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मात्र एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा अंधापन निवारण कार्यक्रम

सीवान : अभी करीब आधा दिसंबर माह खत्म होने तक कुल 40 लोगों का आंख विभाग में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया है. इसमें से अभी तक मात्र सात लोगों का ही ऑपरेशन हो पाया है. मोतियाबिंद का ऑपरेशन मुफ्त में सदर अस्पताल में कराने के लिए विभाग की जटिल प्रक्रिया से […]

सीवान : अभी करीब आधा दिसंबर माह खत्म होने तक कुल 40 लोगों का आंख विभाग में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया है. इसमें से अभी तक मात्र सात लोगों का ही ऑपरेशन हो पाया है. मोतियाबिंद का ऑपरेशन मुफ्त में सदर अस्पताल में कराने के लिए विभाग की जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
इससे परेशान होकर मरीज आते ही नहीं या जिसके पास पैसा नहीं होता है तथा विभाग के कर्मचारी भी यह समझ लेते हैं कि मरीज प्राइवेट में जानेवाला नहीं है, उसका ऑपरेशन किया जाता है. ऐसी बात नहीं है कि ऑपरेशन के लिए पैथोलॉजी जांच में समय लगता है. ऑपरेशन के लिए डॉक्टर तीन जांच लिख रहे हैं. ब्लड सुगर,ब्लड प्रेशर व यूरीन रुटीन. तीनों जांच सदर अस्पताल में एक घंटे के अंदर मुफ्त हो सकती हैं. लेकिन पैथोलॉजी जांच प्राइवेट व ब्लड प्रेशर की जांच कराने के लिए इमरजेंसी वार्ड में मरीज को भेजा जाता है. डॉक्टर की अनुपस्थिति में अपथेलमिक असिस्टेंट मरीजों का इलाज तो कर देता है, लेकिन उसे ब्लड प्रेशर की जांच करनी नहीं आती.
दलितों की आंख जांच में जुटे डॉक्टर : सरकार के आदेश पर जिले के एकमात्र सरकारी अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार सिंह को जिले के सभी प्रखंडों की दलित बस्तिओं में शिविर लगा कर आंख जांच कर इलाज करने की जिम्मेवारी मिली है. 12 से 23 दिसंबर तक शिविर लगाने के बाद इस शिविर में पाये गये मोतियाबिंद के मरीजों की आंख का ऑपरेशन किया जाना है. हालांकि विभाग ने उनके साथ एक सेवानिवृत्त नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मुक्तिनाथ सिंह तथा दो अपथेलमिक सहायकों को भी लगाया है. सरकारी डॉक्टर अनिल कुमार सिंह पर सदर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ के साथ ब्लड बैंक के डॉक्टर तथा रेडक्रॉस के सचिव की जिम्मेवारी है. इस स्थिति में मरीजों का इलाज व ऑपरेशन कैसे करते होंगे, इस बात का अंदाज स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जरूर होगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
यह बात सही है कि 40 लोगों का मोतियाबिंद के ऑपरेशन करने के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया है. मरीजों को जब जांच लिखी जाती है, तो जांच करा कर अगले सप्ताह आने की बात कह कर मरीज जाते हैं. लेकिन समय पर ऑपरेशन कराने नहीं आते. दलित टोलों में दलित लोगों की आंखों की जांच करनी है. यह जांच विशेष कर चश्मा देने के लिए हो रही है. अगर किसी को मोतियाबिंद की शिकायत होगी, तो उसका ऑपरेशन सदर अस्पताल में होगा.
डॉ. अनिल कुमार सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ,सदर अस्पताल
अंधापन निवारण कार्यक्रम एक नजर में
मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए रजिस्ट्रेशन इस माह – 40
ऑपरेशन हुआ- सात
आशा को मिलेगी प्रोत्साहन राशि-250
एक मरीज पर खर्च करना है-450
जिले में नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं-एक
महादलितों की आंखों की जांच होगी-19 प्रखंडों में.

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