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उदासीनता. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हाल इंदिरा आवास निर्माण अधूरा

चालू वर्ष में जिले में एक भी इंिदरा आवास लाभुकों को नहीं मिला. सरकार की योजनाओं का लाभ तो ग्रामीणों को दिया गया लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण िनर्माण अधूरा होने के चलते लाभार्थियों को आवास उपलब्ध नहीं कराया जा सका. डुमरा : बीपीएल की श्रेणी में आने वाले लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने […]

चालू वर्ष में जिले में एक भी इंिदरा आवास लाभुकों को नहीं मिला. सरकार की योजनाओं का लाभ तो ग्रामीणों को दिया गया लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण िनर्माण अधूरा होने के चलते लाभार्थियों को आवास उपलब्ध नहीं कराया जा सका.

डुमरा : बीपीएल की श्रेणी में आने वाले लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के स्तर से कई योजनाएं चलायी जा रही है, जिसमें इंदिरा आवास योजना भी शामिल है.
यह योजना कैसे दम तोड़ दिया है, इसकी सच्चाई जान कर हैरानी होगी. सबसे बड़ी बात यह कि प्रशासन के गंभीर नहीं रहने एवं लाभार्थियों की लापरवाही के चलते चालू वर्ष में भले ही सैकड़ों लोगों को आवास का लाभ दिया गया, पर एक भी आवास का निर्माण पूरा नहीं हो सका है.
बीडीओ भी गंभीर नहीं : कहा जा रहा है कि इंदिरा आवास के मामले पर जिला प्रशासन के स्तर से बार-बार की हिदायत के बावजूद एक भी बीडीओ अब तक गंभीर नहीं हुए हैं. सरकारी रिपोर्ट ही इसका गवाह है.
विगत चार वित्तीय वर्षों की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कैसे इंदिरा आवास योजना को एक तरह से मजाक बन गया है. इंदिरा आवास योजना पर नजर रखने के लिए अधिकारी व कर्मियों की एक बड़ी फौज की तैनाती के बावजूद उपलब्धि निराशाजनक है.
प्रखंडवार आवास का लक्ष्य : बैरगनिया प्रखंड को चालू वर्ष में साठ इंदिरा आवास का निर्माण कराने की स्वीकृति दी गयी थी.
इसी तरह बाजपट्टी को 164, बथनाहा को 117, बेलसंड को 56, बोखड़ा को 93, चोरौत को 32, डुमरा को 188, मेजरगंज को 44, नानपुर को 156, परिहार को 244, परसौनी को 53, पुपरी को 132, रीगा को 100, रून्नीसैदपुर को 181, सोनबरसा को 144, सुप्पी को 57 व बेलसंड को 126 आवास का लक्ष्य है.
डीडीसी का निर्देश : डीडीसी ए रहमान ने 17 में से नौ बीडीओ को पत्र भेज कहा है कि पिछले कई वर्षों के अपेक्षाकृत चालू वर्ष में काफी कम लक्ष्य प्राप्त हुआ है.
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में कर्मियों की उपलब्धता है. कहा है कि बार-बार के निर्देश के बावजूद निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप लाभार्थियों को सहायता राशि हस्तांतरित नहीं की जा रही है जो अत्यंत ही दुखद है.

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