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नये बने भवन क्षतिग्रस्त, पुराने रहे सेफ
नयी बन रहीं इमारतों की गुणवत्ता पर उठने लगे सवाल इस साल भूकंप के लगातार आ रहे झटकों से हर कोई सहमा हुआ है. झटकों के दौरान कई बहु मंजिली इमारतों की बुनियाद हिल गयी. मगर, इस दौरान ऐसे तमाम भवन भी हैं, जिनकी उम्र एक सौ वर्ष से अधिक है, मगर, उन पर भूकंप […]
नयी बन रहीं इमारतों की गुणवत्ता पर उठने लगे सवाल
इस साल भूकंप के लगातार आ रहे झटकों से हर कोई सहमा हुआ है. झटकों के दौरान कई बहु मंजिली इमारतों की बुनियाद हिल गयी. मगर, इस दौरान ऐसे तमाम भवन भी हैं, जिनकी उम्र एक सौ वर्ष से अधिक है, मगर, उन पर भूकंप के झटकों का कोई असर नहीं रहा. ऐसे में सौ वर्ष पुरानी इमारतों की गुणवत्ता व मौजूदा समय में बन रहे भवनों की गुणवत्ता पर बहस होना स्वाभाविक है.
सौ वर्ष पुरानी इमारतें सुना रहीं अपनी मजबूत बुनियाद की कहानी
सीवान : अविभाजित सारण जिले का सीवान पुराना नगर पर्षद है, जहां वर्षो पुरानी बहु मंजिली इमारतें मौजूद हैं, जिसमें एक सदी पुराने भवन की तादाद दर्जनों में है. भूकंप के आये कई झटकों के दौरान सबकी निगाहें इन भवनों पर रहीं.
जाहिर तौर पर इसमें रहने वाले लोग भी सर्वाधिक सहमे रहे, लेकिन अब तक के हालात तो यही बयां कर रहे है कि इनकी मजबूत बुनियाद का नतीजा रहा कि एक सदी पुराने भवन में दरार तक नहीं आयी, जबकि दो से चार दशक पुराने भवनों में दरार आ गयी, तो कई जगह भवन ध्वस्त भी हो गये.
भवन स्वामी-सुनील कुमार,कागजी मोहल्ला
शहर के कागजी मुहल्ला पुरानी कॉलोनी में से एक है. पूर्व में विकसित कॉलोनी का नतीजा है कि यहां भवनों की संख्या सैकड़ों में है, जिनमें आबादी के बीच मौजूद सुनील कुमार का भवन दूर से ही नजर आ जाता है. तकरीबन 105 वर्ष पुरानी बिल्डिंग को देख उसकी उम्र प्रतीत नहीं होती है.
देखने में लगता है कि यह चार दशक पुराना भवन है. इसमें रहने वाले परिवार के सदस्यों की संख्या आधा दर्जन है.भूकंप आने के बाद से उस क्षण को याद कर यहां हर कोई कांप उठता है,पर हकीकत है कि प्राकृतिक आपदा का इस भवन पर कोई असर नहीं रहा.
भवन स्वामी-तारकेश्वर प्रसाद, दक्षिण टोला मोहल्ला
नगर पर्षद क्षेत्र की पुरानी कॉलोनियों में दक्षिण टोला मोहल्ला एक है. यहां मौजूद तारकेश्वर प्रसाद का भवन परिजनों के मुताबिक एक सौ दो वर्ष पुराना है. तारकेश्वर प्रसाद कहते हैं कि भूकंप के पहली बार आये झटके के बाद से हमलोग सहमे हुए हैं. कई रात हमलोगों ने घर से बाहर
गुजारी, जबकि हालात यह है कि भूकंप के कई झटकों के बाद भी भवन में कोई दरार तक नहीं आयी है. उनका कहना है कि बाद के दिनों में जिन भवनों की मरम्मत करायी गयी, उनमें से अधिकतर जजर्र हो गये.
पहले के भवन के निर्माण के दौरान लोगों का गुणवत्ता पर जोर रहता था, लेकिन उस समय निर्माण तकनीक इतनी उन्नत नहीं थी.
भवन स्वामी-रुद्र धनंजय चंद्रा,शुक्ल टोली मुहल्ला
शुक्ल टोली मुहल्ला में रुद्र धनंजय चंद्रा का मकान सौ वर्ष पुराना है.भवन स्वामी भवन निर्माण का समय तो नहीं बता पा रहे हैं, लेकिन उनके अनुमान के मुताबिक मकान का निर्माण 105 वर्ष पूर्व हुआ था.
रुद्र धनंजय चंद्रा कहते हैं कि भूकंप के झटके के बाद से कई रात बाहर गुजारनी पड़ी. इसका भय हमेशा सताता रहता है. खास बात है यह है कि भूकंप के तमाम झटकों के बाद भी हाल यह है कि भवन में प्राकृतिक आपदा का कोई असर नहीं पड़ा, जबकि कई लोगों के भवन में दरार आने की सूचना मिल रही है.
भवन स्वामी-संवारो देवी, शुक्ल टोली मुहल्ला
शहर की शुक्ल टोली मुहल्ले में संवारो देवी का भवन एक सौ वर्ष पुराना है. इसकी इमारत खुद-ब-खुद एक सौ वर्ष का इतिहास बयां कर रही है. उम्र के साथ ही भवन जजर्र हो गये हैं.लेकिन समय-समय पर की गयी मरम्मत के चलते इमारत अपने बुलंद इरादों को बयां कर रही है.
भूकंप के आये झटके के बाद यहां रह रहे लोग भले ही भयभीत हैं,पर भवन की स्थिति मानो यह कह रही है कि इमारत को भूकंप के हल्के झटके से कोई असर पड़ने वाला नहीं है. बार-बार आये झटकों के बाद भी सही मायने में भवन को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. हालांकि एक हल्की दरार ने उनकी चिंता को जरूर बढ़ा दिया है.
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