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खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं बच्चे
समस्या : जमीन होने के बाबजूद भवनहीन है मध्य विद्यालय भोला सनातन राजकीय मध्य विद्यालय के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश हैं. विद्यालय के तीन कमरों में से दो की छत नहीं है. एक कमरे में स्कूल के जरूरी कागजात रखे जाते हैं. ठंड और गरमी के मौसम में तो किसी तरह […]
समस्या : जमीन होने के बाबजूद भवनहीन है मध्य विद्यालय
भोला सनातन राजकीय मध्य विद्यालय के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश हैं. विद्यालय के तीन कमरों में से दो की छत नहीं है. एक कमरे में स्कूल के जरूरी कागजात रखे जाते हैं. ठंड और गरमी के मौसम में तो किसी तरह काम चल जाता है.
लेकिन, बरसात में बच्चों को या तो छुट्टी दे दी जाती है, या फिर सभी बच्चे एक की कमरे में बैठ कर पढ़ने को मजबूर होते हैं.
सीवान : शहर के कसेरा टोली चौक के समीप स्थित भोला सनातन राजकीय मध्य विद्यालय अपनी जमीन होने के बावजूद भवनहीन है. यह विद्यालय पुराने भवन के दो मंजिल पर चलता है. तीन कमरों में दो कमरों की छत नहीं है. एक कमरे में स्कूल के कागजात रखे जाते हैं. जाड़ा, गरमी हो या बरसात. सभी मौसमों में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं. अधिक बारिश होने पर बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है या सभी बच्चे एक कमरे में बैठने को मजबूर होते हैं.
विद्यालय में कहने के लिए 90 छात्रों का नाम रजिस्टर में दर्ज है, लेकिन मात्र 26 बच्चे ही उपस्थित देखी गयी. विद्यालय में एक मात्र प्रभारी प्रधानाध्यापिका मौजूद मिलीं. कक्षाएं दो जगह चल रही थीं. एक जगह प्रधानाध्यापिका तथा दूसरी जगह एक छात्र बच्चों को पढ़ा रही थी. पूछने पर उन्होंने बताया गया कि एक अन्य शिक्षक छुट्टी पर गयी हैं.अन्य सरकारी विद्यालयों की तरह इस मध्य विद्यालय को भी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन भवन के अभाव में कोई बच्च यहां पढ़ने के लिए नहीं आना चाहता. शौचालय की व्यवस्था नहीं है.
चापाकल भी कुछ माह पहले ही लगा है. विद्यालय का ग्राउंड फ्लोर में दुकानें भाड़े पर दी गयी हैं. दुकानों को कौन भाड़ा पर दिया है तथा भाड़ा कहां जाता है इसकी जानकारी प्रभारी प्रधानाध्यापिका को नहीं है. सर्व शिक्षा अभियान के तहत भवन निर्माण के लिए इस विद्यालय को राशि क्यों नहीं मिली इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है. गलत प्रबंधन का नतीजा है कि अपनी जमीन होते ही विद्यालय भवनहीन है.
कहा जाता है कि मोहल्ले के व्यवसायी भोला प्रसाद ने अपनी कीमती जमीन यह सोच कर स्कूल को दान में दिया था कि बच्चे इसमें शिक्षा पायेंगे. शुरू में इस विद्यालय में छात्रों की संख्या अधिक थी. इस स्कूल से पढ़े कई बच्चों ने कई महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच गये. नब्बे के दशक के पहले इस विद्यालय में आधा दर्जन से अधिक शिक्षक बच्चों को पढ़ाते थे, लेकिन उसके बाद गलत प्रबंधन व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उपेक्षा के कारण विद्यालय की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन बिगड़ने लगी.
प्रभारी प्रधानाध्यापिका विमला देवी ने बताया कि भवन की छत नहीं होने से बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं. अधिकांश शिक्षकों का स्थानांतरण हो चुका है. भवन की दुकानों को कौन भाड़ा पर दिया है तथा भाड़ा कौन लेता है जानकारी नहीं है.शौचालय व भवन बनाने की राशि विद्यालय को नहीं मिली है.
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