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आधी आबादी के उत्थान से ही होगा बिहार का विकास

सीवान : यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु ने कहा है कि स्त्री की उन्नति या अवनति में ही राष्ट्र का विकास समाहित है. यदि समाज में महिलाएं खुशहाल होंगी तभी देश सफलता की मोती चुनते हुए विकास के पथ पर प्रशस्त होगा. आदिकाल से ही सूबे को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही […]

सीवान : यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु ने कहा है कि स्त्री की उन्नति या अवनति में ही राष्ट्र का विकास समाहित है. यदि समाज में महिलाएं खुशहाल होंगी तभी देश सफलता की मोती चुनते हुए विकास के पथ पर प्रशस्त होगा. आदिकाल से ही सूबे को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

आधी आबादी की स्थिति में सुधार से ही राज्य प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है. इसके लिए महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक व राजनीतिक रूप से सबल करना होगा. वर्तमान समय में राजनीतिक क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बढ़ी है. पंचायती राज्य व्यवस्था में उन्हें 50 फीसदी का आरक्षण प्राप्त हुआ है. इस आरक्षण

आधी आबादी के…
के बल से मुखिया, सरपंच, ब्लॉक प्रमुख, जिला परिषद सदस्य के रूप में निर्वाचित हुई हैं. लेकिन कई जगह उनकी जगह पुरुष ही कार्य करते हैं. जो चिंता का विषय है. शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार हुआ है. पढ़ाई के प्रति उत्साहित करने तथा उनकी स्थिति में सुधार के लिए सूबे की सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं.
प्रभात खबर की परिचर्चा पर जिले की महिलाओं ने अपनी समस्या रखी तथा आधी आबादी के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये. नगर पर्षद अध्यक्ष सिंधु सिंह का मानना है कि आदिकाल से ही महिलाएं पुरुषों से कंधा से कंधा मिला कर चलती आ रही हैं. लेकिन पुरुष प्रधान समाज ने उनकी अवहेलना की है. आज समाज में जितनी भी सामाजिक कुरीतियां है उसकी शिकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से महिलाएं ही हो रही हैं. इसके लिए जरूरी है कि पुरुष अपनी मानसिकता बदले और महिला हित में संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन ईमानदारीपूर्वक हो तभी महिलाओं के उत्थान के साथ सूबे का विकास संभव है.
नप शिक्षा समिति की अध्यक्ष सह नगर पार्षद लीसा लाल व नगर पार्षद सोनी कुमारी ने कहा कि महिलाओं में बदलाव आने से समाज में निश्चित रूप से बदलाव आयेगा और हम विकास की दिशा में आगे बढ़ पायेंगे. तमाम सामाजिक व सरकारी प्रोत्साहन के बावजूद महिलाएं अभी अपने आप को सहज महसूस नहीं कर पा रही हैं. ऐसे परिस्थिति में आप संघर्ष नहीं कर सकती हैं. महिलाओं को आगे लाकर उनमें लीडरशिप की भावना डालनी होगी तभी आधी आबादी का समाज के विकास में योगदान हो पायेगा. हमें रूढ़िवादी परंपराओं को तिलांजलि देनी होगी. आज की नारी उच्च शिक्षा ग्रहण कर समाज के हर क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज करा रही है.
हेल्प लाइन की जिला परियोजना प्रबंधक श्वेता कुमारी व अल्पावास की प्रशिक्षण सह पुनर्वास पदाधिकारी प्रीति कुमारी कहती हैं कि आज की शिक्षित नारी समय और शिक्षा दोनों के महत्व को जानती है. आज शिक्षा, साहित्य सृजन, तकनीकी, वैज्ञानिक, राजनीति, समाज, कला, कविता आदि सभी क्षेत्रों में नारी शक्ति समाहित है. जब हर नारी शिक्षा का महत्व अपनी संतान को समझायेगी तो निश्चय ही देश की भावी पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल होगा और वह समाज व देश के निर्माण में योगदान कर सकेगा.
महिलाओं का उत्थान कैसे हो पर प्रभात खबर की परिचर्चा
कुप्रथाओं के विरोध में आगे आना होगा
पूर्व नप अध्यक्ष सह नगर पार्षद अनुराधा गुप्ता व रंजना श्रीवास्तव कहती हैं कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं सामूहिक रूप से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आगे आने में संकोच करती हैं. इसके चलते इनका शारीरिक, मानसिक वह सामाजिक रूप में शोषण किया जाता है. महिलाओं में बजट बनाकर घर चलाने की कुशलता कूट कूटकर भरी है. महिलाओं को गांवों में घटित होने वाले बाल-विवाह, पढ़ाई छोड़ देना, बाल मजदूर आदि से संबंधित कुप्रथाओं के विरोध में आवाज उठाने के लिए एकजुट होना चाहिए. महिलाओं को अपने अधिकारों से संबंधित सामान्य विषयों पर सम्मान दिया जाना चाहिए तथा उनके हित के लिए सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजनाओं को सख्ती से लागू करनी चाहिए. वर्तमान में जीविका द्वारा महिलाएं जागरूक व स्वावलंबी बन रही हैं.

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