सीवान : विधान परिषद के उपचुनाव में भाजपा के टुन्ना जी पांडे की जीत उनके लिए बड़ी राजनीति सफलता के रूप में देखी जा रही है. शराब कारोबार में महारत हासिल करने के बाद राजनीति में उन्होंने पहली बार इस चुनाव के रूप में ही कदम रखा. भाजपा से उम्मीदवार बनने के बाद ही हाइ प्रोफाइल चुनाव अभियान की शुरू से ही चर्चा रही.पार्टी के रणनीतिकारों के मुताबिक शानदार चुनावी मैनेजमेंट के बदौलत उन्हें यह जीत मिली.
सारण परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआइजी आलोक कुमार से हुए विवाद के दौरान टुन्ना जी पांडे पहली बार सुर्खियों में आये थे. कहा जाता है कि डीआइजी द्वारा उनसे 50 लाख की रंगदारी मांगी गयी थी. उस बातचीत को टुन्ना जी ने रिकार्ड करते हुए डीजीपी और अन्वेषण ब्यूरो से शिकायत की. उनकी शिकायत पर ही जांच के बाद डीआइजी आलोक कुमार निलंबित कर दिये गये. इसके बाद डीआइजी को जेल की हवा खानी पड़ी थी.
* चुनाव अभियान के सारथी बने सांसद
विधान परिषद के उपचुनाव के दौरान अभियान शुरू होने के साथ ही टुन्ना जी पांडे के सारथी के रूप में हर कदम पर सांसद ओमप्रकाश यादव दिखे. जिले के सभी मतदाताओं के साथ संपर्क से लेकर पूरे चुनावी मैनेजमेंट को ओमप्रकाश यादव ने खुद संभाल रखा. सांसद ओमप्रकाश यादव कहते हैं कि यह जीत ईमानदारी व मतदाताओं के सम्मान की रक्षा के सवाल पर मिली है. हमारी पार्टी मुखिया समेत अन्य सभी मतदाताओं के सम्मान की रक्षा के लिए कभी पीछे नहीं रहेगी.