मनमानी. सेवकों की चुप्पी से उठ रहे सवाल, माफियाओं को है एसएफसी का संरक्षण
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नहीं थम रही अनाज की कालाबाजारी
मनमानी. सेवकों की चुप्पी से उठ रहे सवाल, माफियाओं को है एसएफसी का संरक्षण सीतामढ़ी : जिले में एक बार फिर करोड़ों के सरकारी अनाज की कालाबाजारी का मामला सामने आया है. गरीब अनाज के लिए डीलर का चक्कर काट रहे है और डीलर डोर स्टेप डिलेवरी के जरिये अनाज आने का इंतजार कर रहे […]
सीतामढ़ी : जिले में एक बार फिर करोड़ों के सरकारी अनाज की कालाबाजारी का मामला सामने आया है.
गरीब अनाज के लिए डीलर का चक्कर काट रहे है और डीलर डोर स्टेप डिलेवरी के जरिये अनाज आने का इंतजार कर रहे है, लेकिन इसके पूर्व ही एजीएम, डोर स्टेप डिलेवरी के अभिकर्ता व अनाज माफियाओं की तिकड़ी गरीबों के हक का अनाज कालाबाजारी में बेच धन्ना सेठ बन रहे है. हैरत की बात यह की हर माह सरकारी अनाज के काले कारोबार का खुलासा होता है, लेकिन मामले में कार्रवाई प्राथमिकी दर्ज कराने तक हीं सीमित होकर रह जाती है.
हैरत की बात यह की इस पूरे मामले में सेवकों की चुप्पी सवालों के घेरे में है. चाहे वरीय अधिकारी हो या फिर राजनेता. गरीबों के निवाले की कालाबाजारी के मामले में अब तब चुप है. जबकि अनाज घोटालों का दौर 80 के दशक से अब तक जारी है. फर्क इतना है कि अनाज माफिया बदलते जा रहे है. कुछ राजनेता एसएफसी समेत वरीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गरीबों का निवाला काले बाजार में बेच मोटी रकम डकार रहे है. जबकी अनाज माफियाओं को एसएफसी का संरक्षण प्राप्त है.
दिलचस्प बात यह भी है कि जीपीएस सिस्टम की सुविधा उपलब्ध होने के बाद भी अनाज की कालाबाजारी हो रही है. जिससे यह कहना गलत नहीं होगा कि अनाज की कालाबाजारी में एसएफसी भी पूरी तरह संलिप्त हैं. अगर ऐसा नही हैं तो जीपीएस सुविधा रहने के बाद भी अनाज की कालाबाजारी की कैसे हो रही हैं.
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