियां हमेशा छोटी मछलियों को निगलती रही हैं. तभी तो अपराधी राजकुमार सिंह का इलाज करने वाले डॉक्टर के बदले उसके निर्देश पर मरहम-पट्टी करने वाला कंपाउंडर दिलीप जेल में है.
मामला सराय थाने के चांप गांव में पूर्व उपमुखिया सह भाजपा नेता राजा राम साह पर हमले का है. राजा राम पर बम से हमले के दौरान घायल हुए राजकुमार का चिकित्सक लगातार इलाज करता रहा. इसका खुलासा मामले में आरोपित जुनैद उर्फ मस्तान की गिरफ्तारी के बाद हुआ है.
सीवान : पूर्व उपमुखिया सह भाजपा नेता राजा राम साह पर 28 अप्रैल की सुबह हुए बम से हमला हुआ था. इस मामले में चार आरोपितों में दो को गिरफ्तार किया जा चुका है. अन्य दो की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है. पिछले हफ्ते धर्मेद्र शर्मा की गिरफ्तारी के बाद इस मामले से राज उठा था.
शनिवार की शाम चांप निवासी जुनैद उर्फ मस्तान की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में और खुलासे हुए हैं. बमबारी के समय हमले के मास्टर माइंड राजकुमार सिंह ने अपनी कमर में पिस्टल रखी थी. हमले के बाद भागने के क्रम में पिस्टल से गोली चल गयी, जिससे वह घायल हो गया और पिस्टल वहीं गिर पड़ी, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया था.
अलग-अलग जगहों पर चिकित्सक ने उपलब्ध करायी सहायता : कुख्यात राजकुमार नगर थाने के मखदुम सराय में रहता है. वहीं के रहने वाले चिकित्सक डॉ विद्या भूषण ने उसका लगातार इलाज किया था. इलाज का यह सिलसिला 28 अप्रैल से 20 मई तक चलता रहा.
इस दौरान राजकुमार लगातार ठिकाना बदलता रहा और चिकित्सक उसे चिकित्सा सुविधा मुहैया कराता रहा. पुलिस को सूचना दिये बिना गोली से घायल अपराधी का इलाज करना गैर कानूनी है.
वहीं पुलिस से भाग रहे अपराधी का चिकित्सक लगातार इलाज करता रहा. यहां यह भी बता दें की डॉक्टर के पास सजर्री की डिग्री भी नहीं है.
28 अप्रैल से 20 मई तक होता रहा इलाज : गोली लगने से घायल अपराधी राजकुमार घटना के बाद भाग कर मस्तान की बहन के घर लहेजी पहुंचा, जहां चिकित्सक ने कंपाउंडर दिलीप कुमार को भेज कर उसकी मरहम-पट्टी करायी.
फिर रात में खुद जा कर राजकुमार के चाचा-चाची के साथ वहां पहुंचा और इलाज किया. इसके बाद राजकुमार अपनी बहन के यहां आंदर में रहा, वहां भी कई बार डॉक्टर इलाज के लिए जाता रहा और उसके निर्देश पर कंपाउंडर दिलीप भी इलाज व पट्टी बदलने व इंजेक्शन देने के लिए जाता रहा.
आंदर के बाद राजकुमार अपने संबंधी के यहां जीवी नगर के शिवदह गांव पहुंचा. वहां भी 20 मई तक उसका डॉक्टर विद्या भूषण इलाज करता रहा. पुलिस की बढ़ती दबिश व छापेमारी के बाद वहां से अन्य जगह पर राजकुमार भूमिगत हो गया. इसका खुलासा मस्तान ने पुलिस को दिये बयान में किया है.
चिकित्सक को पूछताछ के बाद छोड़ : मस्तान के बयान के बाद कंपाउंडर दिलीप कुमार को पुलिस ने सोमवार को जेल भेज दिया. वहीं उसका गैर कानूनी ढंग से इलाज करने वाले चिकित्सक को मामूली पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया. पुलिस का यह दोहरा चरित्र समझ से परे है. अगर डॉक्टर का आदेश मात्र बजाने वाला कंपाउंडर दोषी है, तो चिकित्सक निदरेष कैसे हो गया. कंपाउंडर जेल में है और चिकित्सक बाहर मजे में.
क्या कहते हैं एसपी
इस मामले में जानकारी के लिए नगर इंस्पेक्टर को तलब किया जा रहा है. चिकित्सक के मोबाइल का कॉल डिटेल निकाला जा रहा है और उसकी भूमिका की जांच की जा रही है. शीघ्र ही इस मामले में कार्रवाई होगी. किसी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा.
विकास वर्मन, पुलिस कप्तान, सीवान

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