सीतामढ़ी/सुप्पी : जिले के सुप्पी प्रखंड के छौरहिया गांव का महत्वपूर्ण सड़क पुल अब ध्वस्त होने की कगार पर है. उक्त पुल का करीब 60 फीसदी हिस्सा जहां-तहां क्षतिग्रस्त हो चुका है. पुल के एक छोर का रेलिंग भी पूरी तरह से ध्वस्त है, जिसके कारण हर वक्त दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उक्त पुल में अब तक एक दर्जन से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है. डेढ़ वर्ष
सेवानिवृत्त शिक्षक पशुपति नारायण सिंह की पुल में गिर मौत के बाद भी न तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कानों में जूं रेंगा और न हीं पुल निर्माण के अधिकारियों का हीं ध्यान गया. उक्त पुल गांव के दो छोर को एक दूसरे से जोड़ने का काम करता है. इतना हीं नहीं नेपाल के अलावा जिले के विभिन्न प्रखंडों व शिवहर जिले को सड़क से जोड़ने में भी उक्त सड़क पुल की महत्वपूर्ण भूमिका है. ग्रामीण शैलेंद्र कुमार सिंह, विजय सिंह, रामाश्रय सिंह, राजदेव सिंह,
राम विनय सिंह, महेंद्र मंडल, राजीव कुमार सिंह बताते हैं कि करीब 60 वर्ष पूर्व तत्कालीन ग्राम पंचायत राज सुप्पी बोकठा के मुखिया स्व हरिनारायण सिंह ने पंचायत मद से उक्त पुल का निर्माण कराया था.
चुनाव के वक्त होती हैं लंबी बातें: तब उक्त पुल की मजबूती के किस्से दूसरे जिलों में सूनी जाती थी. महज चूना और ईंट की सुर्खी से ढ़ाले गये उक्त पुल की मजबूती का असर यह है कि आज भी उसके कई ढ़ांचे सही सलामत बचा है. ग्रामीणों का कहना है कि जब-जब चुनाव का वक्त आता है कि पुल के बारे में लंबी चौड़ी बातें की जाती है. तत्कालीन शिवहर सांसद स्व राम दुलारी सिन्हा से लेकर स्व हरिकिशोर सिंह तक के पास उक्त पुल के काया-कल्प की गुहार लगायी गयी, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा.
आनंद मोहन ने की थी पहल: वर्ष 1996 में शिवहर के तत्कालीन सांसद आनंद मोहन ने पुल के नये सिरे से निर्माण कराने को लेकर गंभीरता दिखायी थी. ग्रामीणों ने चुनाव के वक्त उन्हें अपनी उक्त मांग से अवगत कराया था. ग्रामीणों की मांग पर श्री मोहन ने तब कहा था कि वह उक्त पुल के निर्माण कार्य की प्राथमिकता के आधार पर पहल करेंगे. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने स्टीमेट के आधार पर इसकी प्रक्रिया शुरू करायी थी. इसके बाद श्री मोहन मध्यावति चुनाव हार गये और पुल निर्माण का मामला वहीं अटक गया.
दुर्घटनाग्रस्त होने से बची स्कॉर्पियो
तीन माह पूर्व एक स्कॉर्पियो गाड़ी उक्त पुल में गिरने से बची. चालक ने घुमाव के बाद नियंत्रण खो दिया फलत: गाड़ी पुल की रेलिंग तोड़ते हुए आगे निकल गयी. बताया जाता है कि आम दिनों में पुल के आसपास फुर्सत के क्षण में आम लोग बैठते हैं, मगर उस दिन संयोग रहा कि कोई वहां मौजूद नहीं था,वरना एक भीषण दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था.
खास बातें
ऐतिहासिक पुल का 60 फीसदी हिस्सा क्षतिग्रस्त
तत्कालीन मुखिया हरिनारायण सिंह ने कराया था निर्माण
क्षतिग्रस्त पुल में गिरने से हो चुकी है शिक्षक की मौत
नेपाल, शिवहर व अन्य प्रखंडों से होता है आवागमन
विधायक अमित कुमार टुन्ना ने कहा कि छौरहिया गांव के उक्त पुराने पुल की जगह नयी सड़क पुल निर्माण की वह पहल करेंगे. ग्रामीणों की ओर से उन्हें अवगत कराया गया है. वह स्वयं भी पुल को देख रहे हैं. उक्त पुल की मजबूती के वह भी कायल हैं. जिस जमाने में यह पुल बना है, नि:संदेह जनप्रतिनिधियों से लेकर अभियंताओं ने पूरी इमानदारी से उक्त काम को अंजाम दिया होगा.