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बांग्लादेश से लौटने पर अमृता का भव्य स्वागत

सीवान : बांग्लादेश में आयोजित एएफसी अंडर 16 फुटबॉल प्र्रतियोगिता में भारतीय टीम का नेतृत्व कर अमृता रविवार की देर शाम यहां पहुंची. यहां आने पर लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया. बांग्लादेश में भारतीय टीम को एशिया फेडरेशन कप के क्वालिफाइंग मुकाबले में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ. बांग्लादेश से लौटने के बाद मैरवा प्रखंड […]

सीवान : बांग्लादेश में आयोजित एएफसी अंडर 16 फुटबॉल प्र्रतियोगिता में भारतीय टीम का नेतृत्व कर अमृता रविवार की देर शाम यहां पहुंची. यहां आने पर लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया. बांग्लादेश में भारतीय टीम को एशिया फेडरेशन कप के क्वालिफाइंग मुकाबले में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ. बांग्लादेश से लौटने के बाद मैरवा प्रखंड के पैतृक गांव सिसवा खुर्द पहुंचने के पूर्व रेलवे स्टेशन पर खेल प्रेमियों ने अमृता का भव्य स्वागत किया. रानी लक्ष्मीबाई क्लब के पदाधिकारियों ने अमृता को बुके भेंट कर सम्मानित किया.

अमृता ने कहा कि बांग्लादेश के दौरे के दौरान एशिया के विभिन्न देशों के खिलाडि़यों के साथ रू-ब-रू होने के दौरान मौका मिला. वहां हमारी टीम ने संतोषजनक प्रदर्शन किया. हमने चार मैचों में से तीन मैच जीते. इनमें सबसे यादगार संयुक्त अरब अमीरात की टीम को 12-0 से पराजित करना रहा. वहीं, जॉर्डन की टीम को 6-3 के अंतर से पराजित किया. साथ ही बांग्लादेश को 2-1 से पराजितकिया. उन्होंने बताया कि शुरुआती मैच में ईरान से दो गोलों से हारने के बाद टीम को निराशा हुई. पर, साथी खिलाडि़यों ने नये जोश के साथ खेलते हुए शेष सभी मैच जीत हासिल की.

* अमृता को अब भी सरकार की मदद का इंतजार

खेल को बढ़ावा देने के सरकारी दावों के बावजूद एशिया के नक्शे में भारत का नाम रोशन करनेवाली अंडर 16 फुटबॉल टीम की कप्तानी करनेवाली अमृता कुमारी गुमनाम हालात में जीने को मजबूर है. अमृता का कहना है कि न तो यहां उपयुक्त खेल का मैदान है और न ही पर्याप्त संसाधन.

अभावग्रस्त हालात में अच्छा प्रदर्शन करना बड़ी चुनौती है. मैरवा प्रखंड के सिसवां खुर्द के शंभु प्रसाद गुप्ता शुरू से ही अभावग्रस्त जिंदगी जीने को मजबूर हैं. सब्जी का कारोबार कर अपनी बेटी अमृता कुमारी को खेल के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम दिलाने में मिली कामयाबी से उत्साहित तो जरूर हैं,पर मन में बहुत मलाल भी है. उनका कहना है कि क्रिकेट की टीम को सरकार से लेकर आम लोग तक सर आंखों पर बैठाते हैं, लेकिन बांग्लादेश में शानदार प्रदर्शन करने के बाद भी अमृता की गृह वापसी के दौरान एक अदद सरकारी महकमे से कोई स्वागत करने तक नहीं पहुंचा. यहां तक कि किसी जनप्रतिनिधि के लिए भी यह उपलब्धि किसी मायने की नहीं रही.

उनका कहना है कि खेल को लेकर प्रशिक्षण तथा जितने भोज्य पदार्थ की आवश्यकता है, वह भी गरीबी के चलते नहीं दे पाता हूं. अमृता के दिल में देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का सपना है. वहीं अमृता के कोच संजय पाठक का कहना है कि उसे अगर सरकारी सहायता मिले, तो वह और उत्साहवर्धक प्रदर्शन कर सकती है. इसके लिए जल्द ही प्रशासनिक व सरकारी स्तर पर मदद के लिए हर संभव पहल की जायेगी.

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