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29 संचालकों के पास एनओसी नहीं

राजस्व का नुकसान . शहर में चल रहे 30 मोबाइल टावर नोटिस देने के बाद भी कंपनियों ने नहीं जमा किया श्ुल्क सीतामढ़ी : नगर में वर्षों से विभिन्न कंपनियों के दर्जनों मोबाइल टावर गैरकानूनी तरीके से संचालित है. मोबाइल टावर लगाने के पूर्व कंपनियों को नगर परिषद से एनओसी लेना अनिवार्य था. इसके अलावा […]

राजस्व का नुकसान . शहर में चल रहे 30 मोबाइल टावर

नोटिस देने के बाद भी कंपनियों ने नहीं जमा किया श्ुल्क
सीतामढ़ी : नगर में वर्षों से विभिन्न कंपनियों के दर्जनों मोबाइल टावर गैरकानूनी तरीके से संचालित है. मोबाइल टावर लगाने के पूर्व कंपनियों को नगर परिषद से एनओसी लेना अनिवार्य था. इसके अलावा निर्धारित पंजीकरण शुल्क जमा करने के साथ ही हर वर्ष नवीकरण शुल्क भी जमा करना है.
कंपनियों को टावर स्थापित करने के लिए कई सरकारी नियमों का पालन करना है, लेकिन शहर में विभिन्न कंपनियों के करीब 30 मोबाइल टावर नियमों को ताक पर रख लगाये गये हैं. एक भी कंपनी द्वारा आज तक न तो निर्धारित निबंधन शुल्क जमा किया गया है और न ही अब तक एनओसी लिया गया है. यह बात अलग है कि गत दिनों एयरटेल कंपनी द्वारा शुल्क जमा किया गया है.
कंपनियां नहीं ले रही नोटिस : नगर परिषद द्वारा 21 सितंबर 2015 को टावर कंपनियों को आखिरी बार नोटिस जारी किया गया था, जिसमें हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सभी संचार मीनार सेवा प्रदाता को नगर निकाय से अनुमति एवं पंजीकरण कराने को अनिवार्य बताया गया था.
इसके लिए संचालकों को संचार कंपनी के साथ किये गये अनुबंध से संबंधित कागजात की छाया प्रति एक सप्ताह के अंदर नगर परिषद कार्यालय में जमा कराने, अन्यथा बिहार संचार मीनार एवं संबंधित संरचना नियमावली 2012 एवं बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के तहत जुर्माना एवं टावर को सील करने की कार्रवाई की चेतावनी दी गयी थी. साथ ही शुल्क जमा नहीं कराने वाले संचालकों के बकाये राशि को होल्डिंग टैक्स में जोड़ देने की चेतावनी भी दी गयी थी.
एक सप्ताह बजाय नौ माह बीत गये, लेकिन इन अवैध रूप से संचालित मोबाइल टावर के संचालकों पर सरकारी आदेश व नोटिस का कोई असर नहीं हुआ और एक को छोड़ शेष 29 मोबाइल टावर संचालकों ने न तो एनओसी लिया है और न शुल्क जमा किया है. इन मोबाइल संचालकों पर नगर परिषद का करोड़ों रुपये बकाया है.
क्या है संचार मीनार नियमावली 2012
संचार मीनार को केवल व्यावसायिक भवनों या खाली पड़ी भूमि पर लगाना है.
किसी भी संचार मीनार टावर को विद्यालय, महाविद्यालय या अस्पताल के 100 मीटर रेडियस में नहीं लगाना है.
पंजीकरण के लिए मूल राजस्व दस्तावेज, निर्माण स्थल योजना, भू-स्वामी से सहमति व स्वामित्व के सबूत के साथ शपथ पत्र, टावर का चित्र व विवरण, ऊंचाई, मीनार का मेगावाट क्षमता, अभियंता संस्था के संरचनात्मक इंजीनियर द्वारा जारी प्रमाण पत्र आदि के साथ पंजीकरण कराना है.
तूफान, बिजली व गर्जन से बचने के लिए तड़ित चालक को स्थापित करना है.
बिहार सरकार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के शोर तथा उत्सर्जन मानकों के अनुरूप जेनेरेटर सेट स्थापित करना है.
टावर की ऊंचाई के बराबर चारों ओर क्षेत्र छोड़ना है.
निबंधन शुल्क के रूप में 40 हजार रुपये व प्रतिवर्ष नवीकरण शुल्क के रूम में 10 हजार रुपये का भुगतान करना है.
मोबाइल रेडिएशन से होने वाले नुकसान
डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार
मोबाइल रेडिएशन मानव या किसी भी जीव-जंतु के शरीर के जिस भाग को निशाना बनाता है, वह भाग कमजोर हो जाता है. परिणाम स्वरूप मानव या जंतुओं के शरीर में किटाणुओं का प्रवेश आसान हो जाता है, जिससे अनेक बीमारी जन्म लेता है.
अनेक पक्षियों के ज्यादातर स्थानीय प्रजातियां गायब हो गये हैं.
आयु व तंदुरुस्ती को कम करने के साथ ही शरीर के संतुलन को बिगाड़ता है.
एकाग्रता में कमी आती है, मांशपेशियों में थकान आता है.
मधुमक्खियों के अनेक प्रजातियां विलुप्त हो रही है. जिसके चलते अब पेड़ों पर मधुमक्खियों के छाते नहीं दिख रहे हैं.
नियमानुसार होगी कार्रवाई
कार्यपालक पदाधिकारी तारकेश्वर प्रसाद ने बताया कि अधिकांश मोबाइल टावर संचालक सरकारी आदेश की अवहेलना करते हुए न तो निबंधन करा रहे हैं और न ही शुल्क जमा करा रहे हैं. इन टावर संचालकों पर एक करोड़ से भी अधिक बकाया है. उक्त राशि की वसूली के लिये जल्द ही एक बार फिर से नोटिस जारी किया जाएगा. बावजूद भुगतान नहीं करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

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