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अनवर की हत्या कर विदेश भागने की फिराक में था हाशिम

अनदेखी. नगर थाना पुलिस के समक्ष किया खुलासा पासपोर्ट बनवा पैसे का कर चुका था जुगाड़, अकबर व अनिश ने दिया हाशिम का साथ सात जनवरी से ही अनवर के पीछे पड़े थे तीनों शातिर मो अनिश को दिया था 10 हजार का ऑफर अनवर के बेईमानी से हो गयी हाशिम के पिता की मौत […]

अनदेखी. नगर थाना पुलिस के समक्ष किया खुलासा

पासपोर्ट बनवा पैसे का कर चुका था जुगाड़, अकबर व अनिश ने दिया हाशिम का साथ
सात जनवरी से ही अनवर के पीछे पड़े थे तीनों
शातिर मो अनिश को दिया था 10 हजार का ऑफर
अनवर के बेईमानी से हो गयी हाशिम के पिता की मौत
सीतामढ़ी : भूप-भैरो पंचायत की सरपंच संजीला खातून के पति मो अनवर की सरेशाम हत्या करने के बाद मो हाशिम विदेश भागने की फिराक में था. वह इसकी तैयारी लगभग पूरी कर चुका था. उसने इसके लिए न सिर्फ पासपोर्ट बनवाया था, बल्कि पैसे का जुगाड़ भी कर लिया था. नगर थाने की पुलिस को दिये स्वीकारोक्ति बयान में उसने इस बात का खुलासा किया है. अपनी ही जमीन से बेघर मो हाशिम ने अनवर की बेइमानी व प्रताड़ना से तंग आकर अनवर की हत्या को अंजाम दिया है. उसने यही भी बताया है कि जब समाज ने भी उनका साथ नहीं दिया तो उसने यह कदम उठाना जरूरी समझा. उसने यह भी कहा है कि अनवर को मारने के लिए उसने अकबर से संपर्क किया था. अकबर ने मो अनीश का नाम सुझाया था. लगभग डेढ़ माह पूर्व अनीश से उसकी मुलाकात हुई थी.
उसको सारी बात बतायी तथा साथ देने के लिए 10 हजार का ऑफर दिया. थोड़ा ना-नुकर करने के बाद अनीश साथ देने के लिए तैयार हो गया. इसी बीच उसने एक कट्टा तथा गोली की व्यवस्था कर ली थी. अनीश ने एक पिस्तौल की व्यवस्था किया था. सात जनवरी से ही तीनों अनवर को मारने के फिराक में इधर-उधर घूमता रहा. अनवर जहां भी जाता तीनों उसके पीछे लग जाता. 11 जनवरी की शाम हाशिम ने तब घटना को अंजाम दिया, जब अनवर चाय पी कर घर लौट रहा था. पुलिस के समक्ष दिये बयान से हाशिम की बातों से यह स्पष्ट होता है कि वह न तो अपराधी है और न ही पेशेवर हत्यारा.
अनवर के हाथ बिक गये थे पंच : हाशिम की बातों पर भरोसा करें तो उसकी मां अनवर के घर जाकर जमीन वापस करने की मांग की. अनवर हमेशा टाल-मटोल करता रहा. कोई रास्ता जब नहीं निकला तो गांव में पंचायत बैठी. उक्त पंचायत में अनवर, मोजिबुल, बिकाऊ, हाशिम, शाह मोहम्मद इत्यादि लोग शामिल थे. हाशिम का आरोप है कि पंचायत के सभी सदस्यों को अनवर खरीद रखा था, यही कारण था कि पंचों ने भी फैसला कर दिया कि दो कट्ठा जमीन का पैसा नहीं मिलेगा. सिर्फ पांच धुर का 40 हजार रुपया मिलेगा और मोजिबुल वाले जमीन पर हाशिम द्वारा जो घर बनाया गया है, वह हटा लेंगे. फैसला के अनुसार हाशिम को 40 हजार रुपया मिला, जिसमें से 10 हजार रुपया बतौर रंगदारी अनवर ले लिया. इतना ही नहीं उसने जबरदस्ती बेघर भी कर दिया.
10 धूर जमीन भी नहीं दिया : हुसैना में हाशिम भारी भरकम परिवार के साथ सरकारी जमीन में झोंपड़ी बना कर रहना शुरू किया. अनवर ने हाशिम को यह भी आश्वासन दिया कि वह हुसैना में ही उसे 10 धुर जमीन देगा. 10 धुर जमीन मांगने पर भी वह गाली-गलौज देकर भगा देता था. रास्ता पर देखता तो अनवर भद्दी-भद्दी गालियां देता था. इन सब बातों से आजिज होकर उसने अनवर की हत्या करने का प्लान बनाया.
पैसा लेकर रजिस्ट्री से किया था इनकार
उसने बताया कि चार वर्ष पूर्व हाशिम के पिता स्व हबीब लहेरी ने बरियारपुर निवासी मो मोजिबुल से दो कट्ठा जमीन के लिए बातचीत कर पैसे दिये थे. मोजिबुल ने कहा था कि वह उक्त जमीन पर घर बना कर रहे, बाद में जमीन लिख देंगे. बाद में मो मोजिबुल ने जमीन लिखने से इनकार कर दिया. इसको लेकर मो अनवर जो गांव का सरंपच था, उसके पास गया और लिखवाने में सहायता करने के लिए अनवर से अनुरोध किया. अनवर ने मोजिबुल को डराया धमकाया तो वह जमीन लिखने को तैयार हो गया.
सदमे में हाशिम के पिता की हुई मौत
अनवर हाशिम के पिता हबीब लहेरी व मां फातमा खातून को लेकर जमीन लिखाने के लिए गये. साथ में मो मोजिबुल भी गया. अनवर ने वह जमीन हाशिम की मां को न लिखवा कर स्वयं लिखवा लिया. यहां तक की मां से अंगूठा का निशान भी ले लिया. कुछ दिन बाद इस बात का भंडाफोड़ हुआ तो हाशिम के पिता हबीब लहेरी इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सका और उसकी मृत्यु हो गयी.

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