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सात साल से प्रभारी के लिए तरस रहा पीएचसी

चिंताजनक. संसाधन रहने के बावजूद खस्ता है गुठनी पीएचसी की चिकित्सकीय व्यवस्था गुठनी : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गुठनी अपनी दुर्दशा के लिए लंबे समय से चर्चा में है. अस्पताल में सरकारी व्यवस्था के अनुरूप सारे संसाधन मुहैया कराये गये हैं, लेकिन व्यवस्थापक के अभाव में दुर्दशा का दंश झेल रहा है. यूं कहा जाये, तो […]

चिंताजनक. संसाधन रहने के बावजूद खस्ता है गुठनी पीएचसी की चिकित्सकीय व्यवस्था
गुठनी : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गुठनी अपनी दुर्दशा के लिए लंबे समय से चर्चा में है. अस्पताल में सरकारी व्यवस्था के अनुरूप सारे संसाधन मुहैया कराये गये हैं, लेकिन व्यवस्थापक के अभाव में दुर्दशा का दंश झेल रहा है.
यूं कहा जाये, तो यहां कि चिकित्सकीय व्यवस्था भगवान के भरोसे ही है. चाह कर भी कई मरीज व उनके तिमारदार पीएचसी का रुख नहीं करते हैं. हो भी क्यों नहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गुठनी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी वकील सिंह चौहान अक्तूबर 2010 को यहां से स्थानांतरित हुए. तब से यह पद खाली चल रहा है.
तब से लेकर आज तक स्थायी प्रभारी नहीं मिला. अस्पताल को प्राथमिक से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड करने कवायद फाइलों में तो आरंभ हुई. देखते ही देखते सामुदायिक स्वास्थ्य भवन भी लाखों की लागत से बन गया, मगर अपग्रेड अब भी नहीं हो सका है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन में चलता है, मगर सुविधाएं प्राथमिक से भी बदतर हो गयी हैं.
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा़ॅ कौशल किशोर जहां सप्ताह में एक दिन महिला स्वास्थ्य कर्मियों की बैठक लेने व फाइलों पर हस्ताक्षर करने आते हैं, तो वहीं स्वास्थ्य प्रबंधक किसी काम का बहाना बना कर सीवान ही रह जाते हैं.
स्वास्थ्यकर्मियों की है कमी : अस्पताल की खस्ता हाल व्यवस्था पर स्वास्थ्य प्रबंधक जितेंद्र सिंह ने कहा स्वास्थ्य कर्मी की कमी है. जो है, उससे हम बेहतर करने का प्रयास करते हैं. अगर किसी रोगी को कोई शिकायत है, तो हमें बताएं उसका निष्पादन करेंगे और करते भी हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कौशल किशोर से न मुलाकात हुई और न ही फोन पर संपर्क हुआ.
पीएचसी में डॉक्टरों के आठ पद सृिजत
गुठनी पीएचसी की चिकित्सकीय व्यवस्था सिर्फ तीन चिकित्सकों के भरोसे पर है. इसमें से भी एक ही चिकित्सक मुख्यालय में रहते हैं. पीएचसी में चिकित्सकों के कुल आठ पद सृजित हैं मगर लंबे समय से मात्र तीन चिकित्सक ही पदस्थापित हैं. तैनात चिकित्सकों में डा़ॅ देवेंद्र रजक और डा़ॅ अनिल सिंह अनुबंध के हैं.
ए मात्र चिकित्सक डा़ॅ शब्बीर नियमित चिकित्सक हैं. चिकित्सकों के अलावा महिला चिकित्सक की नियुक्ति की मांग लगभग आठ वर्षों से ग्रामीण करते आ रहे हैं. स्थानीय पंचायत समिति की बैठक में भी यह मुद्दा उठ चुका है.
परंतु, आज तक चिकित्सक की नियुक्ति नहीं की गयी है. रही बात महिला चिकित्सक की तैनाती की, तो उसकी नियुक्ति हुई, परंतु उसकी प्रतिनियुक्ति सीवान सदर अस्पताल के लिए कर दी गयी. इसी तरह एएनएम के 44 पद सृजित हैं, जिनमें 24 पदस्थापित हैं.
इसी तरह ड्रेसर, कंपाउंडर, एक्सटेंशन एजुकेटर, महिला स्वास्थ पर्यवेक्षिका, ओटी सहायक, लैब टेक्नीशियन के एक-एक पद सृजित हैं, जिस पर पदस्थापना शून्य है.
वहीं, हेल्थ एजुकेटर का एक पद व लिपिक के दो पद रिक्त हैं. यहां चतुर्थवर्गीय स्वास्थ्यकर्मी पांच पदस्थापित हैं, मगर दो को प्रतिनियुक्ति पर दूसरी जगह भेज दिया गया गया है. गुठनी अस्पताल में औसतन 2500 मरीज प्रतिमाह आते हैं. पिछले माह में कुल 2142 नये मरीज आये, तो 400 पुराने मरीज इलाज को आये. इनडोर में 71, तो आउटडोर में 31 दवाएं
पीएचसी के दवा भंडार में दवाओं की कमी है. सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि चिकित्सकों के अनुसार, जो दवाएं मौजूद नहीं हैं, उनसे कोई विशेष दिक्कत नहीं है. अधिकांश दवाएं, जो जरूरी हैं वो सारी मौजूद हैं. इसके बाद भी अगर किसी मरीज को दवा नहीं मिल रही है या बाहर से खरीदनी पड़ रही है तो कुव्यवस्था का परिणाम है. शुक्रवार अस्पताल के द्वारा सूची बोर्ड पर इनडोर के कुल 112 प्रकार की दवाओं में 71 प्रकार की दवा तथा आउटडोर की 33 दवाओं में 31 दवाएं उपलब्ध थी. मगर समुचित व्यवस्था के अभाव में कई मरीजों को बाहर से दवा लेनी पड़ जाती है. दवा वितरण के लिए एएनएम धर्मावती कुशवाहा को लगाया गया है. सबसे खास बात धर्मावती कुशवाहा की ड्यूटी स्वास्थ उपकेंद्र अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण के लिए भी लगाया गया है.चिकित्सकों की मानें तो फार्मासिस्ट की तैनाती पूर्व में थी, जिसे सीएस के आदेश पर बसंतपुर स्थानांतरित कर दिया गया.

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