पति का साथ छूटा, बेटी ने आंखें फेर लीं, पुत्र ने निवाला छीन िलया
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पति ने किया बेघर शर्मनाक . जानवरों सा जीवन जी रही पीड़िता
पति का साथ छूटा, बेटी ने आंखें फेर लीं, पुत्र ने निवाला छीन िलया विद्यापतिनगर : प्रखंड के सिमरी गांव में मानवता को तार तार करने वाला वाक्या प्रकाश में आया है़ जानने व देखने वाले शर्मसार हो रहे हैं, तो गांव वाले लाचार. दूसरी बीबी को विक्षिप्त करार देकर उसे जानवरों से भी बदतर […]
विद्यापतिनगर : प्रखंड के सिमरी गांव में मानवता को तार तार करने वाला वाक्या प्रकाश में आया है़ जानने व देखने वाले शर्मसार हो रहे हैं, तो गांव वाले लाचार. दूसरी बीबी को विक्षिप्त करार देकर उसे जानवरों से भी बदतर हाल में छोड़ दिया पति ने़ आशय जुड़ा है सिमरी गांव के सरमस्तपुर मोहल्ले से़ जहां के मो नौशाद के दूसरी शादी करने से पहली बीबी उपेक्षा का दंश झेलते बीमार हुई़ इलाज के अभाव में वह अर्द्ध विक्षिप्त सी हो गयी़ पति चिकित्सा कराने के बदले उसे घर से अलग झाड़ियों में रख उसकी सांसें थमने का इंतजार कर रहे़ बताते चलें कि मो नौशाद ने दस साल पूर्व पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी सलमा खातून से रचायी़ पहली पत्नी सहीना खातून से दो बच्चे थे़
सौतन के घर में आने व उसके सौत वाले व्यवहार से पहली पत्नी सहीना खातून उपेक्षित सा जीवन जीने को मजबूर हो गयी़ धीरे-धीरे वह बीमार हो विक्षिप्त जीवन जीने लगी़ इसे देख उसकी इलाज कराने के बजाय पति व सौतन ने उसे घर के बगल के झाड़ियों में रख दिया़
जानवरों की तरह खाना उसके आगे फेंकते रहे़ इससे शहीना में कष्ट सहने की शक्ति भी जाती रही और अब उसे व उसके परिवार को मौत का इंतजार ने बेकरार कर दिया है़ सहीना के दो बच्चे में बेटी रानी उसके पास रहकर भी उससे दूर हुई है, तो पुत्र मो राजू दिल्ली में मजदूरी के क्रम में मां को भूल बैठा है़ पति दूसरी पत्नी के साथ पहली पत्नी की पीड़ा को भूल चुका है़ कहते हैं कभी अपने बच्चों के आंख में आंसू देख कर तड़प पड़ने वाली मां के बच्चे मां के हाल पर तरस नहीं खा रहे़
गांव वाले सहीना के हाल पर दिखावटी आंसू बहाते हुए बताते हैं कि कई बार इसे डॉक्टर के पास ले चलने की सलाह दी गयी़ पर पति राजी नहीं हुये. हालात देखे नहीं जाते़ पीड़िता की सौतन बताती है कि वह विक्षिप्त है. वैसी ही हरकत करती है. इसके कारण जीना मुहाल हो गया. इसके बाद उसे घर से बाहर रहने की व्यवस्था कर दी गयी है. ताकि उसका असर घर के अन्य सदस्यों पर नहीं पड़े.
इधर, दाने-दाने को तरस रही सहीना के लिए क्षेत्र के महिला कल्याण से जुड़ी आधे दर्जन स्वयं सेवी संस्था भी मृत साबित हुई है़ गांव वालों की माने तो कई महिला संगठन को इसकी जानकारी दी गयी है़ पर किसी के कदम इस ओर सहारे को आगे नहीं आये़ सरकारी व्यवस्था,महिलाओं के लिए मसीहा कहलाने की शौकिन संस्था मुंह पर सहीना खातून की बेवसी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
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