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अब भरना होगा पांच लाख का बांड

आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर कसेगा शिकंजा, चुनाव व त्योहार विशेष पर प्रयोग किया जाता है कानून समाज में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए और किसी विशेष आयोजन व त्योहार आदि के मौके पर जिला प्रशासन द्वारा बांड भरवाया जाता है, जिसमें संबंधित व्यक्ति को यह बांड भरना पड़ता है कि अगर वे शांति […]

आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर कसेगा शिकंजा, चुनाव व त्योहार विशेष पर प्रयोग किया जाता है कानून
समाज में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए और किसी विशेष आयोजन व त्योहार आदि के मौके पर जिला प्रशासन द्वारा बांड भरवाया जाता है, जिसमें संबंधित व्यक्ति को यह बांड भरना पड़ता है कि अगर वे शांति भंग करने या आपराधिक कार्य करने का काम या प्रयास करेंगे, तो इसे बांड का उल्लंघन मानते हुए उन पर बांड राशि की वसूली के लिए कार्रवाई की जाती है.
अब बांड राशि को बढ़ा कर पांच लाख किया जाना है. साथ ही इसकी उपयोगिता पर प्रश्न चिह्न् खड़े होते हैं. एक तरफ प्रशासन इसे आवश्यक बताता है, तो वहीं समाज का एक बड़ा तबका इसे अंगरेजी काल का बताते हुए अनावश्यक कहता है.
सीवान : अपराधियों या चिह्न्ति लोगों से शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए बांड भरवाने का कानून रहा है. साधारणत: यह बांड पुरानी सूची एवं थाने से प्राप्त अनुशंसा के आधार पर अनुमंडल दंडाधिकारी के आदेश पर भरवाया जाता है. इसकी न्यूनतम राशि पहले 10 हजार रुपये थी.
सदर अनुमंडल सीवान में अब एक लाख रुपये का बांड भरवाया जा रहा है. वहीं अब इस राशि को बढ़ा कर पांच लाख रुपये किया जाना है, ताकि लोगों में इससे कानून का भय व्याप्त हो.
क्या होगी कार्रवाई : कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है. इसके अंतर्गत अब पांच लाख का बांड भरवाया जायेगा, ताकि बड़ी धनराशि का बांड भरने के कारण लोग इसका पालन कर सकें और उनमें भय व्याप्त हो. पहले बांड की राशि कम होने के कारण लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे और इसके पालन के प्रति वे लापरवाही बरतते थे. साथ ही प्रशासन ने बांड के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित व्यक्ति की तुरंत गिरफ्तारी और जेल भेजने का फैसला किया है. इससे अपराधियों में भय व्याप्त होगा.
एक बार सूची में नाम आने पर चलता रहता है नाम : आम तौर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा बांड के लिए लोगों की सूची तैयार करने में लापरवाही बरतने के मामले सामने आते हैं. पुरानी सूची को ही सामान्यत: अप डेट कर कार्रवाई के लिए भेज दिया जाता है. यह सूची थाना स्तर पर तैयार की जाती है. एक बार इस सूची में नाम आ जाने पर वह चलता ही रहता है और शामिल व्यक्ति को हर अवसर पर बांड भरने के लिए हाजिर होना पड़ता है.
इस सूची में अच्छी-खासी संख्या में साधारण लोगों के नाम भी शामिल रहते हैं. सूची से नाम हटवाने के लिए काफी दौड़-धूप करनी पड़ती है. बड़ी मुश्किल से ही नाम कट पाता है. ऐसे में सूची तैयार करने में आवश्यक है कि उसका निर्माण वास्तविक तौर पर सर्वेक्षण कर किया जाये.आम तौर पर थानाध्यक्ष स्थानीय प्रतिनिधियों को बुला कर उनसे नाम पूछ कर सूची तैयार कर देते हैं.
लोगों की है अलग-अलग राय
इस कानून से सामान्य लोगों को परेशानी होती है. बड़े पैमाने पर स्वच्छ छवि के लोगों का नाम शामिल कर उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाता है. अपराधियों पर इस कानून का कोई खास असर नहीं पड़ता. यह तो आम जनता को परेशान करने का कानून बन कर रह गया है.
अनुराधा गुप्ता , नगर पार्षद सह भाजपा नेता
कानून का सही ढंग से उपयोग होना चाहिए. इसे किसी को परेशान करने का हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए. शांति व्यवस्था बनाये रखने और चुनाव के समय इसका कुछ महत्व है. लेकिन इस बात का ख्याल रखा जाये कि स्वच्छ छवि के व्यक्ति को परेशानी न हो.
चंद्रमा सिंह, सेवानिवृत्त प्राचार्य
अंगरेजों के जमाने के इस कानून को ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए. जनता केलोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने के लिए ऐसे कानून बनाये गये थे. लोकतांत्रिक देश में इसका कोई स्थान नहीं है.
मनोज मिश्र , अधिवक्ता सह सामाजिक कार्यकर्ता
समाज के निचले स्तर के लोगों को इस कानून का खामियाजा अधिक भुगतना पड़ता है. लोकतांत्रिक व समता मूलक समाज में ऐसे कानून के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए. अपराधियों पर कार्रवाई के लिए जरूरी हो, तो कड़े कानून बनाये जाने चाहिए.
महात्मा भाई , जेपी सेनानी
क्या कहते हैं अधिकारी
यह कानून अवसर विशेष पर काफी प्रभावी सिद्ध होता है. अगर इस सूची में किसी का नाम गलत ढंग से जुटता है, तो उसमें सुधार की भी व्यवस्था है. थानाध्यक्षों को सूची बनाते समय पूरी सावधानी बरतने का निर्देश दिया जा रहा है. आम आदमी को इससे परेशानी न हो, इसका ख्याल रखा जाता है. इस कानून का उद्देश्य समाज में शांति व्यवस्था व सद्भाव बनाये रखना है. इस कानून को प्रभावी ढंग से प्रयोग करने की आवश्यकता है.
दुर्गेश कुमार, अनुमंडल दंडाधिकारी, सीवान
क्या है नियम
यह बांड वैसे व्यक्ति से भरवाया जाता है, जिससे शांति भंग होने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का भय होता है. आम तौर पर किसी चुनाव और पर्व- त्योहार की स्थिति में इसका धड़ल्ले से प्रयोग होता है. इसके लिए संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी किया जाता है. उन्हें सशरीर उपस्थित हो कर एसडीएम या उनके द्वारा प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट के सामने शांति बनाये रखने का बांड दाखिल करना पड़ता है. उनसे निश्चित राशि का बांड भरवाया जाता है. इसका उल्लंघन करने पर राशि वसूली की कार्रवाई की जाती है.

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