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हरित खाद अपनाएं व धान की उपज बढ़ाएं

रासायनिक खाद के प्रयोग से कम हो रही खेतों की उर्वरा शक्तिक्षारीय होती जा रही है मिट्टीहरित खाद के प्रयोग से जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, वहीं उसका पीएच मान भी सामान्य रहता हैसंवाददाता, सीवानलगातार रासायनिक खाद के प्रयोग से एक तरफ जहां प्रति वर्ष उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है, वहीं मिट्टी […]

रासायनिक खाद के प्रयोग से कम हो रही खेतों की उर्वरा शक्तिक्षारीय होती जा रही है मिट्टीहरित खाद के प्रयोग से जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, वहीं उसका पीएच मान भी सामान्य रहता हैसंवाददाता, सीवानलगातार रासायनिक खाद के प्रयोग से एक तरफ जहां प्रति वर्ष उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है, वहीं मिट्टी भी क्षारीय होती जा रही है, जिससे उपज प्रभावित हो रही है. किसानों के हित को ध्यान मेें रख कर विभाग द्वारा हरित खाद के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है. इसके तहत किसानों से ढैचा व सनई की बोआई करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इन फसलों की बोआई के 40 से 45 दिनों के बाद इन्हें खेतों में हल के माध्यम से पलट किया जाता है, जो मिट्टी में दब कर सड़ जाती है और हरित खाद बन जाता है. दो माह बाद धान की रोपनी शुरू होनी है, जिसके लिए यह काफी उपयोगी होगा. जिला कृषि पदाधिकारी जय राम पॉल की मानंे तो किसानों के पास अभी बहुत समय है ढैचा व सनई की बोआई करने के लिए. उन्होंने बताया कि किसानों को रासायनिक खादों के प्रयोग से बचना चाहिए तथा हरित खाद को बढ़ावा देना चाहिए. इससे एक तरफ जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, वहीं उसका पीएच मान भी सामान्य रहेगा. सनई व ढैचा की बोआई के बाद इसे धान की रोपनी से कुछ दिन पूर्व हल से पलट कर मिट्टी में दबा देने से इसमें सड़न पैदा होगी, जो एक अच्छा उर्वरक का काम करेगी. श्री पॉल की मानंे तो हरित खाद के प्रयोग का असर तीन फसलों पर होता है. किसानों से एक-एक कर खेतों में बोने व उपज बढ़ाने की अपील की है.

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