सीवान : छठ में सामाजिक समरसता देखने को मिलती है. सामाजिक समरसता के साथ-साथ इस महापर्व में गंवई संस्कृति देखने को मिलती है. विद्वानों के मुताबिक यही एक पर्व है, जहां डूबते सूर्य की पूजा भी की जाती है. इसकी मुख्य वजह इस पर्व में निहित उद्देश्य और भावना है. लोक आस्था का यह पर्व प्रकृति की पूजा और शुद्धता एवं पवित्रता के संगम के साथ सामाजिक सद्भाव और संयम इस महापर्व में निहित है.
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छठ में झलकती है सामाजिक समरसता
सीवान : छठ में सामाजिक समरसता देखने को मिलती है. सामाजिक समरसता के साथ-साथ इस महापर्व में गंवई संस्कृति देखने को मिलती है. विद्वानों के मुताबिक यही एक पर्व है, जहां डूबते सूर्य की पूजा भी की जाती है. इसकी मुख्य वजह इस पर्व में निहित उद्देश्य और भावना है. लोक आस्था का यह पर्व […]
निहित है सूर्य के प्रति कृतज्ञता का भाव
पंडित अवध किशोर ओझा कहते हैं कि ऋग्वेद में सूर्य उपासना की चर्चा है. गायत्री मंत्र भी सूर्य को समर्पित है. वास्तव में छठ पर्व सूर्य की पूजा है. वैसे तो समूचे देश व विदेशों में सूर्य की पूजा और छठ का त्योहार अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है, लेकिन बिहार और उत्तरप्रदेश के साथ कई और प्रदेशों में छठ की पूजा एक रूप में मनायी जाती है.
इस पर्व में सूर्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है. कहते हैं कि छठी मइया स्कंदमाता पार्वती का स्वरूप है. सूर्य की पूजा को छठी मइया कह कर सूर्य के वात्सल्य भाव को प्रकट किया जाता है.
छठ पर्व देता है दूरगामी संदेश
हिंदी के शिक्षक उदय तिवारी कहते हैं कि लोक आस्था का महापर्व छठ केवल सामाजिक समरसता का ही संदेश नहीं देता है, बल्कि समाज के द्वारा समाज पर नियंत्रण का भी संदेश देता है. इसके अलावा जीवन से जुड़े उद्देश्यों का भी संदेश देता है. इस पर्व में न तो केवल डूबने और उगते हुए सूर्य की पूजा होती है, बल्कि संदेश स्पष्ट है कि उदय के बाद अस्त और अस्त के बाद उदय जिंदगी का सार्वभौम सत्य है. जल में खड़ा होकर अर्घ देने का संदेश यह है कि जल सभ्यता की जननी है. वहीं, महापर्व बेटी बचाओ आंदोलन की वकालत करने के साथ प्रकृति के महत्व को भी दर्शाता है.
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