सीवान : नवंबर के शुरू से ही ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण यात्रियों की परेशानियां बढ़ गयी हैं. सुपर फास्ट हो या पैसेंजर, सभी ट्रेनें अपने नियत समय से काफी विलंब से चल ही हैं. ठंड के मौसम में रेल यात्री स्टेशन पर घंटों अपनी ट्रेनों के आने के इंतजार में बैठे रहते हैं. महीनों […]
सीवान : नवंबर के शुरू से ही ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण यात्रियों की परेशानियां बढ़ गयी हैं. सुपर फास्ट हो या पैसेंजर, सभी ट्रेनें अपने नियत समय से काफी विलंब से चल ही हैं. ठंड के मौसम में रेल यात्री स्टेशन पर घंटों अपनी ट्रेनों के आने के इंतजार में बैठे रहते हैं. महीनों पहले आरक्षण टिकट लेने वाले यात्रियों के सामने कोई दूसरा विकल्प है भी नहीं.
गुरुवार को अमृतसर से आनेवाली 15210 जनसेवा एक्सप्रेस करीब 10 घंटे,12554 वैशाली सुपर फास्ट आठ घंटे,12566 बिहार संपर्क क्रांति छह घंटे, 22532 मथुरा-छपरा सुपर फास्ट आठ घंटे तथा लिच्छवी ट्रेन करीब 11 घंटे विलंब से सीवान जंक्शन पहुंचीं. वहीं 11123 बरौनी-ग्वालियर मेल तीन घंटे, 11124 ग्वालियर-बरौनी चार घंटे, 12553 वैशाली सुपर फास्ट तीन घंटे,15708 आम्रपाली एक्सप्रेस चार घंटे, 15910 अवध-असम एक्सप्रेस 10 घंटे विलंब से सीवान पहुंचीं.
प्रतिदिन करीब पांच लाख के राजस्व की हो रही क्षति : ट्रेनों के विलंब से चलने से जहां रेल यात्रियों को परेशानी हो रही है. वहीं, दूसरी ओर प्रतिदिन सैकड़ों यात्रियों द्वारा अपने टिकटों को रद्द किये जाने से करीब पांच लाख रुपये प्रतिदिन सीवान जंक्शन से राजस्व की क्षति हो रही है. यात्रियों को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि अभी घना कुहासा पड़ नहीं रहा है. इसके बावजूद ट्रेनें इतनी विलंब से क्यों चल रही हैं. वैसे भी रेल ने सभी महत्वपूर्ण ट्रेनों में कुहासों में सुरक्षित परिचालन के लिए फॉग डिवाइस लगाया है. रेल की तकनीकी पहले से काफी अच्छी हो गयी है. इसके बावजूद ट्रेनें विलंब से क्यों चल रही हैं.
यात्रियों का कहना है कि जब घना कुहासा पड़ने लगेगा तो क्या होगी ट्रेनों की स्थिति, यह सोच कर ही चिंता हो रही है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
यह बात सही है कि इधर कुछ दिनों से ट्रेनें काफी विलंब से चल रही हैं. घने कुहासे के कारण ट्रेनों का परिचालन बाधित हो रहा है. अप एवं डाउन दोनों साइड की ट्रेनें लेट चल रही हैं.
मुकेश कुमार सिंह, प्रभारी स्टेशन अधीक्षक, सीवान जंक्शन.