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संसाधनों व शिक्षकों के अभाव में निभायी जा रही औपचारिकता
हाल बड़हरिया प्रखंड के श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय कैलगढ़ का, छात्र-छात्राओं की संख्या 886, शिक्षक महज छह सीवान : जिले के उच्च विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है. एक तरफ सरकार बड़े-बड़े दावे कर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर वह अपने वादों से मुकरती नजर आ रही हैं. […]
हाल बड़हरिया प्रखंड के श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय कैलगढ़ का, छात्र-छात्राओं की संख्या 886, शिक्षक महज छह
सीवान : जिले के उच्च विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है. एक तरफ सरकार बड़े-बड़े दावे कर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर वह अपने वादों से मुकरती नजर आ रही हैं.
विद्यालयों के विकास व संसाधनों पर उसका ध्यान नहीं जा रहा है. एक ऐसा ही विद्यालय जिले के बड़हरिया प्रखंड क्षेत्र स्थित श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय कैलगढ़ का है. इस विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या 886 व शिक्षक महज छह हैं. प्रखंड के उत्तरी इलाके में स्थित इस उच्च विद्यालय में भौतिक संसाधनों व शिक्षकों के घोर अभाव में छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन विद्यालय परिसर स्थित पकड़ी के पेड़ के नीचे होता है. वैसे तो पठन-पाठन के नाम पर चार कमरे हैं, जिनमें दो कमरों की छत उड़ चुकी है. इस प्रकार दो ही कमरों में पठन-पाठन का कार्य होता है. उसमें भी एक कमरा खंडहरनुमा हो चुका है.
ऐसे में प्रयोगशाला, कंप्यूटर कक्ष व पुस्तकालय की कल्पना बेमानी है. हालांकि विद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष व कंप्यूटर शिक्षक भी हैं. पुस्तकालय में 1046 पुस्तकें हैं व वितरित भी होती हैं. लेकिन ये पुस्तक यत्र-तत्र बिखरी पड़ी है. कुछ किताबें प्रधानाचार्य के कक्ष में हैं , तो कुछ स्टाफ रूम में. जबकि प्रयोगशाला कक्ष के अभाव में प्रयोगशाला के लिए खरीदे गये तमाम उपकरण प्रधानाध्यापक के कार्यालय के कक्ष में एक अलमारी में बंद हैं. वैसे तो रसायन शस्त्र व भौतिकी के शिक्षक भी इस विद्यालय में नहीं हैं.
विज्ञान के नाम पर महज जीव विज्ञान की शिक्षिका कार्यरत हैं. दरअसल यहां छह शिक्षक नियोजित हैं व प्रधानाध्यापक नियमित हैं. प्रधानाध्यापक सीता राम सिंह खेल शिक्षक के पद पर हैं. छात्रों का कहना है कि जब से श्री सिंह प्रधानाध्यापक के पद पर आये हैं, तब से खेल गतिविधियां ठप-सी हो गयी हैं. वैसे इस विद्यालय में खेल का लंबा-चौड़ा मैदान है, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पाता है. गौरतलब है कि अंगरेजी व उर्दू जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक भी नहीं है. शिक्षक सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि इस विद्यालय में 15 शिक्षकों की यूनिट की जगह प्रधानाध्यापक समेत मात्र सात शिक्षक हैं. श्री तिवारी ने बताया कि सामाजिक विज्ञान में दो पद रिक्त हैं व गणित के लिए महज एक शिक्षक हैं. ऐसी परिस्थितियों में छात्र-छात्राओं की संख्या के बराबर है.
नवम में 243 छात्राएं हैं, जबकि दशम में 209 छात्राएं हैं. लेकिन विद्यालय में शौचालय की स्थिति इतनी बदतर है कि छात्राओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शिक्षक दीपक आनंद बताते हैं कि भौतिक संसाधनों के अभाव में पठन-पाठन में दिक्कतें आती रहती हैं. श्री आनंद कहते हैं कि एक जमाने में यह विद्यालय कैलगढ़ महाराज की कचहरी हुआ करता था, जिसे विद्यालय में परिवर्तित कर दिया गया. ऐसे में कमरों में पर्याप्त रोशनी भी नहीं पहुंच पाती है. वहीं स्टाफ रूम के अभाव में भोजनावकाश में शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस परिसर में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की भव्य इमारत बन कर तैयार है.
क्या कहते हैं प्रधानाचार्य
प्रधानाध्यापक सीताराम सिंह कहते हैं कि भवन व उपस्कर के साथ ही शिक्षकों के अभाव के बीच पठन-पाठन चलता है. शिक्षा विभाग के आला अफसरों से संसाधनों व शिक्षकों की कमी की लिखित जानकारी दी जाती रही है, लेकिन लाख गुहार के बावजूद इस विद्यालय की दशा सुधर नहीं रही है.
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