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खतरे में दोनों केंद्रीय विद्यालय
केद्रीय विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र माने जाते हैं. जहां शिक्षा के संबंधित सारी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. ऐसे में जिले के दोनों केंद्रीय विद्यालय पर बंद होने होने की स्थिति निराश करने वाली है. केंद्रीय विद्यालय संगठन के नर्देश के मुताबिक अब कोई नया नामांकन नहीं हो सकेगा. ऐसे में विद्यालय की स्थापना […]
केद्रीय विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र माने जाते हैं. जहां शिक्षा के संबंधित सारी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. ऐसे में जिले के दोनों केंद्रीय विद्यालय पर बंद होने होने की स्थिति निराश करने वाली है. केंद्रीय विद्यालय संगठन के नर्देश के मुताबिक अब कोई नया नामांकन नहीं हो सकेगा. ऐसे में विद्यालय की स्थापना के बाद से स्थायी भवन निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की कोई ठोस पहल न होने के कारण अब यह हालात पैदा हुए हैं.
सीवान : जिले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिहाज से स्थापित केंद्रीय विद्यालय के अस्तित्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं. केंद्रीय विद्यालय संगठन के ताजा फरमान के तहत अब विद्यालय में कोई नया नामांकन नहीं हो सकेगा. ऐसे में विद्यालय की स्थापना के बाद से स्थायी भवन निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की कोई ठोस पहल न होने के कारण अब यह हालात पैदा हुए हैं.
जिला प्रशासन द्वारा भवन के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सीवान व महाराजगंज केंद्रीय विद्यालय को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
तथ्यों पर गौर करें तो केंद्रीय विद्यालय संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय पटना के सहायक आयुक्त वी राजगोपाल ने भूमिहीन सीवान व महाराजगंज केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक व अन्य कक्षाओं में नए नामांकन पर पूर्णत: रोक लगा दी है. सीवान में 02 अक्तूबर, 2004 को तथा महाराजगंज में 2012 में केंद्रीय विद्यालय खुले. अगर केंद्रीय विद्यालय के दोनों स्कूल बंद होते है तो इसके पीछे कही न कही जिला प्रशासन व इस क्षेत्र के जन प्रतिनिधि को जिम्मेदार ठहराना स्वाभाविक है.
केंद्रीय विद्यालय, महाराजगंज
केंद्रीय विद्यालय महाराजगंज क्षेत्र के दरौंदा प्रखंड के उजांय में हाइस्कूल कैंपस में वर्ष 2012 से संचालित है.लेकिन, विभागीय स्तर पर कभी जमीन अधिग्रहण के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई. अब तक मात्र एक बार विद्यालय के समीप ही 4 एकड़ भूमि को चिह्न्ति किया गया. जिसके लिए एसडीओ के माध्यम से डीएम कोभेजे गये प्रस्ताव अब आयुक्त के यहां लंबित है.
हालांकि यह पहल के भी छह माह का वक्त गुजर चुका है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भूमि आवंटन के लिए कोई सक्रियता नहीं दिखी. खास बात है कि विद्यालय के संचालन के लिए डीएम के अध्यक्षता में यहां तेरह सदस्यीय प्रबंध समिति गठित है.समिति की पिछले अप्रैल 2014 के पूर्व कोई बैठक भी नहीं हुई थी. हालांकि इसके बाद से मौजूदा प्राचार्य के पहल पर तीन बार बैठक हो चुकी है. लेकिन अधिकांश सदस्य बैठक में
उपस्थित नहीं हो पाते हैं. डीएम के प्रतिनिधि के रूप में एसडीओ महाराजगंज ही हिस्सा लेते हैं. प्राचार्य सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि भूमि अधिग्रहण जिला प्रशासन का विषय है.विद्यालय बंद न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे.जमीन अधिग्रहण के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
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